पानीपत: बारिश और बाढ़ ने आधे हिंदुस्तान में हाहाकार मचा रखा है. मैदान से लेकर पहाड़ तक हर तरफ सैलाब बर्बादी बनकर बह रहा है. कहीं कार लहरों की भेंट चढ़ रही हैं तो कहीं घर बार पानी में डूब रहा है. मानसून की इस मार से पानीपत का रहमपुर गांव भी अछूता नहीं (Monsoon In Haryana) है. मानसून के दिनों में यमुना का जलस्तर बढ़ जाता है. जैसे ही युमना का जलस्तर बढ़ता है तो लोगों को अपने खेतों तक दो किलोमीटर तक का रास्ता ट्यूब के जरिए तय करना पड़ता है.
दशकों से लोग यहां सरकार से पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई. लिहाजा जान हथेली पर रखकर ग्रामीण यमुना नदी को पार करने को मजबूर हैं. क्योंकि अगर वो सड़क के रास्ते से अपने खेत जाते हैं तो वो दूरी उन्हें 40 किलोमीटर तक पड़ती है. खेत में जाने का शॉर्टकट रास्ता यमुना ही है. आम दिनों में तो लोग आसानी से यमुना नदी को पार कर लेते हैं. क्योंकि पानी बहुत कम होता है, लेकिन मानसून के दिनों में लोग ट्यूब के सहारे नदी पार करते हैं. करीब 6 दशक पहले यमुना की तलहटी में बसे इस रहमपुर गांव में 80 घर हैं. जिसमें करीब 250 लोगों की आबादी रहती है.
प्रशासन भी नहीं करता कोई पुख्ता इंतजाम- बता दें कि इन दिनों यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 230 मीटर से 5 फीट ऊपर चल रहा (Yamuna River Water Lelvel) है. वहीं हिमाचल की पहाड़ियों में हो रही भारी बरसात के कारण पड़ोसी राज्यों की नदियों से भी पानी आगे छोड़ा गया है. इस पानी के आने से पानीपत के रहमपुर गांव में बाढ़ जैसे हालात बन गए (Flood Situation in Rahmpur Village Of Panipat) हैं. हैरत की बात यह है कि किसी अनहोनी से बचने के लिए इस गांव के लिए प्रशासन के कोई भी पुख्ता इंतजाम नजर नहीं आए. यह गांव साल के 9 महीने हरियाणा और 3 महीने उत्तर-प्रदेश का हिस्सा रहता है.
2 किलोमीटर की दूरी जान जोखिम में डालकर होती है तय- यहां के निवासियों के लिए अन्य जरूरी कामों के साथ बच्चों को पढ़ाई के लिए जान जोखिम में डालना रोज का किस्सा है. इन्हें रबड़ ट्यूब के सहारे रोज नदी पार करते हुए देखा जा सकता है. हालांकि मानसून को छोड़कर यमुना सूखी रहती है. लोग अपने रोजाना के काम के लिए आसानी से हरियाणा का आवागमन कर लेते हैं. हरियाणा में बरसात (Rain In Haryana) होते ही रहमपुर गांव का शहरों से संपर्क एकदम टूट जाता है. महज दो किमी. दूर दूसरे गांव में जाने के लिए या तो इन लोगों को नदी में जान जोखिम डालकर जाना पड़ता है या फिर यूपी के रास्ते 20 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है.
गांव में न स्कूल और न स्वास्थ्य केंद्र- जहां तक सरकारी सुविधाओं की बात है तो पानीपत के रहमपुर गांव में (Rahmpur village of Panipat) न तो कोई स्कूल है और ना ही कोई हॉस्पिटल हैं. इन सुविधाओं के लिए गांव वालों को करीब साढ़े सात सौ मीटर की यमुना और फिर इतना ही कच्चा रास्ता पार करके नजदीकी गांव मिर्जापुर आना-जाना पड़ता है. यमुना पार करने के लिए लोग ट्रैक्टर की ट्यूब का सहारा लेते हैं. चप्पू का काम करती हैं चप्पले. इन्हें लोग हाथों में पहनकर पानी को काटते हैं.
2014 में पहुंची थी बिजली- 2014 से पहले रहमपुर गांव बिजली से भी महरूम था. 60 साल पुराने गांव में 8 साल पहले ही बिजली पहुंची है. कभी हरियाणा तो कभी उत्तर-प्रदेश का गांव होने के कारण किसी राजनेता ने इस गांव की ओर ध्यान नहीं दिया. यहां रहने वाले लोगों को काफी मुश्किलों के बाद अपने गांव में रोशनी नसीब हो पाई. लोगों में प्रशासन और जन प्रतिनिधियों के प्रति काफी नाराजगी है.
अधिकतर परिवार कर चुके हैं पलायन- मानसून के दौरान गांव के हालात को देखते हुए अधिकतर परिवार इस गांव से पलायन कर चुके हैं. 60 साल पहले बसे इस गांव में कभी लोगों की रौनक हुआ करती थी.अब गांव में करीब 80 घर और केवल 250 लोगों की आबादी है. यमुना के बढ़ते-घटते जल स्तर और कटाव के कारण हर मानसून में गांव का संपर्क टूटा जाता है. वाहन से यूपी के कैराना की मुख्य सड़क तक पहुंचने में भी लोगों को करीब ढाई घंटा लगता है. इसमें से मात्र चार किलोमीटर का रास्ता ही 2 घंटे में पार होता है.