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रोहतकः 4 साल की बच्ची के मुंह में फंसे टिफिन को PGIMS के डॉक्टरों ने निकाला, ICU में मासूम

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Published : May 18, 2022, 1:07 PM IST

पीजीआईएमएस के डॉक्टरों की टीम (Team of doctors in PGIMS) ने एक 4 साल की मासूम बच्ची के मुंह में फंस चुके टिफिन ( tiffin stuck in the mouth of a 4 year old girl in rohtak) को निकाल कर उसे नया जीवन दान दिया है. बच्ची को अभी न्यूरो सर्जरी विभाग के आईसीयू में डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है और जल्द ही उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर भेज दिया जाएगा. पूरी जानकारी के लिए पढ़ें ये खबर...

tiffin stuck in the mouth of a 4 year old girl in rohtak
बच्ची के मुंह में फंसे टिफिन को पीजीआईएमएस के डॉक्टरों ने निकाला

रोहतक: पीजीआईएमएस के डॉक्टरों की टीम (Team of doctors in PGIMS) ने अनोखा कारनामा कर दिखाया है. संस्थान के मैक्सिलो एंड फेसियल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. टीना और न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ. वरुण की टीम में शामिल डॉक्टरों ने एक 4 साल की मासूम बच्ची के मुंह में फंस चुके टिफिन ( tiffin stuck in the mouth of a 4 year old girl in rohtak) को निकाल कर उसे नया जीवन दान दिया है.

दरअसल एक दिन पहले जींद जिले के जुलाना से एक व्यक्ति अपनी 4 साल की बेटी को लेकर पीजीआईएमएस के धनवंतरी एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में पहुंचे. परिजनों ने बताया कि बच्ची बेड से अचानक नीचे गिर गई और वहां नीचे रखे रोटी के टिफिन में उसका मुंह बुरी तरह से धंस गया. जब डॉक्टरों ने बच्ची की जांच की तो पाया कि एक खाना खाने का टिफिन बच्ची के सिर और जबड़े में फंसा हुआ था. वहीं, टिफिन में साबुन की टिकिया भी मौजूद होने से बच्ची को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.

इसके बाद डॉ. वीरेंद्र की टीम के डॉक्टरों ने तुरंत बच्ची का सीटी स्कैन करवाया, जिसमें पाया गया कि टिफिन का काफी हिस्सा माथे में और जबड़े में फंस चुका है. यदि टिफिन को ड्रिल से काटा जाएगा तो उसकी कंपन से बच्ची के सिर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है और उसकी जान पर बन सकती है. बच्ची को एनेस्थीसिया देना भी संभव नहीं था. ऐसे में एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. टीना से संपर्क किया गया तो न्यूरोसर्जरी विभाग के साथ मिलकर एक टीम का गठन किया गया, जिसमें मैक्सिलो एंड फेसियल सर्जरी विभाग से डॉ. अंकिता, डॉ. ए आकाश, डॉ. दीप्ति छिक्कारा को शामिल किया गया.

वहीं, न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ. वरुण, डॉ. गौरव, डॉ. विक्रम को शामिल किया गया. इसके साथ ही एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. सुधा, डॉ. मनीषा, डॉ. अमित और डॉ. रुचिका को शामिल किया गया. इसके बाद तीनों विभागों की टीम ने एकजुटता के साथ मेटल ब्रश और मेटल डिस्क की सहायता से टिफिन को दो हिस्सों में काटने का निर्णय लिया गया, ताकि काटने से होने वाली वाइब्रेशन दिमाग के हिस्से को ज्यादा नुकसान न पहुंचा पाए और बीच में से टिफिन को काटकर दो हिस्सों में बांटा गया. जबड़े के साइड में फंसे टिफिन को बीच से काटकर पहले उसे निकाला गया, जिसके बाद उसमें फंसी साबुन की टिकिया को भी निकाल लिया गया.

इसके बाद एनेस्थीसिया विभाग (Anesthesia Department in PGIMS) ने बच्ची को एनेस्थीसिया दिया, जिसके बाद बड़ी ही सावधानी से माथे में फंसे टिफिन को बाहर निकालकर बच्ची को बचाया गया. बच्ची को अभी न्यूरो सर्जरी विभाग के आईसीयू में डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है और जल्द ही उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर भेज दिया जाएगा. वहीं, हेल्थ यूनिवर्सिटी की वीसी डॉ. अनीता सक्सेना, पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एसएस लोहचब व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह ने इस जटिल ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने न केवल बच्ची की जान बचाई है, बल्कि उसके दिमाग और चेहरे को भी कम से कम नुकसान पहुंचने दिया.

रोहतक: पीजीआईएमएस के डॉक्टरों की टीम (Team of doctors in PGIMS) ने अनोखा कारनामा कर दिखाया है. संस्थान के मैक्सिलो एंड फेसियल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. टीना और न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ. वरुण की टीम में शामिल डॉक्टरों ने एक 4 साल की मासूम बच्ची के मुंह में फंस चुके टिफिन ( tiffin stuck in the mouth of a 4 year old girl in rohtak) को निकाल कर उसे नया जीवन दान दिया है.

दरअसल एक दिन पहले जींद जिले के जुलाना से एक व्यक्ति अपनी 4 साल की बेटी को लेकर पीजीआईएमएस के धनवंतरी एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में पहुंचे. परिजनों ने बताया कि बच्ची बेड से अचानक नीचे गिर गई और वहां नीचे रखे रोटी के टिफिन में उसका मुंह बुरी तरह से धंस गया. जब डॉक्टरों ने बच्ची की जांच की तो पाया कि एक खाना खाने का टिफिन बच्ची के सिर और जबड़े में फंसा हुआ था. वहीं, टिफिन में साबुन की टिकिया भी मौजूद होने से बच्ची को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था.

इसके बाद डॉ. वीरेंद्र की टीम के डॉक्टरों ने तुरंत बच्ची का सीटी स्कैन करवाया, जिसमें पाया गया कि टिफिन का काफी हिस्सा माथे में और जबड़े में फंस चुका है. यदि टिफिन को ड्रिल से काटा जाएगा तो उसकी कंपन से बच्ची के सिर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है और उसकी जान पर बन सकती है. बच्ची को एनेस्थीसिया देना भी संभव नहीं था. ऐसे में एनेस्थीसिया विभाग की डॉ. टीना से संपर्क किया गया तो न्यूरोसर्जरी विभाग के साथ मिलकर एक टीम का गठन किया गया, जिसमें मैक्सिलो एंड फेसियल सर्जरी विभाग से डॉ. अंकिता, डॉ. ए आकाश, डॉ. दीप्ति छिक्कारा को शामिल किया गया.

वहीं, न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ. वरुण, डॉ. गौरव, डॉ. विक्रम को शामिल किया गया. इसके साथ ही एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. सुधा, डॉ. मनीषा, डॉ. अमित और डॉ. रुचिका को शामिल किया गया. इसके बाद तीनों विभागों की टीम ने एकजुटता के साथ मेटल ब्रश और मेटल डिस्क की सहायता से टिफिन को दो हिस्सों में काटने का निर्णय लिया गया, ताकि काटने से होने वाली वाइब्रेशन दिमाग के हिस्से को ज्यादा नुकसान न पहुंचा पाए और बीच में से टिफिन को काटकर दो हिस्सों में बांटा गया. जबड़े के साइड में फंसे टिफिन को बीच से काटकर पहले उसे निकाला गया, जिसके बाद उसमें फंसी साबुन की टिकिया को भी निकाल लिया गया.

इसके बाद एनेस्थीसिया विभाग (Anesthesia Department in PGIMS) ने बच्ची को एनेस्थीसिया दिया, जिसके बाद बड़ी ही सावधानी से माथे में फंसे टिफिन को बाहर निकालकर बच्ची को बचाया गया. बच्ची को अभी न्यूरो सर्जरी विभाग के आईसीयू में डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है और जल्द ही उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर भेज दिया जाएगा. वहीं, हेल्थ यूनिवर्सिटी की वीसी डॉ. अनीता सक्सेना, पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एसएस लोहचब व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ईश्वर सिंह ने इस जटिल ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की टीम की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने न केवल बच्ची की जान बचाई है, बल्कि उसके दिमाग और चेहरे को भी कम से कम नुकसान पहुंचने दिया.

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