ETV Bharat / city

हिसार में दो दिवसीय कृषि मेला शुरू, हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या में जुटे किसान - चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

हिसाल में आज से दो दिवसीय कृषि मेले का शुभारंभ (Hisar Agriculture Fair) हुआ. इस दौरान हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या में किसान यहां जुटे. यहां किसानों को किसानी और उनकी तकनीकों के प्रति जागरूक किया गया. इस दौरान चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज भी यहां बतौर मुख्यातिथि पहुंचे हुए थे. पढ़ें पूरी खबर

हिसार में दो दिवसीय कृषि मेला शुरू
हिसार में दो दिवसीय कृषि मेला शुरू
author img

By

Published : Sep 13, 2022, 4:39 PM IST

हिसार: कृषि के लिए जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है. जल का उचित प्रबंधन व संरक्षण करके ही आने वाली पीढ़ियों के लिए जल को सुरक्षित रखा जा सकता है. ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने व्यक्त किए. वे विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कृषि मेला (रबी) के शुभारंभ (Agricultural fair started in Hisar) अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि रहे.

प्रो. काम्बोज ने कहा जल की लगातार बढ़ती खपत के चलते कृषि क्षेत्र के लिए जल की मात्रा घट (Hisar Agriculture Fair) रही है. गेहूं धान फसल-चक्र वाले क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के कारण भी जल स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है. इसलिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक मुख्य समस्या के रूप में उभरकर आ रही है. यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इसी तरह जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर की बात, लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की भारी कमी हो सकती है.

उन्होंने जल संरक्षण को समय की मांग बताते हुए जल संसाधनों के बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय, सिंचाई की टपका व फव्वारा सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ धान की कम अवधि में पकने वाली किस्में व बासमती किस्में उगाकर पानी का उचित प्रबंधन करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा प्राकृतिक संसाधनों के अत्याधिक दोहन से बचने के लिए विभिन्न पारिस्थितिक योजनाओं जैसे मेरा पानी मेरी विरासत, हर खेत स्वच्छ खेत और फसल विविधिकरण, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ मिट्टी की उर्वरता, जल संसाधनों और जैव विविधता को बढ़ाने पर कार्य करने की जरूरत है.

उन्होंने जल के साथ किसानों से पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने को भी कहा और उन्हे डीजल ट्रैक्टर की अपेक्षा ई-ट्रैक्टर की ओर रूख करने का आह्वान किया. इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध है. उन्होंने फसलों की उन्नत किस्मों के बीज की आपूर्ति का उल्लेख किया और बताया कि हकृवि ने इन किस्मों का 35,000 क्विंटल बीज किसानों को दिया जाएगा. डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने भी कृषि में जल को संरक्षित करने की आवश्यकता जताई. उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन न होने से करीब 70 प्रतिशत सिंचाई जल व्यर्थ बह जा रहा है. यह बहुत ही चिंता का विषय है.

उन्होंने कृषि व्यवसाय से अधिक आमदनी लेने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन को अपनाए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह दो-तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करता है. उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में गाय में फैल रहे लम्पी स्किन रोग का उल्लेख करते हुए पशुपालकों से कहा कि उनको अपने पशुओं को इस रोग से बचाने के सभी उपाय व सावधानियां अपनानी चाहिए. हरियाणा सरकार और लुवास द्वारा इस रोग पर नियंत्रण पाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनके चलते प्रदेश में इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया गया.

कृषि मेला में हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या में किसानों ने भाग लिया. उन्होंने विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म का भ्रमण किया जहां कृषि वैज्ञानिकों ने उनके द्वारा उगाई गई खरीफ फसलों और उनके प्रयोग की गई तकनीकों के बारे बताया. इस दौरान हकृवि से जुडक़र कृषि क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने वाले प्रदेश के प्रगतिशील किसानों की ओर से लगाई गई स्टाल भी आगंतुकों के आकर्षण का केन्द्र बनी.

किसानों ने खरीदे रबी फसलों के बीज: मेला स्थल पर हकृवि की ओर से स्थापित किए गए बीज बिक्री केन्द्र से किसानों ने भारी मात्रा में विभिन्न रबी फसलों के बीज खरीदे. उन्होंने मिट्टी-पानी जांच सेवा का लाभ उठाते हुए अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच करवाई. इस मौके पर हकृवि की ओर से कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक जिला से एक प्रगतिशील किसान को सम्मानित किया गया.

हिसार: कृषि के लिए जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है. जल का उचित प्रबंधन व संरक्षण करके ही आने वाली पीढ़ियों के लिए जल को सुरक्षित रखा जा सकता है. ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने व्यक्त किए. वे विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कृषि मेला (रबी) के शुभारंभ (Agricultural fair started in Hisar) अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि रहे.

प्रो. काम्बोज ने कहा जल की लगातार बढ़ती खपत के चलते कृषि क्षेत्र के लिए जल की मात्रा घट (Hisar Agriculture Fair) रही है. गेहूं धान फसल-चक्र वाले क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के कारण भी जल स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है. इसलिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक मुख्य समस्या के रूप में उभरकर आ रही है. यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इसी तरह जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर की बात, लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की भारी कमी हो सकती है.

उन्होंने जल संरक्षण को समय की मांग बताते हुए जल संसाधनों के बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय, सिंचाई की टपका व फव्वारा सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ धान की कम अवधि में पकने वाली किस्में व बासमती किस्में उगाकर पानी का उचित प्रबंधन करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा प्राकृतिक संसाधनों के अत्याधिक दोहन से बचने के लिए विभिन्न पारिस्थितिक योजनाओं जैसे मेरा पानी मेरी विरासत, हर खेत स्वच्छ खेत और फसल विविधिकरण, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ मिट्टी की उर्वरता, जल संसाधनों और जैव विविधता को बढ़ाने पर कार्य करने की जरूरत है.

उन्होंने जल के साथ किसानों से पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने को भी कहा और उन्हे डीजल ट्रैक्टर की अपेक्षा ई-ट्रैक्टर की ओर रूख करने का आह्वान किया. इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध है. उन्होंने फसलों की उन्नत किस्मों के बीज की आपूर्ति का उल्लेख किया और बताया कि हकृवि ने इन किस्मों का 35,000 क्विंटल बीज किसानों को दिया जाएगा. डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने भी कृषि में जल को संरक्षित करने की आवश्यकता जताई. उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन न होने से करीब 70 प्रतिशत सिंचाई जल व्यर्थ बह जा रहा है. यह बहुत ही चिंता का विषय है.

उन्होंने कृषि व्यवसाय से अधिक आमदनी लेने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन को अपनाए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह दो-तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करता है. उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में गाय में फैल रहे लम्पी स्किन रोग का उल्लेख करते हुए पशुपालकों से कहा कि उनको अपने पशुओं को इस रोग से बचाने के सभी उपाय व सावधानियां अपनानी चाहिए. हरियाणा सरकार और लुवास द्वारा इस रोग पर नियंत्रण पाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनके चलते प्रदेश में इस बीमारी पर नियंत्रण पा लिया गया.

कृषि मेला में हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से भारी संख्या में किसानों ने भाग लिया. उन्होंने विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म का भ्रमण किया जहां कृषि वैज्ञानिकों ने उनके द्वारा उगाई गई खरीफ फसलों और उनके प्रयोग की गई तकनीकों के बारे बताया. इस दौरान हकृवि से जुडक़र कृषि क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने वाले प्रदेश के प्रगतिशील किसानों की ओर से लगाई गई स्टाल भी आगंतुकों के आकर्षण का केन्द्र बनी.

किसानों ने खरीदे रबी फसलों के बीज: मेला स्थल पर हकृवि की ओर से स्थापित किए गए बीज बिक्री केन्द्र से किसानों ने भारी मात्रा में विभिन्न रबी फसलों के बीज खरीदे. उन्होंने मिट्टी-पानी जांच सेवा का लाभ उठाते हुए अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच करवाई. इस मौके पर हकृवि की ओर से कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक जिला से एक प्रगतिशील किसान को सम्मानित किया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.