करनाल: जिले में खेती दिन प्रतिदिन किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है, क्योंकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा (Natural Farming In Haryana) है. इसी के साथ-साथ जो खेती से जुड़े उत्पाद है वह सभी महंगे हो गए हैं. जिसके चलते किसान को खेती में अच्छी आमदन ना होने के चलते वह घाटे में चले जाते हैं. इसी कड़ी में हरियाणा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने देसी गाय के ऊपर सब्सिडी देने का प्रावधान पास किया (subsidy on indigenous cow in Haryana) है.
प्राकृतिक खेती को जीरो बजट फार्मिंग कहा जाता है जिसका अर्थ है कि शून्य पैसों में अपनी खेती करें यह खेती देसी गाय के गोबर से की जाती है. बता दें, आज से 50 बर्ष पहले लोग प्राकृतिक खेती किया करते थे. उस समय किसान बिना किसी खाद और दवाईयों के खेती किया करते थे. लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे खेती करने के तरीके में भी बदलाव आए है. लोग हाईटेक करने की जद्दोजहद में दिन-प्रतिदिन फसलों में फर्टिलाइजर का प्रयोग कर रहे हैं. जिससे फसल जहर बनाती जा रही है. इसी के चलते हरियाणा सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए इस पर काम करना शुरू कर दिया है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने करनाल से प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम का ऐलान किया है. प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के लिए जो भी किसान देसी गाय 25000 रुपए में खरीदते हैं उन्हें गाय के ऊपर सब्सिडी दी (Natural Farming In Karnal) जाएगी. हालांकि अभी इसका कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है कि यह सब्सिडी कितनी दी जाएगी और किस आधार पर दी जाएगी.
किसान गजे सिंह ने कहा कि अगर सरकार ने ऐसी घोषणा की है तो किसानों के लिए अच्छी बात (Karnal farmers on natural farming) है, लेकिन किसानों के लिए प्राकृतिक खेती के लिए एक रणनीति बनाने की जरूरत है. किसान जो प्राकृतिक खेती करते हैं उसमें उनकी पैदावार दूसरी खेती से कम होती है, लेकिन जब वह उसको पकने के बाद बाजार में बेचने जाते हैं. तब उसको खरीदने वाले ग्राहक नहीं मिलते जिसके चलते उन्हें पूरे गांव पर अपनी फसल बेचने पड़ती है. इसलिए सरकार को चाहिए कि प्राकृतिक खेती के उत्पाद के लिए मंडिया सुनिश्चित की जाए और रेट भी अच्छा दिया जाए.
किसानों ने कहा कि उन्होंने पहले प्राकृतिक खेती की लेकिन तीन-चार साल तक उनकी पैदावार बहुत ज्यादा कम हुई और किसान इतना लंबा इंतजार नहीं कर सकता. क्योंकि मौजूदा समय में महंगाई ज्यादा बढ़ गई है. अगर उसके खेत तीन-चार साल तक खाली पड़े रहे तो वैसे में किसान कर्जदार हो जाता है, तो सरकार को इसके ऊपर एक मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए जिससे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा सके.
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कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा से किसान खुश है, लेकिन कहीं ना कहीं उनका ये भी मानना है कि प्राकृतिक खेती करने के लिए सरकार को एक मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए कि कैसे प्राकृतिक खेती करने से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जब प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलेगा तभी दूसरे किसान भी प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ेंगे.