हिसार: जिले में बनने वाले कार्गो एयरपोर्ट के निर्माण से हरियाणा राज्य के अच्छी नस्ल के पशुधन को न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी बल्कि दूसरे देशों को यहां से पशुधन भेजने में भी सहुलियत होगी. इससे किसानों व पशुपालकों की बल्ले-बल्ले होगी और साथ ही रोजगार के अनेक नए अवसर भी पैदा होंगे.
इस बारे में लुवास (लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय) ने हिसार एयरपोर्ट के भावी परिप्रेक्ष्य में एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आने से पशुधन को अंतरराष्ट्रीय पहचान, सेना को मिलने वाले सामरिक लाभ, मुर्राह नस्ल की अन्य देशों में त्वरित पहुंच, नस्ल सुधार से जुड़ी प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, दूध व दुग्ध उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय पहुंच सुनिश्चित होने के संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है.
उल्लेखनीय है कि हिसार में भारतीय सेना द्वारा संचालित ब्रीडिंग स्टड फार्म, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, ट्रैक्टर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, बीएसएफ यूनिट, राजकीय पशुधन फार्म, फ्रोजन सीमन स्टेशन, वैटर्नरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट, हरियाणा वैटर्नरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट तथा क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान जैसे राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कृषि तथा पशुपालन से जुड़े संस्थान संचालित हैं. यहां रक्षा क्षेत्र से संबंधित हिसार कैंट भी स्थित है.
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हिसार में कार्गो एयरपोर्ट की स्थापना से जहां दिल्ली व चंडीगढ़ पर भीड़ का दबाव कम होगा, वहीं भारतीय सेना द्वारा संचालित अश्व प्रजनन केंद्र से अच्छी नस्ल के घोड़ों को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तरपूर्वी जैसे उच्च ऊंचाई वाले सामरिक महत्व के क्षेत्रों तक आसानी से पहुंचाना सुनिश्चित हो सकेगा. इन्हें हवाई मार्ग से दिल्ली-चंडीगढ़ एयरपोर्ट तक पहुंचाकर वहां से एयरलिफ्ट किया जा सकेगा.
हिसार व साथ लगते जिले जींद, भिवानी व कैथल भारत का काला सोना कही जाने वाली मुर्राह नस्ल की भैंसों के हब हैं और आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश व तमिलनाडु जैसे राज्यों से भैंसों के व्यापारी इन जिलों से भैंस खरीदकर अपने राज्यों को ले जाते हैं. पशुधन को सड़क मार्ग से ले जाने के कारण पशुओं को काफी परेशानी होती है और लंबे सफर के चलते कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है. हिसार में बनने वाले कार्गो एयरपोर्ट से पशुधन को दूरदराज के राज्यों में पहुंचाना आसान होगा.
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