करनाल: एक तरफ जहां कोरोना महामारी से पूरी दुनिया परेशान है, लोग लगातार अपनों को खो रहे हैं. इलाज के लिए लोग हर कीमत चुका रहे हैं, वहीं इसी बीच निजी अस्पतालों ने ऐसे हालातों में लोगों को जमकर लूटा है. इसकी बानगी करनाल में भी देखने को मिली है. करनाल में लोगों के बीच पनपे कोरोना वायरस के खौफ और मौत की दहशत को निजी अस्पतालों ने खूब कैश किया. इस बात का खुलासा एक जांच रिपोर्ट से हुआ है.
अस्पतालों ने 57 लाख से ज्यादा की वसूली की
करनाल में प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हुए कोरोना मरीजों से इलाज और दवाइयों के नाम पर खूब पैसे बटोरे गए. लोगों से मिली शिकायतों के बाद हुई जांच में खुलासा हुआ कि नौ अस्पतालों ने कोरोना संक्रमित मरीजों से 57 लाख रुपये अधिक वसूल किए हैं. जांच में सामने आया कि निजी अस्पतालों ने पीपीई किट व रेमडेसिविर की मनमुताबिक कीमत ली है.
शिकायतें मिलने पर जांच कमेटी बनाई
कोरोना की मार के साथ प्राइवेट अस्पतालों की मार से बिलखते लोगों ने जिला प्रशासन से शिकायतें की थी. जिसके बाद अस्पतालों की जांच के लिए कमेटी गठित की गई. इस कमेटी ने तीन हजार बिलों की जांच की. जांच में सामने आया कि मार्च से मई तक कोविड के जो मरीज इलाज के लिए निजी अस्पतालों में दाखिल हुए उनसे निर्धारित बिलों से ज्यादा पैसे वसूले गए हैं.
480 मरीजों से लिए ज्यादा पैसे
जांच में उजागर हुआ कि 480 मरीजों से दवाइयों, पीपीई किट व अन्य टेस्टों के नाम पर निर्धारित रेट से अधिक चार्ज किया गया. शुगर मिल की एमडी डॉ. अदिति की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डीसी निशांत कुमार यादव को सौंप दी है. इस जांच रिपोर्ट में 9 अस्पतालों के नाम है जिन्होंने सरकार के नियमों को तोड़ते हुए महामारी काल में लोगों से अधिक वसूली की है.
इन 9 अस्पतालों ने वसूला ज्यादा पैसा-
अस्पतालों को पैसे लौटाने के दिए आदेश
जिला प्रशासन ने सबंधित अस्पतालों को नोटिस जारी कर जिन मरीजों से ज्यादा पैसे लिए गए हैं उन्हें वापस लौटने के निर्देश दिए हैं. अगर कोई अस्पताल आदेश नहीं मानेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हालांकि पीड़ित लोगों ने दोषी पाए गए अस्पतालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किये जाने की मांग की है.
आरोपित निजी अस्पताल संचालकों ने दिया ये तर्क
जांच रिपोर्ट आने के बाद सवालों में घिरे निजी अस्पताल संचालकों ने मरीजों को पैसे लौटाने की हामी तो भरी, लेकिन साथ ही ये तर्क भी दिया का सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन्स नहीं होने की वजह से मरीजों से पीपीई किट के पैसे लिए गए. पार्क अस्पताल के निदेशक अशोक कुमार ने कहा कि वे प्रशासन के निर्देशों को मानने को तैयार है और मरीजों को पैसे लौटा भी रहे हैं, जैसे गाइडलाइंस थी उसके हिसाब से ही चार्ज किया था बाकी जो भी सरकार और प्रशासन का आदेश होगा वैसा ही करेंगे.
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