रोहतक: महाराष्ट्र की तरह हरियाणा के रोहतक में गणेश महोत्सव मनाया जाएगा. वहीं बढ़ते जल प्रदूषण को देखते गणेश महोत्सव में मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.
गणेश चतुर्थी यानी गणेश भगवान का जन्मोत्सव 2 सितंबर के दिन मनाया जाएगा. इस दिन कई लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक उसका पूजन करने के बाद 11वें दिन उस मूर्ति का जल में विसर्जन किया जाता है.
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इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने की होड़
बढ़ते जल प्रदूषण को देखते हुए रोहतक में इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने की होड़ लग गई है. इससे पहले मिट्टी की मूर्तियां कोलकाता से मंगवाई जाती थी, जो काफी महंगी पड़ती थी. वहीं इससे पहले पीओपी की मूर्तियां स्थापित की जाती थी, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होती थी.
रोहतक में महाराष्ट्र की तर्ज पर गणेश महोत्सव
मंदिर के पुजारी ने बताया कि रोहतक में महाराष्ट्र की तरह गणेश महोत्सव मनाया जाएगा. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्तियों का प्रयोग किया गया है ताकि विसर्जन करते वक्त किसी प्रकार का कोई प्रदूषण ना हो.
कब करें पूजा
भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को सोमवार में मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था, इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न काल यानी दोपहर के समय भगवान गणेश की पूजा करना शुभ माना गया है.
जब गणेश ने दिया चंद्रदेव को श्राप
मंदिर के पुजारी ने बताया कि एक बार चंद्रमा, जो बहुत सुंदर और अपने रूप पर गर्व करते थे, उन्होंने गणेश का मजाक उड़ाने का प्रयास किया और कहा कि गणेश को बड़ा पेट और हाथी का सिर मिला है.
ये बात सुनकर, गणेश ने चंद्रदेव को श्राप देते हुए कहा कि कोई भी चंद्रमा की पूजा नहीं करेगा और जो कोई भी चंद्रमा को देखेगा वो झूठे आरोपों का सामना करेगा. इस सजा को सुनकर, चंद्रदेव को बहुत बड़ा झटका लगा और उनका अहंकार एक पल में गायब हो गया.
चंद्रदेव, ने अन्य देवताओं के साथ, गणेश से क्षमा मांगी तब जाकर गणेश प्रसन्न हुए और चंद्रदेव को श्राप से मुक्त किया, लेकिन उन्होंने कहा कि मनुष्य ‘भाद्रपद चतुर्थी’ के दिन को छोड़कर किसी भी दिन चंद्रमा को देख सकता है.
लोगों में उत्साह
मंदिर में आए लोगों का कहना है कि गणेश महोत्सव को लेकर काफी खुशी है और साथ ही पर्यावरण का विशेष ध्यान रखते हुए मिट्टी की मूर्तियों का प्रयोग किया जाएगा. इसलिए 2 दिन से मंदिर में मिट्टी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं, जो घर ले जाकर उनकी पूजा की जाएगी और 10 दिन बाद 12 सितंबर को मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा. ऐसा करने से भगवान गणेश उनकी मनोकामना पूरी करेंगे.