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किस्सा हरियाणे का: इस मंदिर में महिलाएं प्रवेश कर जाएं तो सात जन्मों के लिए विधवा हो जाएंगी! - मंदिर में महिला का प्रवेश वर्जित

इस मंदिर में किसी भी महिला का प्रवेश वर्जित है. मंदिर के महंत का दावा है कि महिला ही नहीं, कोई छोटी बच्ची भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है. अगर किसी महिला ने मंदिर में भगवान कार्तिकेय की पिंडी का दर्शन कर लिया तो वो 7 जन्मों के लिए विधवा हो जाएगी.

इस मंदिर में महिलाएं प्रवेश कर जाएं तो सात जन्मों के लिए विधवा हो जाएंगी!
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Published : Jun 30, 2019, 2:24 PM IST

Updated : Jun 30, 2019, 9:11 PM IST

कुरुक्षेत्र: किस्सा हरियाणा के 5वें ऐपिसोड में हम सरस्वती नदी के किनारे बसे पिहोवा कस्बे में पहुंचे हैं. यहां पर सदियों पहले बने भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय का मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. इस मंदिर का जिक्र महाभारत में भी है. यूं तो ये मंदिर बाहर से दिखने में समान्य सा लगता है. यहां लोग पूजा करने आते हैं. लोगों की इस मंदिर में अटूट श्रद्धा भी है. लेकिन इस मंदिर के साथ एक ऐसी मान्यता भी जुड़ी है, जिसे जान कर आप भी हैरान हो जाएंगे. ऐसा ही हमारी टीम को भी हुआ.. जब वो मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंची.

क्लिक कर देखें वीडियो

मंदिर के बाहर लगे हैं चेतावनी बोर्ड
मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही बड़े-बडे़ बोर्ड लगे हुए हैं. इस बोर्ड पर चेतावनी भी लिखी हुई है. इस मंदिर में किसी भी महिला का प्रवेश वर्जित है. महिला ही नहीं, कोई छोटी बच्ची भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है. लोगों का दावा है कि अगर किसी महिला ने मंदिर में भगवान कार्तिकेय की पिंडी का दर्शन कर लिया तो वो 7 जन्मों के लिए विधवा हो जाएगी.

एपिसोड 1- किस्सा हरियाणे का: जिन्नों ने एक रात में बनाई ये मजार, जहां पूरी होती है हर मुराद

'महिला ने तेल चढ़ाया, पति की हो गई मौत'
मंदिर के महंत राजतिलक ने बताया कि लगभग चार महीने पहले पास के गांव की एक महिला ने पीछे के रास्ते से आकर कार्तिकेय भगवान की पिंडी ऊपर तेल चढ़ा दिया था. जिसके आधे घंटे के अंदर ही महिला के पति की मौत हो गई. इस कहानी के पीछे कितनी सच्चाई है. इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है

एपिसोड 2- किस्सा हरियाणे का: हरियाणा के ये 12 गांव कुत्ते को मानते हैं भगवान!

'भगवान कार्तिकेय ने दिया था श्राप'
लोग महिलाओं के प्रवेश नहीं करने के पीछे कई और कारण बताते हैं. मान्यता है कि भगवान शंकर ने गणेश जी का राजतिलक किया और शुभ अशुभ कार्य में पूजा का अधिकार दे दिया. तो कार्तिकेय जी को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने माता पार्वती को इसका जिम्मेदार ठहरा दिया. उनका कहना था कि बड़ा होने के नाते भी राजतिलक मेरा ही अधिकार था. तुम्हारे दूध से यह मेरा खाल व मांस बना हुआ है. मैं इसको उतारकर अभी देता हूं. अत्यंत क्रोधित होकर कार्तिकेय जी ने अपना खाल व मांस उतारकर माता के चरणों में रख दिया. और समस्त नारी जाति को श्राप दिया कि मेरे इस स्वरूप के जो स्त्री दर्शन करेगी वह सात जन्म तक विधवा रहेगी.

एपिसोड 3- किस्सा हरियाणे का: यहां लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ में जीते हैं!

'पूरे देश में सिर्फ कार्तिकेय देव का मंदिर प्रसिद्ध है'
पूरे देश में कार्तिकेय भगवान के सिर्फ दो ही मंदिर है एक कुरुक्षेत्र के पिहोवा में. और दूसरा तमिलनाडु में मुरुगन स्वामी मंदिर. बताया जाता है कि वहां भगवान कार्तिकेय की हड्डियां गिरी थीं. जिसके बाद उस मंदिर का निर्माण किया गया. 'किस्सा हरियाणे का' के इस ऐपिसोड में बस इतना ही अगली बार आपको आपको बताएंगे हरियाणा के किसी और अनोखे किस्से के बारे में.

एपिसोड 4- फरीदाबाद की सम्मोहन करने वाली 'डेथ वैली'! जिसने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया

कुरुक्षेत्र: किस्सा हरियाणा के 5वें ऐपिसोड में हम सरस्वती नदी के किनारे बसे पिहोवा कस्बे में पहुंचे हैं. यहां पर सदियों पहले बने भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय का मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. इस मंदिर का जिक्र महाभारत में भी है. यूं तो ये मंदिर बाहर से दिखने में समान्य सा लगता है. यहां लोग पूजा करने आते हैं. लोगों की इस मंदिर में अटूट श्रद्धा भी है. लेकिन इस मंदिर के साथ एक ऐसी मान्यता भी जुड़ी है, जिसे जान कर आप भी हैरान हो जाएंगे. ऐसा ही हमारी टीम को भी हुआ.. जब वो मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंची.

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मंदिर के बाहर लगे हैं चेतावनी बोर्ड
मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही बड़े-बडे़ बोर्ड लगे हुए हैं. इस बोर्ड पर चेतावनी भी लिखी हुई है. इस मंदिर में किसी भी महिला का प्रवेश वर्जित है. महिला ही नहीं, कोई छोटी बच्ची भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती है. लोगों का दावा है कि अगर किसी महिला ने मंदिर में भगवान कार्तिकेय की पिंडी का दर्शन कर लिया तो वो 7 जन्मों के लिए विधवा हो जाएगी.

एपिसोड 1- किस्सा हरियाणे का: जिन्नों ने एक रात में बनाई ये मजार, जहां पूरी होती है हर मुराद

'महिला ने तेल चढ़ाया, पति की हो गई मौत'
मंदिर के महंत राजतिलक ने बताया कि लगभग चार महीने पहले पास के गांव की एक महिला ने पीछे के रास्ते से आकर कार्तिकेय भगवान की पिंडी ऊपर तेल चढ़ा दिया था. जिसके आधे घंटे के अंदर ही महिला के पति की मौत हो गई. इस कहानी के पीछे कितनी सच्चाई है. इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है

एपिसोड 2- किस्सा हरियाणे का: हरियाणा के ये 12 गांव कुत्ते को मानते हैं भगवान!

'भगवान कार्तिकेय ने दिया था श्राप'
लोग महिलाओं के प्रवेश नहीं करने के पीछे कई और कारण बताते हैं. मान्यता है कि भगवान शंकर ने गणेश जी का राजतिलक किया और शुभ अशुभ कार्य में पूजा का अधिकार दे दिया. तो कार्तिकेय जी को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने माता पार्वती को इसका जिम्मेदार ठहरा दिया. उनका कहना था कि बड़ा होने के नाते भी राजतिलक मेरा ही अधिकार था. तुम्हारे दूध से यह मेरा खाल व मांस बना हुआ है. मैं इसको उतारकर अभी देता हूं. अत्यंत क्रोधित होकर कार्तिकेय जी ने अपना खाल व मांस उतारकर माता के चरणों में रख दिया. और समस्त नारी जाति को श्राप दिया कि मेरे इस स्वरूप के जो स्त्री दर्शन करेगी वह सात जन्म तक विधवा रहेगी.

एपिसोड 3- किस्सा हरियाणे का: यहां लोग 22 सौ साल से एक जिन्न के खौफ में जीते हैं!

'पूरे देश में सिर्फ कार्तिकेय देव का मंदिर प्रसिद्ध है'
पूरे देश में कार्तिकेय भगवान के सिर्फ दो ही मंदिर है एक कुरुक्षेत्र के पिहोवा में. और दूसरा तमिलनाडु में मुरुगन स्वामी मंदिर. बताया जाता है कि वहां भगवान कार्तिकेय की हड्डियां गिरी थीं. जिसके बाद उस मंदिर का निर्माण किया गया. 'किस्सा हरियाणे का' के इस ऐपिसोड में बस इतना ही अगली बार आपको आपको बताएंगे हरियाणा के किसी और अनोखे किस्से के बारे में.

एपिसोड 4- फरीदाबाद की सम्मोहन करने वाली 'डेथ वैली'! जिसने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया

Intro:कुरुक्षेत्र के पिहोवा कस्बे के बीचो-बीच बना शंकर भगवान के जेष्ठ पुत्र कार्तिकेय का मंदिर जहां महिलाओं का प्रवेश है वर्जित अगर इस मंदिर में स्थित भगवान कार्तिक के कोई महिला करती है दर्शन तो सात जन्मों के लिए हो जाएंगी विधवा।

भगवान शिव शंकर के पुत्र कार्तिकेय कसाब का वह आज भी नारी जाति के जेहन में विद्यमान है इस के डर से भी हो सरस्वती तीर्थ के तट पर स्थित एकमात्र कार्तिकेय मंदिर में नारियों का प्रवेश वर्जित है इसके बावजूद क्षेत्र 14 से मिले पर भगवान कार्तिकेय का तिलक करने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती हैं इस पवित्र धरा पर आकर भगवान कार्तिकेय को नमन कर पुण्य प्राप्ति की कामना की जाती है।

पिहोवा तीर्थ नगरी को लेकर महाभारत एवं पुराणों में जहां पृथ्वी तक तीरथ का विस्तार से वर्णन किया गया है और कार्तिकेय मंदिर को इस तीर्थ की महत्ता को जोड़ा है स्वर्गीय पंडित के जलन की ओर से लिखित पुरुष तक तीरथ महत्व पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि जब भगवान शंकर पुत्र कार्तिकेय को राजतिलक करने का विचार करने लगे तो माता पर्वती छोटे पुत्र गणेश को राजतिलक करवाने के लिए हर्ट करने लगी तभी ब्रह्मा विष्णु व शंकर जी सहित सभी देवी देवताओं ने इकट्ठा होकर सभा में यह निर्णय लिया कि दोनों भाइयों में से समस्त पृथ्वी का चक्कर लगाकर जो पहले पहुंचेगा वही राजतिलक का अधिकारी होगा भगवान कार्तिकेय अपने प्रिय वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए चल पड़े और जब गणेश जी अपने वाहन चूहे पर बैठकर चक्कर लगाने के लिए जाने लगे तभी माता पार्वती ने गणेश जी को कहा कि वत्स तुम यहीं पर इकट्ठे हुए समस्त देव गुणों की परिक्रमा कर डालो क्योंकि त्रिलोकीनाथ यही विधमान है माता पार्वती के ऐसे समझाने पर गणेश जी ने तीन चक्कर लगाकर भगवान शंकर जी को प्रणाम किया और कहा हे प्रभु मैंने संपूर्ण जगत की परिक्रमा कर ली है भगवान शंकर जी विस्मित हुए और उन सहित सभी ने गणेश जी को राजतिलक कर दिया और शुभ अशुभ कार्य में पूजा का अधिकार दे दिया उधर मार्ग में नारद जी ने करती की को सारा वृत्तांत कह डाला कार्तिकेय जी अति शीघ्र परिक्रमा पूरी करके सभा स्थल पर पहुंचे और माता पार्वती जी से सारा हाल जान कर बोले हे माता आपने मेरे साथ छल किया है बड़ा होने के नाते भी राजतिलक मेरा ही अधिकार था तुम्हारे दूध से यह मेला खाल व मांस बना हुआ है मैं इसको उतारकर अभी देता हूं अत्यंत क्रोधित होकर कार्तिकेय जी ने अपना खाल व मांस उतारकर माता के चरणों में रख दी और समस्त नारी जाति को श्राप दिया कि मेरे इस स्वरूप के जो स्त्री दर्शन करेगी वह सात जन्म तक विधवा रहेगी तभी हिना देवताओं की सर जी शांति के लिए तेल सिंदूर का अभिषेक कराया जिससे उनका क्रोध शांत हुआ और शंकर जी व अन्य देवताओं ने कार्तिकेय जी तो समस्त सेना का सेनापति बना दिया तब कार्तिकेय भगवान कि पृथक में सरस्वती तट पर पिंडी रूप में स्थित हो गए और कहा कि जो व्यक्ति मेरे शरीर पर तेल का अभिषेक करेगा उसकी मृत्यु के प्राप्त हो गए पितर आदि बैकुंठ प्रतिष्ठित होकर मोक्ष के अधिकारी होंगे और कर्म क्रिया वितरण आदि का कार्य सरस्वती पर करने के बाद उनकी मेरे द्वारा साक्षी होगी


Body:समस्त भारत में कार्तिकेय भगवान के सिर्फ दो ही मंदिर है एक कुरुक्षेत्र के पिहोवा कस्बे में और दूसरा तमिलनाडु में बताया जाता है कि तमिलनाडु में स्थित मंदिर भगवान कार्तिकेय की हड्डियां वहां गिरी थी जिसके बाद उस मंदिर का निर्माण किया गया।

उत्तरी भारत में कर्म क्रिया प्रणाली को बनाए रखने में मनुष्य को कल्यनार्थ पिहोवा कार्तिकेय जी का अति प्राचीन मंदिर है मंदिर में दिन रात जो अखंड ज्योति जल रही है वह भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर द्वारा जब प्रचलित करवाई थी जब महाभारत युद्ध की मृत्यु को प्राप्त हुए सभी सगे संबंधी जिसे परीक्षित सरस्वती तट पर कर्म पिंडी दी संपन्न कराकर भगवान कार्तिकेय पर तेल का विषय कराया था अभी यह प्रथा जारी है तथा चैत्र चौदस पर लाखों तीर्थयात्री करती के प्रत्येक चलाने से कदापि नहीं चूकते


Conclusion:मंदिर के महंत राजतिलक ने बताया कि लगभग चार महीने पहले पास के गांव की एक महिला ने पीछे के रास्ते से आकर कार्तिकेय भगवान की पिंडी ऊपर तेल चढ़ा दिया था जिसका परिणाम उस महिला को आधे घंटे के अंदर ही मिल गया था महिला के पति की मौत तेल चढ़ाने के आधे घंटे बाद ही मौत हो गई थी अब इस कहानी के पीछे कितनी सच्चाई है इस बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है
मंदिर के बाहर बड़े-बड़े पोस्टर बैनर पर यह हिदायत दी गई है कि महिलाओं का इस मंदिर में जाना वर्जित है महिलाएं भी इस डर से मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं करती बाहर ही खड़े होकर भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

बाईट:-राजतिलक महन्त
बाईट:-संचित पंडित
Last Updated : Jun 30, 2019, 9:11 PM IST
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