रोहतक: हरियाणा कर्मचारी महासंघ की मांगों पर विचार करने के लिए सरकार ने कर्मचारी नेताओं के साथ बैठक करने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर मीटिंग के लिए 20 जुलाई को बुलाया है. इस बार कर्मचारी नेताओं को मौखिक तौर पर नहीं बल्कि लिखित में पत्र देकर बुलाया गया है. अब देखना है कि कर्मचारी नेताओं के साथ मीटिंग कितनी सार्थक होगी. लेकिन सरकार के झुकने का एक कारण ये भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव है और सरकार शायद कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहती.
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कर्मचारी महासंघ के आंदोलन के आगे सरकार झुकी
हरियाणा कर्मचारी महासंघ पिछले काफी समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहा है. लेकिन सिर्फ आश्वासन के उनकी मांगों को अमली जामा नहीं पहनाया गया. इस बार सरकार ने खुद पहल करते हुए कर्मचारी नेताओं को पत्र लिखकर उन्हें बातचीत को लिए बुलाया है.
क्या हैं मांगे ?
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वे आज भी सरकार से बातचीत के लिए तैयार है. उनकी मांगों में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, 2016 से 7वें पे कमीशन को लागू करना, पुरानी पेंशन नीति को बहाल करना, रिस्क अलाउंस देना, निजीकरण पर रोक लगाना और खाली पदों पर भर्ती करना शामिल हैं. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि साल 2018 में किलोमीटर स्कीम को रद्द करवाने के लिए परिवहन विभाग की हड़ताल के दौरान प्रदेश के तमाम कर्मचारियों पर की गई प्रताड़ना को समाप्त करने की मांग की जाएगी.
उन्होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ आज भी आंदोलनरत हैं और अगर बैठक सकारात्मक नहीं होती तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में संगठन प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर उपायुक्त के माध्यम से सीएम के नाम ज्ञापन सौंपेगा.