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textile industry in panipat: पानीपत टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर संकट, प्रतिदिन हो रहा करोड़ों का नुकसान

पानीपत टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर संकट मंडरा रहा (Crisis On Panipat Textile Industry) है. पिछले कई दिनों से उद्योगों में नो डिमांड की स्थिति बनी हुई है. कारण पानीपत में कोयले से चलने वाले उद्योग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया (Ban on coal fired industry in Panipat) था. इस वजह से डाइंग यूनिट में लगभग बीस लाख किलोग्राम कपड़ा डंप हो गया है. देश विदेश से मिलने वाले ऑर्डर लगातार कैंसिल हो रहे हैं.

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Published : Oct 8, 2022, 9:18 AM IST

पानीपत: पानीपत टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर (Panipat Textile Industry) इन दिनों संकट के बादल छाए हुए है. 1 अक्टूबर से एयर क्वालिटी मैनेजमेंट में पानीपत में कोयले से चलने वाले उद्योग पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस वजह से डाइंग यूनिट में लगभग बीस लाख किलोग्राम कपड़ा डंप हो गया है. देश विदेश से मिलने वाले ऑर्डर लगातार कैंसिल हो रहे हैं. जो ऑर्डर मिल चुके हैं उनकी डिलीवरी ही समय पर नहीं हो पा रही. ऐसे में अगर यह फैक्ट्रियां लगातार बंद रही तो औद्योगिक नगरी पर आर्थिक मंदी के संकट आ जाएंगे.

एक समय था जब चीन का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट मार्केट में अपनी पकड़ बनाए हुए था. बढ़ती तकनीक और क्वालिटी के चलते पानीपत में बनने वाले टेक्सटाइल एक्सपोर्ट ने चीन को पछाड़कर नंबर 1 की पोजिशन हासिल कर ली थी. धीरे-धीरे बांग्लादेश और अन्य देशों में बनने वाले टेक्सटाइल प्रोडक्ट भी मार्केट में अपनी पकड़ बनाने लग गए थे. परंतु अब पानीपत की ओर से विदेशों में डिमांड पूरी न करने के चलते ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं. पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान अब विदेशों में पने प्रोडक्ट की पकड़ बनाना शुरु कर रहे हैं. आने वाले समय में अगर ऐसा ही चला तो छोटे पड़ोसी देश भी पानीपत को पछाड़ देंगे.

हर दिन हो रहा करोड़ों का नुकसान- डाइंग एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भीम राणा ने बताया की 1अक्टूबर से एयर क्वालिटी मैनेजमेंट द्वारा पानीपत में कोयला संचालित उद्योग बंद (coal fired industry Closed In Panipat) होने से लगभग 600 डाइंग यूनिट प्रभावित हुई है. अगर नुकसान का अनुमान लगाया जाए तो 1 दिन में लगभग 100 करोड़ रुपये का नुकसान पानीपत टेक्सटाइल नगरी को हो रहा है. अब तक 700 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पानीपत को उठाना पड़ा है.

नहीं हुआ कोई समाधान- शहर के हजारों इंडस्ट्रलिस्ट लगातार पानीपत को एनसीआर से बाहर निकालने की मांग (Demand to take Panipat out of NCR) कर रहे हैं पर अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पानीपत का कितना हिस्सा एनसीआर में है. पानीपत के उद्योगपतियों ने मीटिंग कर अब तक यह स्पष्ट भी कर दिया है कि अगर 13 तारीख तक उन्हें सरकार ने 2 साल का समय नहीं दिया तो एक बड़ा आंदोलन होगा. बता दें कि पानीपत में लगभग 600 डाइंग यूनिट है. इनमें से करीब डेढ़ सौ यूनिट को ही पीएनजी पर शिफ्ट किया गया है. बाकी साढे चार सौ यूनिट अभी भी कोयले से संचालित हैं. टेक्सटाइल उद्योग में पहला पड़ाव ही यूनिट का है. डाइंग यूनिट को ही टेक्सटाइल की रीढ़ की हड्डी माना जाता है.

पानीपत: पानीपत टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर (Panipat Textile Industry) इन दिनों संकट के बादल छाए हुए है. 1 अक्टूबर से एयर क्वालिटी मैनेजमेंट में पानीपत में कोयले से चलने वाले उद्योग पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस वजह से डाइंग यूनिट में लगभग बीस लाख किलोग्राम कपड़ा डंप हो गया है. देश विदेश से मिलने वाले ऑर्डर लगातार कैंसिल हो रहे हैं. जो ऑर्डर मिल चुके हैं उनकी डिलीवरी ही समय पर नहीं हो पा रही. ऐसे में अगर यह फैक्ट्रियां लगातार बंद रही तो औद्योगिक नगरी पर आर्थिक मंदी के संकट आ जाएंगे.

एक समय था जब चीन का टेक्सटाइल एक्सपोर्ट मार्केट में अपनी पकड़ बनाए हुए था. बढ़ती तकनीक और क्वालिटी के चलते पानीपत में बनने वाले टेक्सटाइल एक्सपोर्ट ने चीन को पछाड़कर नंबर 1 की पोजिशन हासिल कर ली थी. धीरे-धीरे बांग्लादेश और अन्य देशों में बनने वाले टेक्सटाइल प्रोडक्ट भी मार्केट में अपनी पकड़ बनाने लग गए थे. परंतु अब पानीपत की ओर से विदेशों में डिमांड पूरी न करने के चलते ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं. पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान अब विदेशों में पने प्रोडक्ट की पकड़ बनाना शुरु कर रहे हैं. आने वाले समय में अगर ऐसा ही चला तो छोटे पड़ोसी देश भी पानीपत को पछाड़ देंगे.

हर दिन हो रहा करोड़ों का नुकसान- डाइंग एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भीम राणा ने बताया की 1अक्टूबर से एयर क्वालिटी मैनेजमेंट द्वारा पानीपत में कोयला संचालित उद्योग बंद (coal fired industry Closed In Panipat) होने से लगभग 600 डाइंग यूनिट प्रभावित हुई है. अगर नुकसान का अनुमान लगाया जाए तो 1 दिन में लगभग 100 करोड़ रुपये का नुकसान पानीपत टेक्सटाइल नगरी को हो रहा है. अब तक 700 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान पानीपत को उठाना पड़ा है.

नहीं हुआ कोई समाधान- शहर के हजारों इंडस्ट्रलिस्ट लगातार पानीपत को एनसीआर से बाहर निकालने की मांग (Demand to take Panipat out of NCR) कर रहे हैं पर अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पानीपत का कितना हिस्सा एनसीआर में है. पानीपत के उद्योगपतियों ने मीटिंग कर अब तक यह स्पष्ट भी कर दिया है कि अगर 13 तारीख तक उन्हें सरकार ने 2 साल का समय नहीं दिया तो एक बड़ा आंदोलन होगा. बता दें कि पानीपत में लगभग 600 डाइंग यूनिट है. इनमें से करीब डेढ़ सौ यूनिट को ही पीएनजी पर शिफ्ट किया गया है. बाकी साढे चार सौ यूनिट अभी भी कोयले से संचालित हैं. टेक्सटाइल उद्योग में पहला पड़ाव ही यूनिट का है. डाइंग यूनिट को ही टेक्सटाइल की रीढ़ की हड्डी माना जाता है.

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