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कोरोना की दूसरी लहर में छोटे दुकानदार हुए बेहाल, फिर वहीं पहुंचे जहां खड़े थे एक साल पहले

हरियाणा में कोरोना की दूसरी लहर में छोटे व्यापारियों, दुकानदारों के कामधंधों पर फिर से बुरा असर पड़ रहा है. वहीं सीएम सिटी करनाल में छोटे व्यापारियों, दुकानदारों की स्थिति क्या है, पढ़िए इस रिपोर्ट में.

karnal corona second wave effect
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Published : Apr 20, 2021, 9:15 PM IST

करनाल: देश में एक बार फिर से पिछले साल जैसे हालात बनते जा रहे हैं. कोरोना के कारण कई राज्यों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू लगाया जा चुका है. वहीं हरियाणा में भी सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगा दिया है. ऐसे में लोगों के कामधंधों पर फिर से बुरा असर पड़ रहा है. इनमें भी छोटे दुकानदारों को ज्यादा नुकसान हो रहा है.

सीएम सिटी करनाल की बात करें तो यहां छोटे दुकानदार, नाई, धोबी, ऑटो-ड्राइवर, फास्ट फूड सेंटर चलाने वाले, बेकरी वाले, छोटे कपड़े की दुकान वाले लोग फिर से परेशान हैं. ये लोग अभी पिछले साल लगे लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान से उभरने की कोशिश ही करे रहे थे कि अब एक बार फिर से वही हालात पैदा हो गए हैं. पहले एक महीने में 30 से 40 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन अब 15-20 हजार रुपये भी बड़ी मुश्किल से कमा पा रहे हैं.

कोरोना की दूसरी लहर में छोटे दुकानदार हुए बेहाल, फिर वहीं पहुंचे जहां खड़े थे एक साल पहले

सबसे पहले हमने हेयर ड्रेसर की दुकान पर जाकर बातचीत. हेयर ड्रेसर कृष्ण और सोनू ने बताया कि पिछले साल कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद लगभग 3 महीने पहले ही यहां दोबारा काम शुरू हुआ था. सब पहले की तरह ठीक होने लगा था, लेकिन अब दोबारा से कोरोना के मामले बढ़ने के कारण उनका काम ठप्प होने लगा है.

ये भी पढ़ें- देश की पहली एनिमल रिसर्च फैसिलिटी चंडीगढ़ PGI में शुरू, जानिए क्यों है खास

वहीं यही हाल कपड़ों पर इस्त्री व ड्राइक्लीन करने वाले दुकानदारों का भी है. इस्त्री व ड्राइक्लीन की दुकान चलाने वाले अभिषेक ने बताया कि लोग वैसे ही कोरोना के आने के बाद कपड़ों को दुकानों पर इस्त्री व ड्राइक्लीन करवाने से डरने लगे थे. ऐसे में फिर से कोरोना के केस बढ़ने पर अब धंधा चौपट होने की नौबत आ जाएगी. कुछ यही हाल सब्जी विक्रेता, किराना की दुकान, कपड़ों के छोटे व्यापारी और फास्ट फूड की दुकान चलाने वालों को भी है. हर कोई कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर डरा हुआ है.

कुल मिलाकर जितने छोटे व्यापारी या दुकानदार हैं जो रोजमर्रा की जरूरतों की दुकानें चला रहे हैं उन सभी का काम कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों के कारण ठप्प होने की कगार पर आ गया है. ऐसे में ये लोग अब केवल सरकार से कुछ मदद मिलने आस लगाए बैठे हैं.

ये भी पढ़ें- खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2021 की तारीखों का हुआ एलान, जानिए कब होगा आयोजन

करनाल: देश में एक बार फिर से पिछले साल जैसे हालात बनते जा रहे हैं. कोरोना के कारण कई राज्यों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू लगाया जा चुका है. वहीं हरियाणा में भी सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगा दिया है. ऐसे में लोगों के कामधंधों पर फिर से बुरा असर पड़ रहा है. इनमें भी छोटे दुकानदारों को ज्यादा नुकसान हो रहा है.

सीएम सिटी करनाल की बात करें तो यहां छोटे दुकानदार, नाई, धोबी, ऑटो-ड्राइवर, फास्ट फूड सेंटर चलाने वाले, बेकरी वाले, छोटे कपड़े की दुकान वाले लोग फिर से परेशान हैं. ये लोग अभी पिछले साल लगे लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान से उभरने की कोशिश ही करे रहे थे कि अब एक बार फिर से वही हालात पैदा हो गए हैं. पहले एक महीने में 30 से 40 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन अब 15-20 हजार रुपये भी बड़ी मुश्किल से कमा पा रहे हैं.

कोरोना की दूसरी लहर में छोटे दुकानदार हुए बेहाल, फिर वहीं पहुंचे जहां खड़े थे एक साल पहले

सबसे पहले हमने हेयर ड्रेसर की दुकान पर जाकर बातचीत. हेयर ड्रेसर कृष्ण और सोनू ने बताया कि पिछले साल कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद लगभग 3 महीने पहले ही यहां दोबारा काम शुरू हुआ था. सब पहले की तरह ठीक होने लगा था, लेकिन अब दोबारा से कोरोना के मामले बढ़ने के कारण उनका काम ठप्प होने लगा है.

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वहीं यही हाल कपड़ों पर इस्त्री व ड्राइक्लीन करने वाले दुकानदारों का भी है. इस्त्री व ड्राइक्लीन की दुकान चलाने वाले अभिषेक ने बताया कि लोग वैसे ही कोरोना के आने के बाद कपड़ों को दुकानों पर इस्त्री व ड्राइक्लीन करवाने से डरने लगे थे. ऐसे में फिर से कोरोना के केस बढ़ने पर अब धंधा चौपट होने की नौबत आ जाएगी. कुछ यही हाल सब्जी विक्रेता, किराना की दुकान, कपड़ों के छोटे व्यापारी और फास्ट फूड की दुकान चलाने वालों को भी है. हर कोई कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर डरा हुआ है.

कुल मिलाकर जितने छोटे व्यापारी या दुकानदार हैं जो रोजमर्रा की जरूरतों की दुकानें चला रहे हैं उन सभी का काम कोरोना के फिर से बढ़ते मामलों के कारण ठप्प होने की कगार पर आ गया है. ऐसे में ये लोग अब केवल सरकार से कुछ मदद मिलने आस लगाए बैठे हैं.

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