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4 महीने से उधार खाते पर चल रहा है जींद का ये सरकारी अस्पताल

सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा तो करती है लेकिन जींद के सरकारी अस्पताल के हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. इस अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी तो थी ही ऊपर से अब अस्पताल के पास 4 महीने से बजट भी नहीं है.

budget problem jind civil hospital
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Published : Dec 24, 2019, 9:02 PM IST

जींद: जिले का ये सरकारी अस्पताल 4 महीने से उधार खाते पर चल रहा है. अस्पताल पर विभिन्न दवा कंपनियों का एक करोड़ से भी ज्यादा का उधार हो चुका है. अस्पताल में दी जाने वाली सीटी स्कैन में डायलिसिस जैसी सेवाओं की उधारी भी लाखों में हो गई है.

इतना ही नहीं पिछले 2 महीने से अस्पताल में लगे 217 कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है. ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है कि कैसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा सकती है. इस बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी शशि प्रभा अग्रवाल से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 4 महीने से बजट की समस्या है.

4 महीने से उधार खाते पर चल रहा है जींद का ये सरकारी अस्पताल.

ये भी पढ़ेंः झज्जर: लाखों का बिजली बिल देख छूटा ग्रामीणों का पसीना, विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल

इसको लेकर लगातार विभाग को रिमाइंडर दिए जा रहे हैं. कई बार अधिकारियों से फोन पर भी बातचीत की गई है. जल्द ही बजट उपलब्ध करवाने का आश्वासन मिला है. बजट न मिलने का कारण दवाओं की लोकल परचेज की जा रही है.

सरकार अस्पताल में बजट का उपलब्ध न होना सरकार के दावों की पोल खोल रहा है. अस्पताल प्रशासन को करीब 45 लाख रुपए हर महीने आउटसोर्सिंग स्टाफ की तनख्वाह के लिए चाहिए होते हैं लेकिन अस्पताल के पास फिलहाल कोई बजट उपलब्ध नहीं है इसलिए कर्मचारी भी बिना तनख्वाह के काम कर रहे हैं. अब देखना होगा कि इस अस्पताल के अच्छे दिन कब आते हैं.

ये भी पढ़ें:कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण मेले की तैयारियां पूरी, 15 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना

जींद: जिले का ये सरकारी अस्पताल 4 महीने से उधार खाते पर चल रहा है. अस्पताल पर विभिन्न दवा कंपनियों का एक करोड़ से भी ज्यादा का उधार हो चुका है. अस्पताल में दी जाने वाली सीटी स्कैन में डायलिसिस जैसी सेवाओं की उधारी भी लाखों में हो गई है.

इतना ही नहीं पिछले 2 महीने से अस्पताल में लगे 217 कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला है. ऐसे में ये एक बड़ा सवाल है कि कैसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा सकती है. इस बारे में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी शशि प्रभा अग्रवाल से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 4 महीने से बजट की समस्या है.

4 महीने से उधार खाते पर चल रहा है जींद का ये सरकारी अस्पताल.

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इसको लेकर लगातार विभाग को रिमाइंडर दिए जा रहे हैं. कई बार अधिकारियों से फोन पर भी बातचीत की गई है. जल्द ही बजट उपलब्ध करवाने का आश्वासन मिला है. बजट न मिलने का कारण दवाओं की लोकल परचेज की जा रही है.

सरकार अस्पताल में बजट का उपलब्ध न होना सरकार के दावों की पोल खोल रहा है. अस्पताल प्रशासन को करीब 45 लाख रुपए हर महीने आउटसोर्सिंग स्टाफ की तनख्वाह के लिए चाहिए होते हैं लेकिन अस्पताल के पास फिलहाल कोई बजट उपलब्ध नहीं है इसलिए कर्मचारी भी बिना तनख्वाह के काम कर रहे हैं. अब देखना होगा कि इस अस्पताल के अच्छे दिन कब आते हैं.

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Intro:सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा तो करती है लेकिन जींद के सरकारी अस्पताल के हालात बद से बदतर है यह अस्पताल डॉक्टरों की कमी की मार तो चल ही रहा था ऊपर से अब अस्पताल के पास 4 महीने से बजट भी नहीं है फिलहाल 4 महीने से अस्पताल उधार खाते पर चल रहा है अस्पताल पर विभिन्न दवा कंपनियों की एक करोड़ से भी ज्यादा की उधार हो चुकी है अस्पताल में दी जाने वाली सीटी स्कैन में डायलिसिस जैसी सेवाओं की उधारी भी लाखों में हो गई है इतना ही नहीं पिछले 2 महीने से अस्पताल में लगे 217 कर्मचारियों को तो वेतन भी नहीं मिला है ऐसे में कैसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा सकती है यह एक बड़ा सवाल है


Body:हालांकि इस बारे में जब हमने मुख्य चिकित्सा अधिदकारी शशि प्रभा अग्रवाल से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि 4 महीने से बजट की समस्या है इसको लेकर लगातार विभाग को रिमाइंडर दिए जा रहे हैं कई बार अधिकारियों से फोन पर भी बातचीत की गई है जल्द ही बजट उपलब्ध करवाने का आश्वासन मिला है बजट न मिलने का कारण दवाओं की लोकल परचेज की जा रही है

बाइट - शशि प्रभा अग्रवाल , प्रधान चिकित्सा अधिकारी


Conclusion:जींद का यह सरकारी अस्पताल डॉक्टरों की कमी की मार तो पहले से ही जेल रहा था लेकिन अब बजट का उपलब्ध न होना सरकार के दावों की पोल खोल रहा है अस्पताल प्रशासन को करीब 45 लाख रुपए हर महीने आउटसोर्सिंग स्टाफ की तनख्वाह के लिए चाहिए होते हैं लेकिन अस्पताल के पास फिलहाल कोई बजट उपलब्ध नहीं है इसलिए कर्मचारी भी बिना तनख्वाह के काम कर रहे हैं
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