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World Daughter Day: पिता ट्रायल में भेजने को तैयार नहीं थे, मां ने कहा आखिरी बार जाने दो, आज बेटी है महिला हॉकी की शान - हिसार की हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा

25 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस (World Daughter Day 2022) के रूप में मनाया जाता है. इंटरनेशनल डॉटर्स डे के इस खास अवसर पर हम आपको एक ऐसी बेटी की कहानी बता रहे हैं, जिसने बचपन में विपरीत हालात और पिता की मर्जी के खिलाफ संघर्ष जारी रखा. आज हरियाणा की यही बेटी मशहूर हॉकी खिलाड़ी और देश का गौरव है.

Haryana women hockey player Sharmila Godara
हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
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Published : Sep 24, 2022, 10:24 PM IST

Updated : Sep 24, 2022, 11:05 PM IST

हिसार: यह कहानी है हिसार के कैमरी गांव की रहने वाली शर्मिला गोदारा (Sharmila Godara) की. जो वर्तमान में भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी है. शर्मिला गोदारा टोक्यो ओलंपिक 2020, कॉमनवेल्थ गेम 2022 में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहीं. शर्मिला ने अपने स्कूूल मैदान में लड़कियों को खेलते देखकर हॉकी की स्टिक थामी थी और आज अपने संघर्ष के बल पर इस मुकाम तक पहुंची हैं. कैमरी गांव की रहने वाली खिलाड़ी शर्मिला के माता पिता खेती करते हैं. शर्मिला घर के बगल में ही स्थित सरकारी स्कूल में पांचवी तक पढ़ी हैं.

स्कूल में अपने साथ की बाकी लड़कियों को खेलते देखकर शर्मिला ने चौथी क्लास में हॉकी खेलना स्टार्ट किया. उनके टैलेंट को देखकर गांव के स्कूल में डीपीई व राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही प्रवीणा सिहाग ने उन्हें सपोर्ट किया. लेकिन शुरुआत में शर्मिला के पिता को शर्मिला का हॉकी खेलना पसंद नहीं था. हालांकि शर्मिला की मां बेटी को पूरा सपोर्ट करती रहीं. आज शर्मिला के घर पर मेडलों का ढेर लगा हुआ है. लेकिन एक समय था जब उनके पिता सुरेश उनके खेल को सपोर्ट नहीं करते थे क्योंकि वह नशे के आदी थे.

हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा.

शर्मिला गोदारा गांव में ही अच्छी प्रैक्टिस कर रही थी और बाहर भेजने के लिए पिता तैयार नहीं थे. शर्मिला की मां संतोष ने बताया कि एक दिन जब शर्मिला का चंडीगढ़ के लिए ट्रायल था तो उनके पिता ने जाने के लिए मना कर दिया. इसके बाद शर्मिला रात भर रोती रही. जब सुबह के 3 बजे उसकी मां ने देखा तो मां ने पिता से बात की और कहा कि सिर्फ आखिरी बार चंडीगढ़ ट्रायल के लिए ले जाओ अगर वहां कुछ नहीं हुआ तो कभी मत लेकर जाना.

आखिरी बार की कहकर मां ने बड़ी मुश्किल से पिता को साथ जाने के लिए तैयार किया. उस दिन शर्मिला के भाग्य में आगे जाना लिखा था, उसकी मेहनत रंग लाई और चंडीगढ़ ट्रायल में उसका सेलेक्शन हो गया. उसके बाद उसने मुड़कर वापस नहीं देखा. आज शर्मिला गोदारा इस मुकाम पर पहुंच गई हैं कि पूरे गांव, हिसार, प्रदेश के साथ देश की शान बन गई हैं.

हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
शर्मिला गोदारा हिसार के कैमरी गांव की रहने वाली हैं.

शर्मिला ने साल 2009 से 2011 तक गांव में ही प्रैक्टिस की. 2012 में चंडीगढ़ हॉकी एकेडमी के ट्रायल में सेलेक्ट होने के बाद उसने 4 साल तक चंडीगढ़ में अभ्यास किया. 2018 तक शर्मिला ने हरियाणा टीम में सेलेक्शन के लिए काफी संघर्ष किया और 2018 में उनका चयन हिमाचल टीम में हुआ. उस समय स्टेट टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया. शर्मिला के टैलेंट को देखकर सोनीपत की निजी अकैडमी में कोच प्रीतम सिवाच ने उसे सोनीपत बुला लिया. तब से वह सोनीपत में ही अभ्यास करती हैं.

हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
टोक्यो ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला हॉकी टीम ने मेडल जीता है.

शर्मिला ने स्कूल गेम, खेलो इंडिया में राष्ट्रीय स्तर पर बेहद शानदार प्रदर्शन किया. साल 2018 में उनका चयन भारतीय जूनियर टीम में हुआ और इसके बाद साल 2019 में शर्मिला ने भारतीय टीम के लिए पहली बार खेलना शुरू किया. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) ओलंपिक क्वालीफायर टूर्नामेंट में शानदार गोल किया. इसके बाद टोक्यो ओलंपिक 2020 में भी वह भारतीय टीम की सदस्य रहीं. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल जीता था. बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी शर्मिला भारतीय महिला हॉकी टीम की प्लेइंग इलेवन का हिस्सा थीं. कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता.

हिसार: यह कहानी है हिसार के कैमरी गांव की रहने वाली शर्मिला गोदारा (Sharmila Godara) की. जो वर्तमान में भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी है. शर्मिला गोदारा टोक्यो ओलंपिक 2020, कॉमनवेल्थ गेम 2022 में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहीं. शर्मिला ने अपने स्कूूल मैदान में लड़कियों को खेलते देखकर हॉकी की स्टिक थामी थी और आज अपने संघर्ष के बल पर इस मुकाम तक पहुंची हैं. कैमरी गांव की रहने वाली खिलाड़ी शर्मिला के माता पिता खेती करते हैं. शर्मिला घर के बगल में ही स्थित सरकारी स्कूल में पांचवी तक पढ़ी हैं.

स्कूल में अपने साथ की बाकी लड़कियों को खेलते देखकर शर्मिला ने चौथी क्लास में हॉकी खेलना स्टार्ट किया. उनके टैलेंट को देखकर गांव के स्कूल में डीपीई व राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही प्रवीणा सिहाग ने उन्हें सपोर्ट किया. लेकिन शुरुआत में शर्मिला के पिता को शर्मिला का हॉकी खेलना पसंद नहीं था. हालांकि शर्मिला की मां बेटी को पूरा सपोर्ट करती रहीं. आज शर्मिला के घर पर मेडलों का ढेर लगा हुआ है. लेकिन एक समय था जब उनके पिता सुरेश उनके खेल को सपोर्ट नहीं करते थे क्योंकि वह नशे के आदी थे.

हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा.

शर्मिला गोदारा गांव में ही अच्छी प्रैक्टिस कर रही थी और बाहर भेजने के लिए पिता तैयार नहीं थे. शर्मिला की मां संतोष ने बताया कि एक दिन जब शर्मिला का चंडीगढ़ के लिए ट्रायल था तो उनके पिता ने जाने के लिए मना कर दिया. इसके बाद शर्मिला रात भर रोती रही. जब सुबह के 3 बजे उसकी मां ने देखा तो मां ने पिता से बात की और कहा कि सिर्फ आखिरी बार चंडीगढ़ ट्रायल के लिए ले जाओ अगर वहां कुछ नहीं हुआ तो कभी मत लेकर जाना.

आखिरी बार की कहकर मां ने बड़ी मुश्किल से पिता को साथ जाने के लिए तैयार किया. उस दिन शर्मिला के भाग्य में आगे जाना लिखा था, उसकी मेहनत रंग लाई और चंडीगढ़ ट्रायल में उसका सेलेक्शन हो गया. उसके बाद उसने मुड़कर वापस नहीं देखा. आज शर्मिला गोदारा इस मुकाम पर पहुंच गई हैं कि पूरे गांव, हिसार, प्रदेश के साथ देश की शान बन गई हैं.

हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
शर्मिला गोदारा हिसार के कैमरी गांव की रहने वाली हैं.

शर्मिला ने साल 2009 से 2011 तक गांव में ही प्रैक्टिस की. 2012 में चंडीगढ़ हॉकी एकेडमी के ट्रायल में सेलेक्ट होने के बाद उसने 4 साल तक चंडीगढ़ में अभ्यास किया. 2018 तक शर्मिला ने हरियाणा टीम में सेलेक्शन के लिए काफी संघर्ष किया और 2018 में उनका चयन हिमाचल टीम में हुआ. उस समय स्टेट टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया. शर्मिला के टैलेंट को देखकर सोनीपत की निजी अकैडमी में कोच प्रीतम सिवाच ने उसे सोनीपत बुला लिया. तब से वह सोनीपत में ही अभ्यास करती हैं.

हरियाणा की महिला हॉकी खिलाड़ी शर्मिला गोदारा
टोक्यो ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला हॉकी टीम ने मेडल जीता है.

शर्मिला ने स्कूल गेम, खेलो इंडिया में राष्ट्रीय स्तर पर बेहद शानदार प्रदर्शन किया. साल 2018 में उनका चयन भारतीय जूनियर टीम में हुआ और इसके बाद साल 2019 में शर्मिला ने भारतीय टीम के लिए पहली बार खेलना शुरू किया. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) ओलंपिक क्वालीफायर टूर्नामेंट में शानदार गोल किया. इसके बाद टोक्यो ओलंपिक 2020 में भी वह भारतीय टीम की सदस्य रहीं. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल जीता था. बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी शर्मिला भारतीय महिला हॉकी टीम की प्लेइंग इलेवन का हिस्सा थीं. कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता.

Last Updated : Sep 24, 2022, 11:05 PM IST
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