गुरुग्राम: कभी लेजर वैली पार्क के नाम से जाने जाना वाला वर्तमान का महाराणा प्रताप स्वर्ण जयंती पार्क पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. इस बर्बादी के पीछे अधिकारियों की उदासीनता बताई जा रहा है. बताया जा रहा है कि पिछले काफी समय से इस पार्क की अनदेखी की जा रही है. लेजरवैली पार्क गुरुग्राम शहर की शान कहलाता है. शहर के एमजी रोड पर (मैनेजमेंट डेवेलपमेंट) एमडीआई चौक पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा को फ्लाईओवर बनाने से पहले शिफ्ट करके लेजरवैली पार्क के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया गया. फिर पार्क का नाम बदलकर महाराणा प्रताप स्वर्ण जयंती पार्क रख दिया गया.
लॉकडाउन से पहले की बात करें तो पार्क की स्थिति कुछ हद तक ठीक थी. अब तो ये पार्क पूरी तरह से बर्बाद हो गया है. क्योंकि लॉकडाउन में इसकी रखरखाव नहीं की गई. ऐसे में पेड़-पौधे सूख गए. कभी रंग-बिरंगे फूलों और रंग-बिरंगे म्यूजिकल फव्वारों से लोगों की सुबह और शाम को पॉजिटिविटी से भर देने वाला ये पार्क अब मुंह चिढ़ा रहा है. पहले ये पार्क हुडा विभाग के अधिन था. जो कि बाद में जीएमडीए के अधीन आ गया.
बताया जा रहा है कि लेजर वैली सुधार सिमिति कई बार अधिकारियों को पार्क के बारे में शिकायत कर चुकी है. लेकिन हालात जस के तस बने हुए है. आलम ये है की रात को यहां आसामाजिक तत्व शराब पीते हैं. इसका नमूना आप इन तस्वीरों में देख सकते है. ये पार्क शराबियों का अड्डा बन गया है. पार्क में जगह-जगह पर शराब की खाली बोतलें, बोतलों के रैपर और खान-पान के खाली पैकेट पड़े हुए हैं. पहले यहां लोग अपने पूरे परिवार के साथ घंटों तक सैर-सपाटा करते थे. लेकिन अब लोगों को यहां परिवार के साथ आना पसंद नहीं करते हैं.
लेजर वैली पार्क सुधार समिति के लोगो का कहना है कि पार्क को बर्बाद करने में जीएमडीए सीधे तौर पर दोषी है क्योंकि यहां कुछ काम नहीं किया जा रहा. बर्बाद होने के साथ-साथ पार्क अब जंगल में तब्दील हो गया है. ना तो अब फव्वारें चलाए जा रहे हैं और ना ही यहां कोई मेंटेनेंस किया जा रहा है. समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार तो पार्कों के रखरखाव के नाम पर करोड़ों का बजट जारी करती है. लेकिन अधिकारियों के स्तर पर बड़ी लापरवाही हो रही है. सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए.
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साइबर सिटी गुरुग्राम की विश्व में एक अलग की पहचान है. यहां विकास के नाम पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन अगर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी पार्को की हालत ऐसी होगी तो लोग कहां जाएंगे क्योकि सबसे ज्यादा रेवेन्यू गुरुग्राम से ही प्रदेश सरकार को जाता है. लेकिन अधिकरियों की उदासीनता के चलते इस पार्क के हालात बर्बादी की कहानी बया कर रही है. सुधार सिमिति संबंधित अधिकारियों से मिल कर कई बार पार्क के हालात बता चुकी है. अब देखना होगा की पार्क की सूरत अधिकारी कब तक बदल पाते हैं.