पानीपत: गांव उग्राखेड़ी के रहने वाले दो दोस्त. दोनों ही नेशनल लेवल के खिलाड़ी हैं. एक के पिता चायवाले हैं तो दूसरे के मजदूर लेकिन गरीबी भी इन दोनों के कदम रोकने में अभी तक नाकाम रही है और अगर इन्हें सहायता मिल जाए तो ये दोनों आसमां छू लेंगे. इन दोनों खिलाड़ियों ने बात की ईटीवी भारत के संवाददाता राजेश कुमार से और अपनी कहानी बताई.
चायवाले का बेटा है बड़ा खिलाड़ी
नेशनल लेवल के खिलाड़ी साहिल ने बताया कि उसके पिता एक चाय की दुकान चलाते हैं और वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. जब पिता ने खेल में साहिल की रुचि देखी तो उन्होंने गरीबी को इस युवा की मजबूरी नहीं बनने दिया और हर संभव प्रयास से उसे खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. साहिल की बड़ी बहन भी हैंडबॉल की नेशनल स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं और खेलों के दम पर इस गरीब परिवार की लड़की ने सरकारी नौकरी भी हासिल की है और उसे देखकर ही साहिल भी आज नेशनल लेवल के खिलाड़ी बने हैं. साहिल की उपलब्धियों की बात करें तो उन्होंने हरियाणा के लिए नेशनल स्कूल गेम्स में एक बार गोल्ड और 4 बार सिल्वर मेडल जीता है. वहीं सब-जूनियर नेशनल गेम्स में एक गोल्ड, एक सिल्वर मेडल जीता है.
आजाद भी गरीबी से लड़कर जीत रहे हैं मेडल
उसी गांव के रहने वाले एक और नेशनल लेवल के खिलाड़ी आजाद के पिता मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं और उन्होंने बताया कि वह अपने सीनियर खिलाड़ियों को देखकर आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं. खेलों में इंटरनेशनल लेवल पर बड़ा मुकाम हासिल करने वाले अमन जोकि इंडिया के लिए दो बार गोल्ड मेडल जीत चुके हैं उन्हीं से ही सीख लेकर आजाद नेशनल लेवल के खिलाड़ी बन व अपने राज्य और शहर का नाम रोशन कर रहे हैं.
सरकार से सहायता की दरकार
सरकार की तरफ से इन्हें कोई भी सहायता नहीं दी जाती है और आज तक जितनी भी इनामी राशि दोनों ने जीती है वह भी इन्हें नहीं मिल पाई है. इन खिलाड़ियों का कहना है कि सबसे बड़ा मनोबल होता है और मनोबल गिरने के बाद इंसान कहीं भी कामयाबी को हासिल नहीं कर सकता. ईटीवी भारत के जरिए इन दोनों ने राज्य के खेल मंत्री अनिल विज से गुहार लगाई है कि इनकी सहायता की जाए ताकि अपनी प्रतिभा को और निखार कर ये दोनों देश के लिए अच्छा प्रदर्शन कर सके.