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कर्मचारी महासंघ के आंदोलन के आगे सरकार झुकी

इस बार सरकार ने खुद पहल करते हुए कर्मचारी नेताओं को लिखित में पत्र देकर उन्हें उनकी मांगों पर बातचीत करने के लिए बुलाया है.

कर्मचारी महासंघ के आंदोलन के आगे सरकार झुकी
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Published : Jul 12, 2019, 5:45 PM IST

रोहतक: हरियाणा कर्मचारी महासंघ की मांगों पर विचार करने के लिए सरकार ने कर्मचारी नेताओं के साथ बैठक करने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर मीटिंग के लिए 20 जुलाई को बुलाया है. इस बार कर्मचारी नेताओं को मौखिक तौर पर नहीं बल्कि लिखित में पत्र देकर बुलाया गया है. अब देखना है कि कर्मचारी नेताओं के साथ मीटिंग कितनी सार्थक होगी. लेकिन सरकार के झुकने का एक कारण ये भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव है और सरकार शायद कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहती.

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ये भी पढ़ें- फर्जी नाम, फर्जी पोस्ट और फर्जी ऑफर लेटर, रोहतक का ये गिरोह बेरोजगारों को ऐसे बनाता था शिकार

कर्मचारी महासंघ के आंदोलन के आगे सरकार झुकी

हरियाणा कर्मचारी महासंघ पिछले काफी समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहा है. लेकिन सिर्फ आश्वासन के उनकी मांगों को अमली जामा नहीं पहनाया गया. इस बार सरकार ने खुद पहल करते हुए कर्मचारी नेताओं को पत्र लिखकर उन्हें बातचीत को लिए बुलाया है.

क्या हैं मांगे ?

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वे आज भी सरकार से बातचीत के लिए तैयार है. उनकी मांगों में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, 2016 से 7वें पे कमीशन को लागू करना, पुरानी पेंशन नीति को बहाल करना, रिस्क अलाउंस देना, निजीकरण पर रोक लगाना और खाली पदों पर भर्ती करना शामिल हैं. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि साल 2018 में किलोमीटर स्कीम को रद्द करवाने के लिए परिवहन विभाग की हड़ताल के दौरान प्रदेश के तमाम कर्मचारियों पर की गई प्रताड़ना को समाप्त करने की मांग की जाएगी.

उन्होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ आज भी आंदोलनरत हैं और अगर बैठक सकारात्मक नहीं होती तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में संगठन प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर उपायुक्त के माध्यम से सीएम के नाम ज्ञापन सौंपेगा.

रोहतक: हरियाणा कर्मचारी महासंघ की मांगों पर विचार करने के लिए सरकार ने कर्मचारी नेताओं के साथ बैठक करने के लिए उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर मीटिंग के लिए 20 जुलाई को बुलाया है. इस बार कर्मचारी नेताओं को मौखिक तौर पर नहीं बल्कि लिखित में पत्र देकर बुलाया गया है. अब देखना है कि कर्मचारी नेताओं के साथ मीटिंग कितनी सार्थक होगी. लेकिन सरकार के झुकने का एक कारण ये भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव है और सरकार शायद कोई भी रिस्क लेना नहीं चाहती.

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कर्मचारी महासंघ के आंदोलन के आगे सरकार झुकी

हरियाणा कर्मचारी महासंघ पिछले काफी समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहा है. लेकिन सिर्फ आश्वासन के उनकी मांगों को अमली जामा नहीं पहनाया गया. इस बार सरकार ने खुद पहल करते हुए कर्मचारी नेताओं को पत्र लिखकर उन्हें बातचीत को लिए बुलाया है.

क्या हैं मांगे ?

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वे आज भी सरकार से बातचीत के लिए तैयार है. उनकी मांगों में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, 2016 से 7वें पे कमीशन को लागू करना, पुरानी पेंशन नीति को बहाल करना, रिस्क अलाउंस देना, निजीकरण पर रोक लगाना और खाली पदों पर भर्ती करना शामिल हैं. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि साल 2018 में किलोमीटर स्कीम को रद्द करवाने के लिए परिवहन विभाग की हड़ताल के दौरान प्रदेश के तमाम कर्मचारियों पर की गई प्रताड़ना को समाप्त करने की मांग की जाएगी.

उन्होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ आज भी आंदोलनरत हैं और अगर बैठक सकारात्मक नहीं होती तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में संगठन प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर उपायुक्त के माध्यम से सीएम के नाम ज्ञापन सौंपेगा.

Intro:हरियाणा कर्मचारी महासंघ की मांगों पर विचार करने के लिये सरकार ने कर्मचारी नेताओं के साथ बैठक करने के लिये उन्हें मुख्यमंत्री आवास पर 20 जुलाई को बुलाया है। इस बार कर्मचारी नेताओं को मौखिक तौर पर नही बल्कि लिखित में पत्र देकर बुलवाया है। अब देखना है कि कर्मचारी नेताओं के साथ मीर्टिग कितनी सार्थक होगी ये तो 20 जुलाई को ही पता लगेगा। लेकिन सरकार के झुकने का एक कारण ये भी हो सकता है कि आगामी दिनों में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव है और सरकार कोई भी रिस्क शायद लेना नही चाहती।Body:हरियाणा कर्मचारी महासंघ पिछले काफी समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहा है लेकिन सिवाय आश्वासन के उनकी मांगों को अमली जामा नही पहनाया गया। इस बार सरकार ने खुद पहल करते हुए कर्मचारी नेताओं को लिखित में प. देकर उन्हें उनकी मांगों पर विचार करने के लिये उन्हें वार्ता के लिये बुलाया है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि वे आज भी सरकार से वार्ता के लिये तैयार है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि उनकी मांगों में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, 2016 से 7वें पे कमीशन को ललागू करना, पुरानी पैंशन नीति को बहाल करना, रिस्क अलाउंस देना, नीजिकरण पर रोक लगाना और नये पदों की भर्ती करना शामिल है।Conclusion:कर्मचारी नेताओं का कहना है कि साल 2018 में परिवहन की हडताल के दौरान किलामीटर स्कीम को रद्द करवाने के लिये प्रदेश के तमाम कर्मचारियों प8र की गई प्रताडना को समाप्त करने की मांग की जायेगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारी महासंघ आज भी आंदोलनरत है और अगर बैठक सकारातमक नही होती तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में संगठन प्रतयेक जिला मुख्यालयों पर उपायुक्त के माध्यम से सी एम के नाम ज्ञापन सौंपे जायेंगे।
बाईट- वीरेन्द्र धनखड प्रधान हरियाणा कर्मचारी महासंघ।
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