करनाल: हरियाणा में 15 जून से पहले धान रोपाई पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है. किसी भी किसान ने इससे पहले धान की रोपाई की तो उसके खिलाफ हरियाणा भूमिगत जल परीक्षण अधिनियम 2009 के तहत विभागीय कार्रवाई की जाती है. करनाल मे कृषि विभाग की ओर से धान की रोपाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है. नीचे खिसक रहे भूजल स्तर को देखते हुए सरकार का आदेश है कि किसान 15 मई से पहले धान की नर्सरी और 15 जून से पहले धान की रोपाई ना करें.
हरियाणा में धान की खेती का क्षेत्रफल करीब 13 लाख हेक्टेयर है. इस विषय में जानकारी देते हुए हरियाणा कृषि विभाग (Haryana Agriculture Department) के जिला उप निदेशक डॉक्टर आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि पानी की समस्या को देखते हुए किसानों को जागरुक किया जा रहा है. लेकिन कुछ किसान समय से पहले धान की रोपाई कर रहे हैं. इसको लेकर विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है. सोमवार को संगोहा, संगोही, चूरनी आदि कई गांव में ट्रैक्टर के माध्यम से फसल को नष्ट किया गया. मंगलवार को गांव खेड़ी मानसिंह, बयाना, गढ़ी गुजरान, समोरा आदि कई गांव में धान को नष्ट करने की कार्यवाही की गई.
खेड़ी मानसिंह में एक किसान ने 2 एकड़ में धान की रोपाई की थी. कृषि विभाग के अधिकारियों की देखरेख में इस फसल पर दवाई से स्प्रे कर नष्ट करवाया गया. इस तरह से करनाल में करीब 45 एकड़ धान की फसल नष्ट की जा चुकी है. इसके अलावा इन किसानों पर 4 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से जुर्माना भी लगाया गया है. उप निदेशक डबास का कहना है कि प्रदेश में नीचे खिसक रहा भू जल स्तर चिंता का विषय है. यह बात किसानों को समझ लेनी चाहिए कि आने वाले समय में पाने के पानी की समस्या भी खड़ी हो सकती है.
उप निदेशक डबास ने कहा कि किसान धान को छोड़कर अन्य फसल उगाएं. इसके लिए सरकार की तरफ से अनुदान भी दिया जा रहा है. यदि किसान मक्का, ज्वार, उड़द, मूंग आदि फसलों को उगाते हैं तो सरकार की तरफ से 7000 रुपए प्रति एकड़ किसान को दिये जाते हैं. इसके अलावा जिन किसानों के खेतों में जलभराव की समस्या है और वो उस खेत को खाली रखते हैं तो ऐसे किसानों को भी 7 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से पैसे दिये जा रहे हैं.