कुरुक्षेत्र: भारत का इतिहास जितना पुराना है उतना ही प्राचीन भी हैं. यहां के हर एक तीर्थ स्थल की अपनी अलग ही कहानी है. जिसके तार सैंकड़ों साल पुराने इतिहास से जुड़े हैं. ऐसा ही इतिहास हरियाणा के कुरुक्षेण का भी है. जो किसी वक्त में पांडवों और कौरवो के बीच हुए 'महाभारत' का गवाह बना था. कुरुक्षेत्र की पावन भूमि प्राचीनकाल से ही अपने तीर्थों के लिए प्रसिद्ध रही है.
इस पावन क्षेत्र में वैसे तो अनेक तीर्थस्थल हैं जिनकी यात्रा व्यक्ति को पापमुक्त कर देती है. ऐसा ही एक तीर्थ ब्रह्मसरोवर भी है. ये तीर्थ ब्रह्मा से संबंधित होने के कारण ब्रह्मसरोवर नाम से प्रसिद्ध हुआ है. जिसे सृष्टि का आदि तीर्थ माना जाता है. इसी तीर्थ के बीच एक और जगह है जिसे लोग द्रोपदी कूप के नाम से जानते हैं. 'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको दिखाएंगे द्रोपदी के उसी कूप के बारे में जहां द्रोपदी ने अपने खून से सने केश धोए थे.
द्रोपदी कूप से जुड़ा है महाभारत का प्राचीन इतिहास
'महाभारत' में हुए द्रौपदी के चीर हरण के बारे में तो आपने सुना ही होगा कि कैसे पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी को द्युतक्रीड़ा में कौरवों से हार गए थे. पांडवों के बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठर ने अपने भाइयों समेत द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था और वो बाद में कौरवों से हार गए थे. इसके बाद कौरवों में दुर्योधन का छोटा भाई दुशासन द्रौपदी को उनके केश पकड़ कर भरी सभा में घसीट कर ले आया था फिर कौरवों ने द्रौपदी के चीर हरण की कोशिश की थी, लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि द्रौपदी की गुहार पर भगवान कृष्ण ने उनकी लाज बचाई थी.
इसी कूप में द्रोपदी ने धोए थे खून से सने केश
इसी चीर हरण के बाद द्रौपदी ने ये प्रतीज्ञा ली थी कि जबतक वो अपने केश दुशासन की छाती के खून से नहीं धो लेगी वो अपने केश नहीं बांधेगी.जब महाभारत खत्म हुआ और पांडव महाभारत जीत गए, तब भीम ने दुशासन को मारकर उसकी छाती के खून से द्रोपदी के केश धुलवाए थे. ऐसी मान्यता है कि द्रोपदी बाद में अपने खून से सने केश लेकर इसी कूप में आई थी. जिसे अब द्रोपदी कूप के नाम से जाना जाता है.
द्रोपदी कूप से जुड़ी है एक और मान्यता
द्रोपदी कूप से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि अगर इस कूप का पानी किसी गर्भवति महिला को पिला दिया जाए तो होने वाला बच्चा भीम जैसा बलवान और बुद्धिमान पैदा होता है.
आज भी पर्यटक करते हैं द्रोपदी कूप में गुप्तदान
द्रोपदी कूप का इतिहास और मान्यता देश ही नहीं बल्कि विदेशों से आए लोगों को भी यहां खींच लाता है. ब्रह्मसरोवर आने वाले पर्यटक द्रोपदी कूप देखने की जरूर आते हैं और यहां आकर उसी कूप यानी की कुएं में पैसे डालकर गुप्तदान भी करते हैं जिसके पानी से द्रोपदी ने अपने केश धोए थे.