हिसार: हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में हिसार एक और ऐसी लोकसभा सीट है, जहां से भाजपा को कभी जीत नसीब नहीं हुई है. तो वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेता कुलदीप बिश्नोई को युवा दुष्यंत चौटाला ने मात देकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी.
यहां रहता है कड़ा मुकाबला
1951 से अब तक यहां पर 7 बार कांग्रेस को सफलता हासिल हुई है. एक तरह से इस सीट पर पिछले करीब 3 दशक से भजनलाल और देवीलाल के परिवार का ही कब्जा रहा है. केवल 2004 में कांग्रेस के जय प्रकाश को यहां से जीत मिली थी. 2014 में देशभर में मोदी लहर के बावजूद हिसार सीट पर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के कुलदीप बिश्नोई को हराया था.
बीजेपी की नजर पहली जीत पर
इस बार के चुनाव में भाजपा हाईकमान की निगाह एक-एक सीट जीतने पर है. अपनी इस रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हाईकमान को मौजूदा सांसदों के टिकट काटने से भी परहेज नहीं है. राज्य में गठबंधन की राजनीति पूरी तरह से फेल हो चुकी है. ऐसे में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के ही साथ होने वाला है. वहीं हिसार में जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला से सीधी टक्कर मिलने वाली है.
हिसार लोकसभा सीट पर दुष्यंत चौटाला अथवा उनके परिवार के किसी भी सदस्य को टक्कर देने के लिए भाजपा के पास हालांकि रणबीर गंगवा हैं, मगर पार्टी को उनसे भी कद्दावर नेता की है. भाजपा हरियाणा सरकार में मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, अनिल विज और मनीष ग्रोवर पर भी दांव खेल सकती है.
भजनलाल और चौटाला परिवार में होती रही है जंग
हिसार भजनलाल परिवार का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन पिछली बार चौटाला परिवार के दुष्यंत ने भजनलाल परिवार के गढ़ में सेंध लगा दी थी. यहां पर चौटाला परिवार और भजनलाल परिवार के बीच दिलचस्प जंग होती रही है. लिहाजा इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजर रहती है.
चौधरी भजनलाल के निधन के बाद साल 2011 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर मुकाबला इन्हीं दो परिवारों के बेटों के बीच हुआ था. एक तरफ थे अजय चौटाला, तो दूसरी ओर थे पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई. इस सबसे बड़े मुकाबले में अजय चौटाला की हार हुई थी. हजकां के कुलदीप बिश्नोई को 3,55,955 वोट जबकि इनेलो के अजय चौटाला को 3,49,618 वोट मिले थे.
क्या है मौजूदा समीकरण?
मौजूद वक्त में इनेलो में दोफाड़ हो चुका है. इनेलो पर अब अभय चौटाला का कब्जा है, तो दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता अजय सिंह चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला के साथ मिलकर जननायक जनता पार्टी के नाम से नई पार्टी खड़ी कर दी है.
चौटाला परिवार को बड़े पैमाने पर जाट समुदाय का वोट मिलता है. लेकिन परिवार में दोफाड़ से 2019 में दोनों को नुकसान की संभावना है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की राह आसान हो सकती है. वहीं कुलदीप बिश्नोई भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में यहां इस बार किसका पलड़ा भारी होगा ये कहना बहुत मुश्किल है.
हिसार का इतिहास
राजनीति के अलावा हिसार शहर की अपनी एक अलग पहचान है. हिसार की स्थापना सन् 1354 में तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह तुगलक ने की थी. उस समय तुगलक ने इसका नाम हिसार-ए-फिरोजा रखा था. उसके बाद अकबर के शासन में इस शहर के नाम से फिरोजा हटा दिया गया और फिर केवल हिसार रह गया. इतिहास के आईने से देखें तो हिसार पर कई साम्राज्यों का शासन था. तीसरी सदी ई. पू. में मौर्य राजवंश, 13वीं सदी में तुगलक वंश, 16वीं सदी में मुगल साम्राज्य और फिर 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य का इस शहर पर कब्जा रहा था.
हिसार भारत का सबसे बड़ा जस्ती लोहा का उत्पादक है, जिससे इसे इस्पात का शहर भी कहा जाता है. जाट बहुल हिसार जिले की अधिकतर आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और खेती और पशु पालन उनका मुख्य व्यवसाय है. यहां युवाओं में खेलों को लेकर खास उत्साह देखने को मिलता है.
हिसार लोकसभा के दायरे में 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2014 लोकसभा चुनाव के मुताबिक हिसार में कुल 11,94,689 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. जिसमें 6,53,423 पुरुष और 5,41,266 महिला वोटर्स की संख्या थी.