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स्पेशल रिपोर्ट: रेतीले टीलों पर हरियाणा के किसान ने उगा दिए सेब - रेतीले टीलों पर सेब की खेती

गांव उचाना के किसान नरेंद्र चौहान बागवानी में नए-नए प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अपने प्रयोग से बाग में सेब और बादाम भी उगा रहे हैं.

रेतीले टीलों पर हिमाचली सेब की खेती,
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Published : Jun 16, 2019, 10:18 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 12:47 PM IST

करनाल: सेब का नाम लेते ही शिमला, कश्मीर और कुल्लू जैसे पहाड़ी क्षेत्रों के नाम जेहन में आते हैं. जहां इसकी उम्दा फसल स्वाभाविक तौर पर ज्यादा मात्रा में उगाई जाती है. गर्म और मैदानी इलाकों में सेब की फसल की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है. लेकिन हरियाणा के एक किसान ने करनाल में सेब के पौधे लगाए हैं. गांव उचाना के किसान नरेंद्र चौहान बागवानी में नए-नए प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अपने प्रयोग से बाग में सेब और बादाम भी उगा रहे हैं. 14 एकड़ में लगे बाग में किन्नू, अमरूद, आम, लीची व चीकू लगाए हुए हैं. किसान का कहना है कि उसे प्रति एकड़ एक लाख रुपए से ज्यादा आमदनी हो जाती है.

क्लिक कर देखें वीडियो

किसान नरेंद्र कर रहे नए-नए प्रयोग
सेब के बाग हिमाचल और कश्मीर में हैं. हरियाणा में कहीं भी सेब नहीं होता. लेकिन हरियाणा के किसान ने एक नया प्रयोग कर सबको चौंका दिया है. किसान नरेंद्र ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले सेब के 227 पौधे लगाए. जिसमें अब फल आना शुरू हो गया. किसान ने बताया कुछ फल पिछले साल आए थे. लेकिन इस बार पेड़ों पर ज्यादा मात्रा में सेब लगे हैं और अच्छे परिणाम आए हैं.

हिमाचल में पालमपुर युनिवर्सिटी ने तैयार की पौध
किसान नरेंद्र चौहान ने बताया कि हिमाचल में पालमपुर युनिवर्सिटी ने सेब की एक ऐसी पौध तैयार की है जो निचले इलाके में ज्यादा तापमान में भी फल देती है. हिमाचल यूनिवर्सिटी से जानकारी जुटाने के बाद इस नमूने के पौधे लाकर यहां लगाए गए हैं.

करनाल: सेब का नाम लेते ही शिमला, कश्मीर और कुल्लू जैसे पहाड़ी क्षेत्रों के नाम जेहन में आते हैं. जहां इसकी उम्दा फसल स्वाभाविक तौर पर ज्यादा मात्रा में उगाई जाती है. गर्म और मैदानी इलाकों में सेब की फसल की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है. लेकिन हरियाणा के एक किसान ने करनाल में सेब के पौधे लगाए हैं. गांव उचाना के किसान नरेंद्र चौहान बागवानी में नए-नए प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अपने प्रयोग से बाग में सेब और बादाम भी उगा रहे हैं. 14 एकड़ में लगे बाग में किन्नू, अमरूद, आम, लीची व चीकू लगाए हुए हैं. किसान का कहना है कि उसे प्रति एकड़ एक लाख रुपए से ज्यादा आमदनी हो जाती है.

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किसान नरेंद्र कर रहे नए-नए प्रयोग
सेब के बाग हिमाचल और कश्मीर में हैं. हरियाणा में कहीं भी सेब नहीं होता. लेकिन हरियाणा के किसान ने एक नया प्रयोग कर सबको चौंका दिया है. किसान नरेंद्र ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले सेब के 227 पौधे लगाए. जिसमें अब फल आना शुरू हो गया. किसान ने बताया कुछ फल पिछले साल आए थे. लेकिन इस बार पेड़ों पर ज्यादा मात्रा में सेब लगे हैं और अच्छे परिणाम आए हैं.

हिमाचल में पालमपुर युनिवर्सिटी ने तैयार की पौध
किसान नरेंद्र चौहान ने बताया कि हिमाचल में पालमपुर युनिवर्सिटी ने सेब की एक ऐसी पौध तैयार की है जो निचले इलाके में ज्यादा तापमान में भी फल देती है. हिमाचल यूनिवर्सिटी से जानकारी जुटाने के बाद इस नमूने के पौधे लाकर यहां लगाए गए हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी ---- हरियाणा के करनाल में नरेन्द्र किसान ने हरियाणा में हिमाचल का बिखेरा रंग , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करते हुए किसानों की आय हो दोगुनी अपनाया बागवानी को , बागवानी में किये नए प्रयोग , हरियाणा की धरती पर ही कर डाली सेव की खेती ,आए प्रणाम अच्छे, लाल और हरे रंग के सेब से भरने लगे है पेड़,कम पानी से ज्यादा मुनाफे की इस खेती को अपना कर दूसरे किसानों के लिए नरेन्द्र किसान बना रोल मॉडल ।


Body:जैसे पेड़ अपना पूरा जीवन काल मानव सेवा में लगा देते हैं और बदले में कुछ नहीं लेते ठीक इसी प्रकार किसान भी अपना पूरा जीवन देश की जनता की सेवा में व्यतीत कर देते हैं लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि लहलहाती फसल के बीच में रंग बिरंगे फूल खिले हो तो नजारा देखते ही बनता है साथ ही कुछ दूरी चलने पर ही मीठे अमरूद और खट्टे मीठे आम का स्वाद चखने को मिल जाए तो कहना ही क्या थोड़ा और आगे चलने पर सुरख लाल सेब से लदे पेड़ों से स्वादिष्ट और मीठे सेब खाने का मौका मिल जाए तो मानो जन्नत की सैर कर आए । जी हां यहां किसी काल्पनिक दृश्य की बात नहीं हो रही बल्कि सच में ऐसा अब हिमाचल कश्मीर के इलावा हरियाणा में भी संभव है । खेती करने की नई विधि एक ऐसा अवसर किसानों को प्रदान कर रही है इससे ना सिर्फ खेती का एक नया आयाम खुला है बल्कि इस विधि को अपनाने से किसान अपनी आय में वृद्धि भी कर सकते हैं । ऐसा करिश्मा करनाल के किसान नरेंद्र चौहान ने किया हरियाणा की धरती पर ही सेब की खेती कर डाली है जिसके प्रणाम अच्छे आए है और आज उन पेड़ों पर लाल और हरे रंग के सेब दिखाई देने लग गए हैं । ऐसी खेती को अपनाकर दूसरे किसानों के लिए नरेंद्र किसान एक रोल मॉडल बन गया है ।


Conclusion:वीओ- किसान नरेंद्र चौहान ने बताया कि हिमाचल के पालमपुर यूनिवर्सिटी ने एक ऐसी नमूने की पौध तैयार की है जो कि निचले इलाके में ज्यादा तापमान में भी फल देती है । हिमाचल यूनिवर्सिटी से जानकारी जुटाने के बाद इस नमूने के पौधे लाकर यहां लगाए गए । अबकी बार चौथा साल है पेड़ों में काफी फल आ चुके हैं और कुछ एक फल पकने भी शुरू हो गए हैं । अब मुझे विश्वास हो चुका है कि हरियाणा के अंदर सेब की खेती पूरी तरह से कामयाब हो गई है । हरियाणा के किसानों के लिए अब यहीं पर ऐसे नमूने की पौध तैयार की जा रही है और किसानों को सिखाया भी जा रहा है । हरियाणा के किसान अब ऐसी सेबों की पौध लगाकर बाग लगा सकते हैं । नरेंद्र किसान से सेबो की खेती पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि मैंने हरियाणा को हिमाचल बना दिया है । उन्होंने कहा कि किसानों को अब परंपरागत खेती को बदलने का समय आ गया है क्योंकि सरकार की भी मजबूरी है कि किसानों को किए गए वायदे के अनुसार गेहूं और जीरी सरकार खरीदती है और सरकार को इसमें कोई बचत नहीं है । किसान गेहूं जीरी की खेती को छोड़कर दूसरी खेती की तरफ आए तो किसान को फायदा भी ज्यादा होगा और सहूलियत भी ज्यादा से ज्यादा मिलेगी । इसके साथ साथ इस प्रकार की खेती करने से पानी का भी कम प्रयोग होता है जिससे हरियाणा के कई क्षेत्र जो डार्क जोन में आ चुके हैं उनको भी फायदा मिलेगा । अगर किसान हॉर्टिकल्चर में अच्छी मेहनत समय पर करें तो ज्यादा मुनाफा मिल सकता है । कोई किसान जो गेहूं जीरी लगाता है वह आत्महत्या नहीं करेगा अगर वह अपना ध्यान हॉर्टिकल्चर की तरफ कर ले सरकार द्वारा चलाई गई योजना किसान की डबल इनकम इसके माध्यम से ही पूरी हो सकती है ।

बदलते मौसम के कारण वहां के आर्थिक समाजिक व पर्यावरणीय स्थिति में भी परिवर्तन होता है घटते भूजल स्तर और बिजली की समस्या आने वाले समय में गेहूं और जीरी की खेती करने वाले किसानों को बहुत बड़ी समस्या से जूझना पड़ सकता है । बागवानी करने की दिशा में किसानों के सबसे उत्तम विकल्प है और जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी ।

बाईट - नरेन्द्र - किसान
बाईट - शमशेर कटोच - जानकारी लेने आया किसान
TIC TAK WITH NARENDER KISAN
Last Updated : Jun 17, 2019, 12:47 PM IST
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