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सरसों की फसल में चेपा कीट का खतरा, ऐसे बचाएं अपनी फसल - hisar latest news

एचएयू के कृषि महाविद्यालय में तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. रामअवतार ने बताया कि इस समय सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है. डॉ. रामअवतार के अनुसार इस समय सरसों की जिस फसल में फूल हैं, उसमें चेपा कीट का आक्रमण देखने को मिला है.

Outbreak of musta crop in mustard crop in hisar
सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप
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Published : Feb 23, 2021, 7:14 AM IST

Updated : Feb 23, 2021, 8:22 AM IST

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस बदलते मौसम में सरसों की फसल में आने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए सुझाव दिए हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान समय रहते कीटों की पहचान करके आसानी से इसकी रोकथाम कर सकते हैं.

एचएयू के कृषि महाविद्यालय में तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. रामअवतार व उनकी टीम ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्षेत्र का दौरा कर फसल का जायजा लिया और बताया कि इस समय सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है. डॉ. रामअवतार के अनुसार इस समय सरसों की जिस फसल में फूल हैं, उसमें चेपा कीट का आक्रमण देखने को मिला है. इसलिए किसान समय रहते इनकी पहचान कर रोकथाम कर सकते हैं और सरसों की फसल की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

Outbreak of musta crop in mustard crop in hisar
सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप

उन्होंने बताया कि अगर किसान इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करेंगे तो फसल की पैदावार कम होने की संभावना है. इसलिए किसान कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सिफारिश किए जाने वाले कीट नाशकों का प्रयोग कर इनका समय रहते उचित प्रबंध कर सकते हैं.

उन्होंने किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग सांयकाल तीन बजे के बाद करने की सलाह दी है, ताकि मधुमक्खियों को नुकसान न हो जो परागण द्वारा उपज बढ़ाने में मदद करती हैं. उन्होंने बताया कि सरसों की फसल मुख्यत: हरियाणा प्रदेश के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सिरसा, हिसार, भिवानी व मेवात जिलों में उगाई जाती है और रबी के मौसम में बोई जाती है.

ये भी पढ़ें- अब रोहतक में गेहूं की साढ़े तीन एकड़ फसल किसान ने की बर्बाद

इस तरह करें सरसों में चेपा कीट की पहचान व रोकथाम
तिलहन अनुभाग के कीट विशेषज्ञ डॉ. दलीप कुमार के अनुसार हल्के हरे-पीले रंग का यह कीट छोटे-छोटे समूहों में रहकर पौधे के विभिन्न भागों विशेषत:कलियों, फूलों, फलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसता है. इसका आक्रमण जनवरी के प्रथम पखवाड़े से शुरू होता है, जब औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस और नमी 75 प्रतिशत तक होती है.

रस चूसे जाने के कारण पौधे की बढ़वार रूक जाती है, फलियां कम हो जाती हैं और दानों की संख्या में भी कमी आ जाती है. इसकी रोकथाम के लिए खेत में जब 10 प्रतिशत पुष्पित पौधों पर 9 से 19 या औसतन 13 कीट प्रति पौधा होने पर 250 से 400 मिली लीटर डाइमेथोएट(रोगोर) 30 ई.सी. को 250 से 400 लीटर पानी में मिलकार प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. साग के लिए उगाई गई फसल पर 250 से 400 मिली लीटर मैलाथियान 50 ई.सी. को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. यदि आवश्यकता हो तो दूसरा छिड़काव 7 से 10 दिन के उपरांत करें.

ये भी पढ़ें- गेहूं की भूरा रतुआ बीमारी का इलाज करेगा LR-80 जीन, 20 साल की मेहनत के बाद कृषि वैज्ञानिकों को मिली सफलता

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस बदलते मौसम में सरसों की फसल में आने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए सुझाव दिए हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसान समय रहते कीटों की पहचान करके आसानी से इसकी रोकथाम कर सकते हैं.

एचएयू के कृषि महाविद्यालय में तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. रामअवतार व उनकी टीम ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्षेत्र का दौरा कर फसल का जायजा लिया और बताया कि इस समय सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है. डॉ. रामअवतार के अनुसार इस समय सरसों की जिस फसल में फूल हैं, उसमें चेपा कीट का आक्रमण देखने को मिला है. इसलिए किसान समय रहते इनकी पहचान कर रोकथाम कर सकते हैं और सरसों की फसल की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.

Outbreak of musta crop in mustard crop in hisar
सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप

उन्होंने बताया कि अगर किसान इन कीटों की रोकथाम के उपाय नहीं करेंगे तो फसल की पैदावार कम होने की संभावना है. इसलिए किसान कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सिफारिश किए जाने वाले कीट नाशकों का प्रयोग कर इनका समय रहते उचित प्रबंध कर सकते हैं.

उन्होंने किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग सांयकाल तीन बजे के बाद करने की सलाह दी है, ताकि मधुमक्खियों को नुकसान न हो जो परागण द्वारा उपज बढ़ाने में मदद करती हैं. उन्होंने बताया कि सरसों की फसल मुख्यत: हरियाणा प्रदेश के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, सिरसा, हिसार, भिवानी व मेवात जिलों में उगाई जाती है और रबी के मौसम में बोई जाती है.

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इस तरह करें सरसों में चेपा कीट की पहचान व रोकथाम
तिलहन अनुभाग के कीट विशेषज्ञ डॉ. दलीप कुमार के अनुसार हल्के हरे-पीले रंग का यह कीट छोटे-छोटे समूहों में रहकर पौधे के विभिन्न भागों विशेषत:कलियों, फूलों, फलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसता है. इसका आक्रमण जनवरी के प्रथम पखवाड़े से शुरू होता है, जब औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस और नमी 75 प्रतिशत तक होती है.

रस चूसे जाने के कारण पौधे की बढ़वार रूक जाती है, फलियां कम हो जाती हैं और दानों की संख्या में भी कमी आ जाती है. इसकी रोकथाम के लिए खेत में जब 10 प्रतिशत पुष्पित पौधों पर 9 से 19 या औसतन 13 कीट प्रति पौधा होने पर 250 से 400 मिली लीटर डाइमेथोएट(रोगोर) 30 ई.सी. को 250 से 400 लीटर पानी में मिलकार प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. साग के लिए उगाई गई फसल पर 250 से 400 मिली लीटर मैलाथियान 50 ई.सी. को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें. यदि आवश्यकता हो तो दूसरा छिड़काव 7 से 10 दिन के उपरांत करें.

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Last Updated : Feb 23, 2021, 8:22 AM IST
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