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इंद्री में वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का हुआ खुलासा, 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज - इंद्री फर्जी वाहन रजिस्ट्रेशन गिरफ्तार

इंद्री एसडीएम कार्यालय में फाइनेंस कंपनियों द्वारा किए गए फर्जी रजिस्ट्रेशन का बड़ा खुलासा सामने आया है. इनमें हरियाणा रोडवेज करनाल के एक कर्मचारी तथा एसडीएम ऑफिस के डीलिंग हेड क्लर्क ऑपरेटर के नाम शामिल हैं.

fake vehicle RC case indri
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Published : Mar 14, 2021, 4:49 PM IST

करनाल : इंद्री एसडीएम कार्यालय में वाहनों की फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला सामने आया है. इसमें पाया गया कि फाइनेंस कंपनियों द्वारा जब्त किए गए वाहनों के रजिस्ट्रेशन बदलकर कागजों में उसका मॉडल नया दिखाया जाता था जिससे की उसकी वैधता 4 साल से 5 साल के लिए बढ़ जाती है. ऐसे 22 वाहन जांच के दौरान सामने आए.

इस पूरे फर्जीवाड़े में एसडीएम कार्यालय व हरियाणा रोडवेज के एक कर्मचारी सहित 11 कर्मचारियों की मिलीभगत पाई गई. इनमें हरियाणा रोडवेज के करनाल के एक कर्मचारी तथा एसडीएम ऑफिस के डीलिंग हेड क्लर्क ऑपरेटर के नाम शामिल हैं. इन सभी पर पुलिस के द्वारा केस दर्ज कर लिया गया है.

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मिली जानकारी के अनुसार उपमंडल अधिकारी पंजीकरण इंद्री की तरफ से 22 वाहनों में से 21 वाहनों की रजिस्ट्रेशन से संबंधित फाइलों में लगे कागजात की फोटोकॉपी डिटेक्टिव स्टाफ को उपलब्ध करवाई गई थी जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ है.

फरवरी 2019 में डिटेक्टिव स्टाफ ने इंद्री एसडीएम कार्यालय से 22 वाहनों की रजिस्ट्रेशन के कागजात की सूचना मांगी थी, लेकिन इन कागजातों की सूचना दो साल के बाद दी गई जिसके बाद एसडीएम कार्यालय पर सवालिया निशान उठना लाजिम था.

बता दें कि, जांच रिपोर्ट के अनुसार नए वाहन के तौर पर पासिंग करवाई और नए वाहन के तौर पर पंजीकृत करवाए जाने के लिए एसडीएम कार्यालय इन्द्री के डीलिंग हेड कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी नाम पतों पर पुराने मॉडल के वाहनों को 2019 मॉडल में फर्जी तौर पर फर्जी दस्तावेज तैयार करके पंजीकृत करवाए जाते थे.

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इसमें जिन-जिन व्यक्तियों के नाम और पते पर उपरोक्त सभी वाहन पंजीकृत किए गए है उन मकानों के बारे में नगर पालिका इन्द्री के रिकॉर्ड में कोई जानकारी नहीं है. पंजीकरण के लिए तैयार की गई फाइलों में काफी दस्तावेज ऐसे हैं जो बिल्कुल ब्लेंक है जैसे फॉम- 35 व एफिडेविट आदि.

ये पूरा मामला इंद्री एसडीएम सुमित सिहाग के कार्यकाल में हुआ. हालांकि उनका नवंबर 2020 में यहां से उनका तबादला हो गया था, लेकिन उसके ठीक 3 महीने के बाद उनको फिर से इंद्री एसडीएम का कार्यभार दिया गया. उन्हीं के कार्यकाल में यह सब फर्जीवाड़ा हुआ है और इतना बड़ा फर्जीवाड़ा किसी भी अधिकारी की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता.

जब इस पूरे मामले पर इंद्री एसडीएम से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे से सूचना मांगी गई थी जिसमें 21 वाहनों के रजिस्ट्रेशन में कुछ फर्जीवाड़ा हुआ है. यह जांच का विषय है. जांच के बाद ही जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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करनाल : इंद्री एसडीएम कार्यालय में वाहनों की फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला सामने आया है. इसमें पाया गया कि फाइनेंस कंपनियों द्वारा जब्त किए गए वाहनों के रजिस्ट्रेशन बदलकर कागजों में उसका मॉडल नया दिखाया जाता था जिससे की उसकी वैधता 4 साल से 5 साल के लिए बढ़ जाती है. ऐसे 22 वाहन जांच के दौरान सामने आए.

इस पूरे फर्जीवाड़े में एसडीएम कार्यालय व हरियाणा रोडवेज के एक कर्मचारी सहित 11 कर्मचारियों की मिलीभगत पाई गई. इनमें हरियाणा रोडवेज के करनाल के एक कर्मचारी तथा एसडीएम ऑफिस के डीलिंग हेड क्लर्क ऑपरेटर के नाम शामिल हैं. इन सभी पर पुलिस के द्वारा केस दर्ज कर लिया गया है.

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मिली जानकारी के अनुसार उपमंडल अधिकारी पंजीकरण इंद्री की तरफ से 22 वाहनों में से 21 वाहनों की रजिस्ट्रेशन से संबंधित फाइलों में लगे कागजात की फोटोकॉपी डिटेक्टिव स्टाफ को उपलब्ध करवाई गई थी जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ है.

फरवरी 2019 में डिटेक्टिव स्टाफ ने इंद्री एसडीएम कार्यालय से 22 वाहनों की रजिस्ट्रेशन के कागजात की सूचना मांगी थी, लेकिन इन कागजातों की सूचना दो साल के बाद दी गई जिसके बाद एसडीएम कार्यालय पर सवालिया निशान उठना लाजिम था.

बता दें कि, जांच रिपोर्ट के अनुसार नए वाहन के तौर पर पासिंग करवाई और नए वाहन के तौर पर पंजीकृत करवाए जाने के लिए एसडीएम कार्यालय इन्द्री के डीलिंग हेड कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी नाम पतों पर पुराने मॉडल के वाहनों को 2019 मॉडल में फर्जी तौर पर फर्जी दस्तावेज तैयार करके पंजीकृत करवाए जाते थे.

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इसमें जिन-जिन व्यक्तियों के नाम और पते पर उपरोक्त सभी वाहन पंजीकृत किए गए है उन मकानों के बारे में नगर पालिका इन्द्री के रिकॉर्ड में कोई जानकारी नहीं है. पंजीकरण के लिए तैयार की गई फाइलों में काफी दस्तावेज ऐसे हैं जो बिल्कुल ब्लेंक है जैसे फॉम- 35 व एफिडेविट आदि.

ये पूरा मामला इंद्री एसडीएम सुमित सिहाग के कार्यकाल में हुआ. हालांकि उनका नवंबर 2020 में यहां से उनका तबादला हो गया था, लेकिन उसके ठीक 3 महीने के बाद उनको फिर से इंद्री एसडीएम का कार्यभार दिया गया. उन्हीं के कार्यकाल में यह सब फर्जीवाड़ा हुआ है और इतना बड़ा फर्जीवाड़ा किसी भी अधिकारी की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता.

जब इस पूरे मामले पर इंद्री एसडीएम से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे से सूचना मांगी गई थी जिसमें 21 वाहनों के रजिस्ट्रेशन में कुछ फर्जीवाड़ा हुआ है. यह जांच का विषय है. जांच के बाद ही जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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