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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मेले का आयोजन, किसानों के लिए उन्नत किस्म के बीजों की लगी प्रदर्शनी - Fair organized in Haryana Agricultural University

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में उन्नत फसलों और जल सरंक्षण को लेकर कृषि मेले का आयोजन किया गया. कृषि मेले में कई कंपनियों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए हैं. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने शिरकत की.

Haryana Agricultural University
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला
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Published : Sep 13, 2022, 5:32 PM IST

हिसार: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेले का आयोजन (Haryana Agricultural University) किया गया है. मेले में कृषकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने शिरकत की. उन्होंने कृषि मेले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जल की लगातार बढ़ती खपत के चलते कृषि क्षेत्र के लिए जल की मात्रा घट रही है. गेहूं धान फसल-चक्र वाले क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के कारण भी जल स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है. इसलिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक मुख्य समस्या के रूप में उभरकर सामने आ रही है.

उन्होंने कहा कि यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इसी तरह जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर की बात, लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की भारी कमी हो सकती है. उन्होंने जल संरक्षण को समय की मांग बताते हुए जल संसाधनों के बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय, सिंचाई की टपका व फव्वारा सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ धान की कम अवधि में पकने वाली किस्मों की फसल उगाने के लिए पानी के प्रबंधन पर बल पड़ेगा.

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला रहा खास: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए कृषि मेले (Fair organized in Haryana Agricultural University) में कई कंपनियों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए हैं. इसमें किसानों के आकर्षण का केन्द्र एग्रो इण्डस्ट्रियल प्रदर्शनी रही. स्टालों पर फसलों, सब्जियों सहित कई उन्नत किस्मों, फार्म मशीनरी और यन्त्रों, रसायनिक के साथ ही जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के बारे में जानकारी दी गई.

Haryana Agricultural University
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला

किसानों ने खरीदे रबी फसलों के बीज: मेला स्थल पर हकृवि की ओर से स्थापित किए गए बीज बिक्री केन्द्र से किसानों ने भारी मात्रा में रबी फसलों के बीज खरीदे. उन्होंने मिट्टी-पानी जांच सेवा का लाभ उठाते हुए अपने खेत की मिट्टी और पानी की जांच करवाई. इस मौके पर हकृवि की ओर से कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक जिले से आए एक प्रगतिशील किसान को सम्मानित किया गया.

प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से बचाव के लिए योजनाएं: कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्याधिक दोहन से बचने के लिए कई पारिस्थितिक योजनाओं जैसे मेरा पानी मेरी विरासत, हर खेत स्वच्छ खेत और फसल विविधिकरण, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ मिट्टी की उर्वरता, जल संसाधनों और जैव विविधता को बढ़ाने पर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने जल के साथ किसानों से पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने को भी कहा गया.

उन्हें डीजल ट्रैक्टर की अपेक्षा ई-ट्रैक्टर की ओर रुख करने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध है. उन्होंने फसलों की उन्नत किस्मों के बीज की आपूर्ति का उल्लेख किया और बताया कि हकृवि ने इन किस्मों का 35 हजार क्विंटल बीज किसानों को दिया जाएगा. लुवास के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने भी कृषि में जल को संरक्षित करने की आवश्यकता जताई.

70 प्रतिशत सिंचाई बहाया जा रहा पानी: कुलपति ने बताया कि जल प्रबंधन न होने से करीब 70 प्रतिशत सिंचाई जल बेकार में बहाया जा रहा है. यह बहुत ही चिंता का विषय है. उन्होंने कृषि व्यवसाय से अधिक आमदनी लेने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन को अपनाए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह दो-तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करता है. उन्होंने देश के कई राज्यों में गाय में फैल रहे लम्पी स्किन रोग का जिक्र करते हुए पशुपालकों से कहा कि उनको अपने गो पशुओं को इस रोग से बचाने के सभी उपाय व सावधानियां अपनानी चाहिए.

हिसार: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेले का आयोजन (Haryana Agricultural University) किया गया है. मेले में कृषकों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने शिरकत की. उन्होंने कृषि मेले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जल की लगातार बढ़ती खपत के चलते कृषि क्षेत्र के लिए जल की मात्रा घट रही है. गेहूं धान फसल-चक्र वाले क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के कारण भी जल स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है. इसलिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक मुख्य समस्या के रूप में उभरकर सामने आ रही है.

उन्होंने कहा कि यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इसी तरह जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर की बात, लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की भारी कमी हो सकती है. उन्होंने जल संरक्षण को समय की मांग बताते हुए जल संसाधनों के बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय, सिंचाई की टपका व फव्वारा सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों के साथ धान की कम अवधि में पकने वाली किस्मों की फसल उगाने के लिए पानी के प्रबंधन पर बल पड़ेगा.

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला रहा खास: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किए गए कृषि मेले (Fair organized in Haryana Agricultural University) में कई कंपनियों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए हैं. इसमें किसानों के आकर्षण का केन्द्र एग्रो इण्डस्ट्रियल प्रदर्शनी रही. स्टालों पर फसलों, सब्जियों सहित कई उन्नत किस्मों, फार्म मशीनरी और यन्त्रों, रसायनिक के साथ ही जैविक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के बारे में जानकारी दी गई.

Haryana Agricultural University
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला

किसानों ने खरीदे रबी फसलों के बीज: मेला स्थल पर हकृवि की ओर से स्थापित किए गए बीज बिक्री केन्द्र से किसानों ने भारी मात्रा में रबी फसलों के बीज खरीदे. उन्होंने मिट्टी-पानी जांच सेवा का लाभ उठाते हुए अपने खेत की मिट्टी और पानी की जांच करवाई. इस मौके पर हकृवि की ओर से कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रदेश के प्रत्येक जिले से आए एक प्रगतिशील किसान को सम्मानित किया गया.

प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से बचाव के लिए योजनाएं: कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्याधिक दोहन से बचने के लिए कई पारिस्थितिक योजनाओं जैसे मेरा पानी मेरी विरासत, हर खेत स्वच्छ खेत और फसल विविधिकरण, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ मिट्टी की उर्वरता, जल संसाधनों और जैव विविधता को बढ़ाने पर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने जल के साथ किसानों से पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने को भी कहा गया.

उन्हें डीजल ट्रैक्टर की अपेक्षा ई-ट्रैक्टर की ओर रुख करने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी उपलब्ध है. उन्होंने फसलों की उन्नत किस्मों के बीज की आपूर्ति का उल्लेख किया और बताया कि हकृवि ने इन किस्मों का 35 हजार क्विंटल बीज किसानों को दिया जाएगा. लुवास के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने भी कृषि में जल को संरक्षित करने की आवश्यकता जताई.

70 प्रतिशत सिंचाई बहाया जा रहा पानी: कुलपति ने बताया कि जल प्रबंधन न होने से करीब 70 प्रतिशत सिंचाई जल बेकार में बहाया जा रहा है. यह बहुत ही चिंता का विषय है. उन्होंने कृषि व्यवसाय से अधिक आमदनी लेने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन को अपनाए जाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका है. यह दो-तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करता है. उन्होंने देश के कई राज्यों में गाय में फैल रहे लम्पी स्किन रोग का जिक्र करते हुए पशुपालकों से कहा कि उनको अपने गो पशुओं को इस रोग से बचाने के सभी उपाय व सावधानियां अपनानी चाहिए.

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