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कुरुक्षेत्र के 'महाभारत' में कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला, नाम पर घमासान

कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं, लेकिन यहां लंबे समय से कोई जाट विधायक या सांसद नहीं बना है. 2014 में पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की और राजकुमार सैनी यहां से सांसद बने. लिहाजा जीत की उम्मीद में बीजेपी ने इस बार भी सैनी समुदाय के प्रत्याशी पर ही भरोसा जताया है.

नायब सैनी और निर्मल सिंह
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Published : May 8, 2019, 11:00 AM IST

Updated : May 8, 2019, 3:39 PM IST

कुरुक्षेत्र: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हरियाणा में स्टार वॉर छिड़ी हुई है. यहां मुद्दा सत्ता का नहीं बल्कि अपनी साख बचाने का है. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश की कमान संभाल रखी है. हालांकि इस बार चुनाव आम जनता के मुद्दों पर कम, नाम पर ज्यादा लड़ा जा रहा है.


पार्टियों में अपने गढ़ को बचाने की बेचैनी साफ दिखाई पड़ती है. बीजेपी जहां मोदी और राष्ट्रवाद के सहारे चुनाव जीतना चाहती है, वहीं कांग्रेस बीजेपी को लगातार बेरोजगारी, किसान, मजदूर और महिलाओं जैसे मुद्दों पर घेरती नजर आ रही है.

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कुरुक्षेत्र की बात करें तो इस सीट को जाट-गैर जाट की राजनीति, मोदी और नवीन जिंदल प्रभावित कर रहे हैं. यहां बीजेपी के नायब सैनी और कांग्रेस के निर्मल सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है. हालांकि मैदान में इनेलो के अर्जुन चौटाला और और जेजेपी के जयभगवान शर्मा भी हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन कैसा रहेगा इसके बारे में कहना मुश्किल है.

Nayab Saini and Nirmal Singh
नायब सैनी और निर्मल सिंह


बता दें कि कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में जबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं, लेकिन यहां लंबे समय से कोई जाट विधायक या सांसद नहीं बना है. 2014 में पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की और राजकुमार सैनी यहां से सांसद बने. लिहाजा जीत की उम्मीद में बीजेपी ने इस बार भी सैनी समुदाय के प्रत्याशी पर ही भरोसा जताया है.

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2007 के परिसीमन में खत्म हुआ नग्गल हलका पिहोवा हलके से सटा था. मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह नग्गल से 4 बार विधायक और 2 बार मंत्री रहे. इतिहास उठा कर देखें तो पिहोवा में 1991 के बाद से सिख विधायक ही बनते रहे हैं, ऐसे में निर्मल सिंह को फायदा हो सकता है. हालांकि कांग्रेस की गुटबाजी ही इस चुनाव में उनकी सबसे बड़ी दुश्मन है.


इनेलो की बात करें तो दो फाड़ होने के बाद पार्टी कमजोर पड़ गई है. वहीं जेजेपी प्रत्याशी डीडी शर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे. बता दें कि जेजेपी से पहले डीडी शर्मा ने बीजेपी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था.

कुरुक्षेत्र: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हरियाणा में स्टार वॉर छिड़ी हुई है. यहां मुद्दा सत्ता का नहीं बल्कि अपनी साख बचाने का है. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश की कमान संभाल रखी है. हालांकि इस बार चुनाव आम जनता के मुद्दों पर कम, नाम पर ज्यादा लड़ा जा रहा है.


पार्टियों में अपने गढ़ को बचाने की बेचैनी साफ दिखाई पड़ती है. बीजेपी जहां मोदी और राष्ट्रवाद के सहारे चुनाव जीतना चाहती है, वहीं कांग्रेस बीजेपी को लगातार बेरोजगारी, किसान, मजदूर और महिलाओं जैसे मुद्दों पर घेरती नजर आ रही है.

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कुरुक्षेत्र की बात करें तो इस सीट को जाट-गैर जाट की राजनीति, मोदी और नवीन जिंदल प्रभावित कर रहे हैं. यहां बीजेपी के नायब सैनी और कांग्रेस के निर्मल सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है. हालांकि मैदान में इनेलो के अर्जुन चौटाला और और जेजेपी के जयभगवान शर्मा भी हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन कैसा रहेगा इसके बारे में कहना मुश्किल है.

Nayab Saini and Nirmal Singh
नायब सैनी और निर्मल सिंह


बता दें कि कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में जबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं, लेकिन यहां लंबे समय से कोई जाट विधायक या सांसद नहीं बना है. 2014 में पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की और राजकुमार सैनी यहां से सांसद बने. लिहाजा जीत की उम्मीद में बीजेपी ने इस बार भी सैनी समुदाय के प्रत्याशी पर ही भरोसा जताया है.

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2007 के परिसीमन में खत्म हुआ नग्गल हलका पिहोवा हलके से सटा था. मौजूदा कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह नग्गल से 4 बार विधायक और 2 बार मंत्री रहे. इतिहास उठा कर देखें तो पिहोवा में 1991 के बाद से सिख विधायक ही बनते रहे हैं, ऐसे में निर्मल सिंह को फायदा हो सकता है. हालांकि कांग्रेस की गुटबाजी ही इस चुनाव में उनकी सबसे बड़ी दुश्मन है.


इनेलो की बात करें तो दो फाड़ होने के बाद पार्टी कमजोर पड़ गई है. वहीं जेजेपी प्रत्याशी डीडी शर्मा पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे. बता दें कि जेजेपी से पहले डीडी शर्मा ने बीजेपी की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था.

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Last Updated : May 8, 2019, 3:39 PM IST
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