करनाल: हरियाणा में आढ़तियों की हड़ताल खत्म (Arhtiyas strike in Karnal) हो गई है. अनाज मंडी में आज आढ़तियों ने अपनी हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया है. हरियाणा सरकार ने ई- नेम की शर्त वापस ले ली है. जबकि आढ़तियों की दो मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है. बता दें कि ई नेम प्रणाली सहित आढ़तियों की कुल 11 मांगे थे जिनमें से एक मांग हरियाणा सरकार द्वारा मान ली गई है. अभी भी आढ़तियों की 8 मांगे पेंडिंग है.
आढ़तियों की ई नेम पार्टल में पंजीकरण (Arhtiyas registration in e name portal) अनिवार्यता के अलावा अन्य कई मांगे भी थीं. इनमें मार्केट फीस चार फीसदी से दो फीसदी करने की मुख्य मांग थी. बताया जा रहा है कि शनिवार को हरियाणा भवन में हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री जेपी दलाल ने आढ़तियों को इसे भी शीघ्र कम करने का आश्वासन दिया है. हालांकि इस पर अंतिम फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में लिया जाएगा.
राज्य सरकार आढ़तियों को दूसरे राज्यों के किसानों से फसल खरीद के लिए भी नहीं रोकेगी. ऐसा आश्वासन सरकार की ओर से अनौपचारिक रूप से दिया जा चुका है. आढ़ती अपना कमीशन भी ढाई फीसदी चाहते हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने अपनी संस्तुति केंद्र सरकार को भेजने का आश्वासन दिया है.
बता दें कि बीते कुछ दिनों से आढ़ती हड़ताल पर थे. जबकि किसानों की धान की फसल तैयार होकर मंडी पहुंची गई थी. लेकिन आढ़तियों के हड़ताल पर जाने से किसानों दो तरफा नुकसान को झेलना पड़ा है. हड़ताल पर जाने के बाद जब सरकार ने उनसे कोई बातचीत नहीं की तब आढ़तियों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया, लेकिन मंगलवार की सुबह आढ़तियों ने बिना किसी सरकार के नुमाइंदे से बातचीत किये हड़ताल को खत्म कर दिया. साथ ही अपने आमरण अनशन को भी समाप्त कर दिया.
करनाल नई अनाज मंडी के प्रधान रजनीश चौधरी से जब फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने किसानों की धान खरीद के लिए अपनी हड़ताल और आमरण अनशन को समाप्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिन से लगातार तेज बारिश हो रही है. किसानों की काफी धान की फसल मंडी में आई है, लेकिन हड़ताल होने के कारण खरीद ना होने के चलते उनकी काफी फसल खराब हो गई है. किसान हित में फैसला लेते हुए हम लोगों ने अपने सभी आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने फैसला (arhtiyas suspend indefinite strike in Karnal) लिया. फिलहाल के लिए हड़ताल खत्म कर दी जाए और किसान की धान खरीदी जाए. वहीं उन्होंने कहा कि हमारी मांगे अभी तक सरकार ने नहीं मानी है जिसके चलते अपनी मांगों के लिए धान का सीजन खत्म होने के बाद सभी पदाधिकारियों से मीटिंग करके आगे का फैसला लिया जाएगा.
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