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कुरुक्षेत्र: मैकेनिक का बेटा बना भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, परिवार में जश्न का माहौल

कुरुक्षेत्र के टाटका गांव के रहने वाले साहिल कुमार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं. साहिल के पिता बुधराम गांव में ही मैकेनिक की दुकान चलाते हैं. बेटे के अधिकारी बनने से साहिल के परिवार में खुशी की लहर है.

lieutenant  sahil kumar
मामूली से मैकेनिक का बेटा सेना में बना लेफ्टिनेंट
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Published : Jun 16, 2020, 11:37 AM IST

Updated : Jun 16, 2020, 12:23 PM IST

कुरुक्षेत्र: इस साल देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी ने देश को 333 जांबाज अधिकारी दिए हैं. इन सभी युवा अधिकारियों ने दिन-रात मेहनत कर इस सफलता को हासिल किया है. इन युवा अधिकारियों में से एक कुरुक्षेत्र के छोटे से गांव टाटका के रहने वाले साहिल कुमार भी हैं, जो अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं. लेफ्टिनेंट साहिल के पिता बुधराम गांव में ही छोटी सी मैकेनिक की दुकान चलाते हैं.

पिता ने बच्चों की पढ़ाई को दी तवज्जो

साहिल के पिता बुधराम कम पढ़े-लिखे थे, लेकिन वो चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर परिवार और देश का नाम रौशन करें. यही वजह थी कि बुधराम ने शुरू से ही बच्चों की पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो दी और अपने सभी बच्चों को अच्छी पढ़ाई और कड़ी मेहनत करना सिखाया. जिसका नतीजा ये हुआ कि आज उनके सबसे बड़े बेटे साहिल कुमार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं.

बता दें कि शनिवार को देहरादून के आईएमए ट्रेनिंग सेंटर में हुई पासिंग आउट परेड के दौरान खुद थल सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने साहिल कुमार को बैज पहनाया था. साहिल कुमार की पहली पोस्टिंग पंजाब के पठानकोट में की गई है.

मैकेनिक का बेटा बना भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट

गांव के सरकारी स्कूल में की पढ़ाई

लेफ्टिनेंट साहिल कुमार के पिता बुधराम ने बताया कि उनका बेटा जनवरी 2019 में सेना की ट्रेनिंग के लिए देहरादून आईएमए ट्रेनिंग सेंटर गए थे. करीब डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद उनके बेटे को लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात किया गया. उन्होंने बताया कि लेफ्टिनेंट साहिल कुमार ने बारहवीं गांव के स्कूल से ही की. साहिल आठवीं कक्षा तक गांव में ही स्थित एक निजी स्कूल में पढ़े. जिसके बाद वो निवारसी गांव के नवोदय स्कूल चले गए. जहां से उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की.

लेफ्टिनेंट साहिल के पिता ने बताया कि 12वीं के बाद साहिल कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए थे. जहां उन्होंने सीडीएस का पेपर दिया था. उन्होंने कहा कि वो बेहद खुश हैं कि उनके बेटे को उनकी मेहनत का फल मिल गया है. साहिल ने सिर्फ गांव का ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा का नाम रौशन किया है.

ये भी पढ़िए: कोरोना के कारण लगा कैंपस सेलेक्शन पर ब्रेक, अधर में लटका बच्चों का भविष्य

CDS में हासिल की थी 18वीं रैंक

बता दें कि लेफ्टिनेंट साहिल कुमार ने सीडीएस की परीक्षा में पूरे देश में 18वीं रैंक हासिल की थी. उनके पिता एक मैकेनिक हैं, जो करीब 26 साल से लाडवा पुलिस स्टेशन के सामने किराए की दुकान पर बाइक रिपेयरिंग का काम कर रहे हैं. साहिल की मां गृहणी हैं. उनका छोटा भाई भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई कर रहा है और वो भी अपने भाई की तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता है.

कुरुक्षेत्र: इस साल देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी ने देश को 333 जांबाज अधिकारी दिए हैं. इन सभी युवा अधिकारियों ने दिन-रात मेहनत कर इस सफलता को हासिल किया है. इन युवा अधिकारियों में से एक कुरुक्षेत्र के छोटे से गांव टाटका के रहने वाले साहिल कुमार भी हैं, जो अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं. लेफ्टिनेंट साहिल के पिता बुधराम गांव में ही छोटी सी मैकेनिक की दुकान चलाते हैं.

पिता ने बच्चों की पढ़ाई को दी तवज्जो

साहिल के पिता बुधराम कम पढ़े-लिखे थे, लेकिन वो चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर परिवार और देश का नाम रौशन करें. यही वजह थी कि बुधराम ने शुरू से ही बच्चों की पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो दी और अपने सभी बच्चों को अच्छी पढ़ाई और कड़ी मेहनत करना सिखाया. जिसका नतीजा ये हुआ कि आज उनके सबसे बड़े बेटे साहिल कुमार भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुके हैं.

बता दें कि शनिवार को देहरादून के आईएमए ट्रेनिंग सेंटर में हुई पासिंग आउट परेड के दौरान खुद थल सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने साहिल कुमार को बैज पहनाया था. साहिल कुमार की पहली पोस्टिंग पंजाब के पठानकोट में की गई है.

मैकेनिक का बेटा बना भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट

गांव के सरकारी स्कूल में की पढ़ाई

लेफ्टिनेंट साहिल कुमार के पिता बुधराम ने बताया कि उनका बेटा जनवरी 2019 में सेना की ट्रेनिंग के लिए देहरादून आईएमए ट्रेनिंग सेंटर गए थे. करीब डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद उनके बेटे को लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात किया गया. उन्होंने बताया कि लेफ्टिनेंट साहिल कुमार ने बारहवीं गांव के स्कूल से ही की. साहिल आठवीं कक्षा तक गांव में ही स्थित एक निजी स्कूल में पढ़े. जिसके बाद वो निवारसी गांव के नवोदय स्कूल चले गए. जहां से उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की.

लेफ्टिनेंट साहिल के पिता ने बताया कि 12वीं के बाद साहिल कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए थे. जहां उन्होंने सीडीएस का पेपर दिया था. उन्होंने कहा कि वो बेहद खुश हैं कि उनके बेटे को उनकी मेहनत का फल मिल गया है. साहिल ने सिर्फ गांव का ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा का नाम रौशन किया है.

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CDS में हासिल की थी 18वीं रैंक

बता दें कि लेफ्टिनेंट साहिल कुमार ने सीडीएस की परीक्षा में पूरे देश में 18वीं रैंक हासिल की थी. उनके पिता एक मैकेनिक हैं, जो करीब 26 साल से लाडवा पुलिस स्टेशन के सामने किराए की दुकान पर बाइक रिपेयरिंग का काम कर रहे हैं. साहिल की मां गृहणी हैं. उनका छोटा भाई भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई कर रहा है और वो भी अपने भाई की तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता है.

Last Updated : Jun 16, 2020, 12:23 PM IST
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