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जींदः सर्टिफिकेट बनवाने के लिए डॉक्टर्स का इंतजार करते रहे दिव्यांग

सिविल अस्पताल के बाहर दिव्यांग और बुजुर्ग इधर-उधर सुबह से धूप में बैठे थे लेकिन उनके पीने के लिए वहां पानी तक नहीं था. इतना ही नहीं वहां दिव्यांगों के लिए स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं था.

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Published : Aug 8, 2019, 9:55 AM IST

divyang

जींदः यहां के सिविल अस्पताल में सप्ताह के हर बुधवार को दिव्यांगों और बुजुर्गों को पेंशन के लिए सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं जिसके लिए हर बुधवार को कैंप का आयोजन किया जाता है. बीते बुधवार को भी अस्पताल में कैंप लगाया गया था लेकिन यहां अव्यवस्थाओं ने दिव्यांगों और बुजुर्गों को परेशान कर दिया.

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2 बजे के बाद आये अधिकारी
सभी दिव्यांग और बुजुर्ग सुबह 9 बजे से सिविल अस्पताल में आकर बैठ गए थे लेकिन अधिकारी दोपहर 2 बजे के बाद पहुंचे और शाम को 5 बजे उनकी छुट्टी का वक्त हो जाता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि कितना काम वो कर पाए होंगे.

अस्पताल में पीने के लिए पानी तक नहीं था
सिविल अस्पताल के बाहर दिव्यांग और बुजुर्ग इधर-उधर सुबह से धूप में बैठे थे लेकिन उनके पीने के लिए वहां पानी तक नहीं था. इतना ही नहीं वहां दिव्यांगों के लिए स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं था.

डॉक्टर्स की कमी है वजह ?
सिविल सर्जन डॉ. शशिप्रभा अग्रवाल कहा कि हमारे पास इतने डॉक्टर नहीं हैं कि ओपीडी और दिव्यांगों की मेडिकल जांच के लिए अलग से ड्यूटी लगाई जा सके. अगर डॉक्टर्स की कमी न हो तो सुबह से ही मेडिकल बोर्ड बैठा दिया जाता.

जींदः यहां के सिविल अस्पताल में सप्ताह के हर बुधवार को दिव्यांगों और बुजुर्गों को पेंशन के लिए सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं जिसके लिए हर बुधवार को कैंप का आयोजन किया जाता है. बीते बुधवार को भी अस्पताल में कैंप लगाया गया था लेकिन यहां अव्यवस्थाओं ने दिव्यांगों और बुजुर्गों को परेशान कर दिया.

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2 बजे के बाद आये अधिकारी
सभी दिव्यांग और बुजुर्ग सुबह 9 बजे से सिविल अस्पताल में आकर बैठ गए थे लेकिन अधिकारी दोपहर 2 बजे के बाद पहुंचे और शाम को 5 बजे उनकी छुट्टी का वक्त हो जाता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि कितना काम वो कर पाए होंगे.

अस्पताल में पीने के लिए पानी तक नहीं था
सिविल अस्पताल के बाहर दिव्यांग और बुजुर्ग इधर-उधर सुबह से धूप में बैठे थे लेकिन उनके पीने के लिए वहां पानी तक नहीं था. इतना ही नहीं वहां दिव्यांगों के लिए स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं था.

डॉक्टर्स की कमी है वजह ?
सिविल सर्जन डॉ. शशिप्रभा अग्रवाल कहा कि हमारे पास इतने डॉक्टर नहीं हैं कि ओपीडी और दिव्यांगों की मेडिकल जांच के लिए अलग से ड्यूटी लगाई जा सके. अगर डॉक्टर्स की कमी न हो तो सुबह से ही मेडिकल बोर्ड बैठा दिया जाता.

Intro:जींद के सिविल अस्पताल में हर सप्ताह बुधवार को दिव्यांगों के मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कैंप का आयोजन होता है हर बार सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आए दिव्यांगों व उनको परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है आज भी ऐसा ही हुआ। मेडिकल जांच के लिए पहुंचे दिव्यांगों व उनके अभिभावकों को विशेषज्ञ चिकित्सकों का घंटो इंतजार करना पड़ा। सिविल अस्पताल में मेडिकल जांच करवाने आए दिव्यांगों के लिए पीने के पानी का वाटर कूलर भी सूखा था जिससे इतनी गर्मी में बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी , दिव्यांगों के बैठने के लिए कुर्सी तो दूर की बात है गंभीर हालत में आए दिव्यांगों के लिए स्ट्रेचर भी वहां नजर नहीं आई जिसके चलते परिजन उन्हें गोद में उठाकर ही ले जाते दिखाई दिए , यूं तो सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लाख दावे करती है लेकिन जींद अस्पताल में आकर यह दावे हवा हवाई हो जाते हैं
Body:

मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने आए एक पीड़ित ने बताया कि उसका एक फेफड़ा काफी समय से खत्म है। इसलिए वह काम करने में असमर्थ है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है। पिछले दिनों हुए बीपीएल सर्वे में उसका नाम सूची में शामिल है। लेकिन अधिकारियों ने उसे मेडिकल बनवाने को कहा है। आज चिकित्सकों ने उसे दो-तीन माह बाद आने को कहा है। ऐेसे में उसके सामने ओर ज्यादा लाचारी आ जाएगी। बीपीएल कार्ड से मिलने वाली सुविधा भी नहीं मिल पाएगा।
बाइट -संजय, निवासी बहादुरगढ़


मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए दिव्यांगों को मेडिकल जांच की तीन माह आगे की तारीख दी जा रही है। जिनके पहले से टोकन कटे हुए हैं उनके विशेषज्ञ चिकित्सकों के न आने के कारण हो नहीं पा रहे।मेडिकल बोर्ड दोपहर बाद बैठने का कारण है चिकित्सकों की कमी ,मेडिकल बोर्ड बैठने का समय फिलहाल दोपहर बाद ही है। क्योंकि जिन चिकित्सकों की मेडिकल बोर्ड में ड्यूटी लगाई गई है वो दोपहर दो बजे तक तो अस्पताल में ओपीडी देखते हैं। ओपीडी का काम खत्म करने के बाद वे मेडिकल बोर्ड में दिव्यांगों की मेडिकल जांच करते हैं।


-डॉ. शशिप्रभा अग्रवाल, सिविल सर्जन, सिविल अस्पताल, जींद ने इसको लेकर कहा कि ओपीडी व दिव्यांगों की मेडिकल जांच के लिए अलग-अलग चिकित्सकों की ड्यूटी लगे। इतने चिकित्सक है नहीं। यदि चिकित्सक की कमी न हो तो मेडिकल बोर्ड सुबह ही बैठा दिया जाएगा।

Conclusion:
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