कुरुक्षेत्र: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से करीब 150 किमी दूरी पर बसा हरियाणा के कुरुक्षेत्र का अभिमन्युपुर गांव, जिसे वॉलीबॉल खिलाड़ियों का गांव (VOLLYBOLL VILLAGE OF HARYANA) कहा जाता है. इस गांव में लगभग 20 इंटरनेशनल प्लेयर हैं और तकरीबन 3 से 4 सौ लोग इस खेल की बदौलत सरकारी नौकरी पा चुके हैं. इसी गांव में रहते हैं ब्लाइंड मैन राजाराम, आज ईटीवी भारत आपको उनसे रूबरू करवाएगा.
हर गली-मोहल्ले से वाकिफ हैं राजाराम- 68 वर्षीय बुजुर्ग राजाराम बचपन (BLIND MAN RAJARAM) से ही देख नहीं सकते हैं, लेकिन ब्लाइंडनेस उनकी कमजोरी नहीं हैं. उनका सिक्स सेंस इतना तेज है कि वह गांव के हर घर को जानते हैं, मोहल्ले की हर गली को जानते हैं. आसपास के दूसरे गांवों की सैर भी वह बिना किसी सहारे के लगा आते हैं. इनता ही नहीं, शहर तक में वह अपने काम करके आते हैं. हालांकि कहीं-कहीं पर उन्हें दूसरों के सहारे की मदद पड़ती है.
प्वॉइंट लगाने में कभी नहीं की गलती- राजाराम बताते हैं कि उनके गांव के अर्जुन अवॉर्डी वॉलीबॉल प्लेयर दलेल सिंह (ARJUN AWARDEE DALEL SINGH) जब खेलते थे, तब वे ही प्वॉइंट लगाते थे और हमेशा सही होता था. उन्होंने कहा कि पता नहीं कैसे, लेकिन वह जब भी खेल के मैदान पर जाते हैं, उनके द्वारा लगाया गया प्वॉइंट हमेशा ठीक रहता है. इसे कला कहें या भगवान का वरदान. खेल ग्राउंड पर उन्होंने कभी भी प्वॉइंट लगाने में कभी भी गलती नहीं की.
हर काम को करने में निपुण- अभिमन्युपुर गांव (ABHIMANYUPUR VILLAGE OF KURUKSHETRA) के वॉलीबॉल कोच शिव कुमार ने कहा कि राजाराम शुरू से ही वॉलीबॉल के प्रेमी रहे हैं. हमने उन्हें प्वॉइंट लगाते हुए देखा है. शिव कुमार बताते हैं कि राजाराज इनता सटीक प्वॉइंट लगाते हैं कि हर कोई हैरान रह जाए. राजाराम गांव की हर गली मोहल्ले को जानते हैं, हर घर में जाते हैं. यह कहीं ना कहीं भगवान का एक वरदान ही है, जो बिना आंखों की रोशनी के हर काम को करने में निपुण हैं.
सामाजिक कार्यों में भी रहते हैं आगे- राजाराम शुरू से ही सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हुए हैं और उन्होंने कुरुक्षेत्र स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर परिवार नियोजन पर बहुत काम किया है. अकेले राजाराम ने परिवार नियोजन में लगभग एक हजार से ज्यादा लोगों की नसबंदी करवाई है. अन्य कई सामाजिक कार्यों में भी वह आगे रहते हैं. जब पूरे विश्व में कोरोना की लहर चली हुई थी, उसमें भी राजाराम सबसे आगे रहे. उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया.
लोगों के लिए मिसाल हैं राजाराम- आज के समय में अगर कोई अपने किसी अंग से असमर्थ हो जाए तो वह दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं, लेकिन राजाराम कभी दूसरों पर आश्रित नहीं हुए. उन्होंने बिना आंखों के भी ऐसे काम किए हैं जो एक स्वस्थ व्यक्ति नहीं कर पाता. इसलिए दूसरे लोगों के लिए बुजुर्ग राजाराम एक मिसाल बने हुए हैं.
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