हिसार: लुवास के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्दि हासिल की है. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और भ्रूण ट्रांसफर को लेकर चल रहे प्रोजेक्ट के तहत हिसार, सिरसा और फतेहाबाद की गौशालाओं में मौजूद कई गायों में सरोगेसी तकनीक (Surrogacy Techniques in Cows) का प्रयोग सफल रहा है. इस प्रोजेक्ट में 11 गाय बछड़ियों को जन्म दे चुकी हैं और 41 अन्य गाय अभी गर्भवती हैं. गाय को सरोगेट मदर बनाने के इस प्रोजेक्ट पर विश्वविद्यालय के रिसर्च डायरेक्टर डॉ नरेश जिंदल, वेटनरी गाइनेकोलॉजी के डॉक्टर आनंद कुमार पांडे, वेटनरी पैथोलॉजी के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर गुलशन नारंग और कई वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.
देसी नस्लों को समृद्ध और बढ़ावा देने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और भूर्ण ट्रांसफर पर रिसर्च के लिए 5 करोड़ रुपए की ग्रांट केंद्रीय पशुपालन विभाग द्वारा दी गई थी. इसी के तहत लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (Lala Lajpat Rai Veterinary University Hisar) में लैब स्थापित की गई. इस तकनीक के जरिए जहां गोवंश की नस्लों में सुधार होगा वहीं बेसहारा गायों को भी गर्भवती बनाया जा सकेगा. इस तकनीक की विशेषता है कि इसमें 80 फीसदी बछड़ी और 20 प्रतिशत बछड़े जन्म लेते हैं. अब ऐसे में अधिक दूध देने वाली गाय और अच्छे सीमन वाले बैल भी तैयार किए जा सकेंगे.
![सरोगेसी तकनीक से गाय बनी मां](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hr-his-02-seroget-mother-pic-7203367_18102022183903_1810f_1666098543_496.jpg)
लुवास के डायरेक्टर रिसर्च डॉ नरेश जिंदल के अनुसार प्रदेश की गौशालाओं में दूध देने वाले पशुओं की संख्या काफी कम है. जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सरकार पर या अन्य दान चंदा पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर विश्वविद्यालय के सहयोग से गौशालाओं में इस तकनीक के जरिए दूध देने वाले पशुओं की संख्या बढ़े तो ज्यादा दूध का उत्पादन होगा और गौशाला में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकती हैं.
![सरोगेसी तकनीक से गाय बनी मां](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hr-his-02-seroget-mother-pic-7203367_18102022183903_1810f_1666098543_26.jpg)
इस तकनीक की विशेषता ये है कि इसके जरिए वैज्ञानिक सिर्फ ऐसी ही नस्लों के पशुओं को जन्म दिलवाएंगे जो उच्च गुणवत्ता के हैं. यानि अधिक दूध देने वाली स्वस्थ मादा से अंडे निकालकर उन्हें हाई क्वालिटी वाले नर सीमन के साथ लैब में निषेचित करवाया जाएगा, इसके बाद उस निषेचित अंडे को किसी तीसरे मादा पशु (किसी भी नस्ल या गुणवत्ता का हो) के गर्भाशय में स्थापित किया जाएगा. फिर गर्भावस्था सर्कल के बाद उस मादा से माता-पिता की जैसी गुणवत्ता वाला बच्चा पैदा होगा.
![सरोगेसी तकनीक से गाय बनी मां](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/hr-his-02-seroget-mother-pic-7203367_18102022183903_1810f_1666098543_207.jpg)
पशु वैज्ञानिक डॉक्टर त्रिलोक नन्दा ने बताया कि इस तकनीक में सेक्स सॉर्टेड सीमन का उपयोग किया जाएगा. उस सीमन में सिर्फ मादा पशु के ही जीन होंगे. इस सीमन से मादा के अंडों को निषेचन के बाद सिर्फ मादा बच्चे ही पैदा होंगे. यानी नर पशुओं की जरुरत बहुत कम हो जाएगी. जिससे सड़कों पर घूम रहे पर आवारा सांडों या झोटों की संख्या बहुत कम हो जाएगी. आमतौर पर एक जन्म में एक उच्च गुणवत्ता वाली स्वस्थ मादा पशु औसतन 10 बच्चे पैदा कर सकती है, लेकिन इस तकनीक से उसके शरीर से अंडे लेकर कम से कम 200 बच्चों को सरोगेसी के जरिए जन्म दिया जा सकता है.