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ये है वो तालाब जहां छुपा है दुर्योधन के अंत से जुड़ा बड़ा रहस्य, जानकर हर कोई रह जाता है हैरान - haryana

महाभारत की कहानी हर कोई जानता है लेकिन इस महायुद्ध से जुड़े अभी भी कई ऐसे रहस्य हैं जो कम ही लोग जानते होंगे. ऐसा ही एक रहस्य आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

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Published : Jun 20, 2019, 1:21 PM IST

Updated : Jun 20, 2019, 1:45 PM IST

कुरुक्षेत्र: एक हकीकत जिससे आज हम आपको रूबरू करवाने पहुंचे हैं कुरुक्षेत्र के गांव खेड़ी शीशगारा में. ये वही स्थान है जहां महाभारत के अहम पात्र दुर्योधन का अंत हुआ था. मान्यता है कि युद्ध के दौरान अपनी जान बचाने के लिए दुर्योधन ने इसी तालाब में जल समाधि ली थी. इस जगह को जलोद भव तीरथ भी कहा जाता है.

ये है वो तालाब जहां छुपा है दुर्योधन के अंत से जुड़ा बड़ा रहस्य, वीडियो देखिए.

इसी तालाब में छुप कर रहा था दुर्योधन

पंडित विनोद पंचौली ने बताया कि महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन कौरवों में अकेला ही बचा था और वह अपनी जान बचाने के लिए इसी गांव के तालाब में छिप गया था. तालाब में कमल के फूल के जरिए वह सांस लेता रहा और पांडवों से छिपा रहा लेकिन भगवान श्री कृष्ण की दिव्य दृष्टि से नहीं बच सका. तब श्री कृष्ण सहित पांडवों ने इस तालाब को घेर लिया और दुर्योधन को बाहर निकालने के लिए उकसाने लगे.

पांडवों के तानें सुनकर दुर्योधन तालाब से बाहर आ गया और फिर भीम के साथ गद्दा युद्ध करने लगा. दोनों के बीच काफी देर तक लड़ाई होती रही लेकिन भीम के प्रहार का दुर्योधन पर कोई असर नहीं हो रहा था क्योंकि दुर्योधन की माता गांधारी के आशीर्वाद से दुर्योधन का शरीर वज्र का हो चुका था. फिर भगवान श्री कृष्ण ने भीम को दुर्योधन की जांग पर वार करने के लिए कहा और भीम ने जांग पर वार कर दुर्योधन का अंत कर दिया.

कई मान्यता और जुड़ी हैं इस स्थान से

लोगों का ये भी मानना है कि तलाब से ही 20 गज की दूरी पर सती माता का स्थान बना हुआ है. ये दुर्योधन की पत्नियां है जो दुर्योधन के अंतिम संस्कार के साथ ही सती हो गई थी. गांव के लोगों द्वारा आज भी इनकी पूजा की जाती है. एक और मान्यता ये है कि इस तालाब में निरंतर पांच रविवार स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. हरियाणा की धरती में महाभारत से जुड़े ऐसे ही कई और रहस्य हैं जिनके के बारे में कम ही लोग जानते हैं. इस खास पेशकश के जरिए हम आपको इन रहस्यों से रुबरु कराते रहेंगे.

कुरुक्षेत्र: एक हकीकत जिससे आज हम आपको रूबरू करवाने पहुंचे हैं कुरुक्षेत्र के गांव खेड़ी शीशगारा में. ये वही स्थान है जहां महाभारत के अहम पात्र दुर्योधन का अंत हुआ था. मान्यता है कि युद्ध के दौरान अपनी जान बचाने के लिए दुर्योधन ने इसी तालाब में जल समाधि ली थी. इस जगह को जलोद भव तीरथ भी कहा जाता है.

ये है वो तालाब जहां छुपा है दुर्योधन के अंत से जुड़ा बड़ा रहस्य, वीडियो देखिए.

इसी तालाब में छुप कर रहा था दुर्योधन

पंडित विनोद पंचौली ने बताया कि महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन कौरवों में अकेला ही बचा था और वह अपनी जान बचाने के लिए इसी गांव के तालाब में छिप गया था. तालाब में कमल के फूल के जरिए वह सांस लेता रहा और पांडवों से छिपा रहा लेकिन भगवान श्री कृष्ण की दिव्य दृष्टि से नहीं बच सका. तब श्री कृष्ण सहित पांडवों ने इस तालाब को घेर लिया और दुर्योधन को बाहर निकालने के लिए उकसाने लगे.

पांडवों के तानें सुनकर दुर्योधन तालाब से बाहर आ गया और फिर भीम के साथ गद्दा युद्ध करने लगा. दोनों के बीच काफी देर तक लड़ाई होती रही लेकिन भीम के प्रहार का दुर्योधन पर कोई असर नहीं हो रहा था क्योंकि दुर्योधन की माता गांधारी के आशीर्वाद से दुर्योधन का शरीर वज्र का हो चुका था. फिर भगवान श्री कृष्ण ने भीम को दुर्योधन की जांग पर वार करने के लिए कहा और भीम ने जांग पर वार कर दुर्योधन का अंत कर दिया.

कई मान्यता और जुड़ी हैं इस स्थान से

लोगों का ये भी मानना है कि तलाब से ही 20 गज की दूरी पर सती माता का स्थान बना हुआ है. ये दुर्योधन की पत्नियां है जो दुर्योधन के अंतिम संस्कार के साथ ही सती हो गई थी. गांव के लोगों द्वारा आज भी इनकी पूजा की जाती है. एक और मान्यता ये है कि इस तालाब में निरंतर पांच रविवार स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. हरियाणा की धरती में महाभारत से जुड़े ऐसे ही कई और रहस्य हैं जिनके के बारे में कम ही लोग जानते हैं. इस खास पेशकश के जरिए हम आपको इन रहस्यों से रुबरु कराते रहेंगे.

Intro:एक गांव का तालाब जहां हुआ महाभारत के अहम पात्र दुर्योधन का अंत।
बेशक आपको कुरुक्षेत्र के इतिहास का पता हो लेकिन आज भी कई ऐसे रहस्य है जो इस महाभारत के रण में दफन और आज तक रहस्य ही बने हुए हैं ऐसा ही एक रहस्य जिसे बहुत कम लोग जानते हैं एक हकीकत जिससे आज हम आपको रूबरू करवाने पहुंचे हैं कुरुक्षेत्र में पिहोवा के 1 गांव खेड़ी शीशगारा है जहां हुआ था महाभारत के अहम पात्र दुर्योधन का अंत जो कि युद्ध का जन्मदाता भी माना जाता है दुर्योधन को गंधारी और धृतराष्ट्र का पुत्र था और कौरव में सबसे जेष्ट था जो अपनी जान बचाने के लिए कई दिनों तक इसी तालाब में छुपा रहा जिस जगह हम लोग खड़े हैं यह साक्षी है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो और कितनी भी शक्तिशाली आखिर उसका अंत जरूर होता है और सत्य के सामने उसकी हार होती है।
पिहोवा के गांव खेड़ी शीश ग्राम एक ऐसा तालाब है जिसके बारे में कहा जाता है कि यह दरियो दन का तालाब है जिसमें महाभारत की युद्ध के बाद दुर्योधन ने अपनी जान बचाने के लिए जल में समाधि ले ली थी जिसे जो लोग है जलोद भव तीरथ भी कहा जाता है पंडित विनोद पंचोली ने बताया की पांडव और कौरव के बीच महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था कुरुक्षेत्र से 48 कोस कि जो धरती है महाभारत रणक्षेत्र कहलाती है पूर्व में दुर्योधन का नाम इतिहास के पात्रों में है जोकि गंधारी और दृष्ट राष्ट्र का पुत्र था और कौरवों में सबसे बड़ा भाई था महाभारत युद्ध के पश्चात् दुर्योधन कोरवो में अकेला ही बचा था और वह अपनी जान बचाने के लिए इसी गांव के तालाब में छिप गया था जहां उसने दिनों तक इस तालाब में जल समाधि ली तालाब में कमल के फूल की नदियों के जरिए वह सांस लेता रहा और पांडवों से छिपा रहा लेकिन भगवान श्री कृष्ण की दिव्य दृष्टि से नहीं बच सका तब श्री कृष्ण सहित पांडवों ने इस तालाब को घेर लिया और दुर्योधन को लाभ से बाहर निकालने के लिए उकसाने लगे पांडवों के ताले सुनकर दुर्योधन तालाब से बाहर आ गया और भी हमसे गदा युद्ध करने लगा दोनों के बीच काफी देर तक लड़ाई होती रही लेकिन भीम दुर्योधन से जीत नहीं सका भीम की प्रहार का दुर्योधन पर कोई असर नहीं हो रहा था क्योंकि माता गंधारी के आशीर्वाद से दुर्योधन का शरीर वज्र का हो चुका था लेकिन भगवान श्री कृष्ण की चतुराई से दुर्योधन के जंग का हिस्सा नहीं बना था तो भगवान श्री कृष्ण ने भीम को दुर्योधन की जंग पर वार करने के लिए कहा और भीम ने जांग पर वार कर दुर्योधन का अंत कर दिया।
लोगों का मानना है कि तलाब से ही 20 गज की दूरी पर सती माता का स्थान बना हुआ है ये सती दुर्योधन की पत्नियां है जो दुर्योधन के अंतिम संस्कार के साथ ही सती हो गई थी गांव के लोगों द्वारा इनकी पूजा भी की जाती है इस तालाब में निरंतर पांच रविवार स्नान करने से फोड़ा फुंसी चर्म रोग व त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं इसी तालाब के पास मां दुर्गा भगवान शिव का भी मंदिर बना हुआ है जिसमें लोगों की काफी आस्था जुड़ी हुई है।

बाईट:-रामगोपाल ग्रामीण
बाईट:-विशाल ग्रामीण
बाईट:-विनोद पांचोली पंडित



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Last Updated : Jun 20, 2019, 1:45 PM IST
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