गुरुग्राम: प्रदेश सरकार 'जल है तो कल है' जैसे लोकलुभावन नारों से आम जनता को जागरूक करती आ रही है, लेकिन बावजूद इसके पानी की बर्बादी को रोकना सरकार के लिए या सिस्टम के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता जा रहा है.
गुरुग्राम में पानी की बर्बादी को रोकने को लेकर और बेवजह पानी बर्बाद करने वाले लापरवाह उपभोगताओं को सबक सिखाने की दिशा में निगम ने काम करना शुरू कर दिया है. निगम कमिश्नर विनय प्रताप सिंह की मानें तो नगर निगम के दायरे में आने वाले 4 लाख घरों में पानी के मीटर लगाकर मीटर रीडिंग के हिसाब से पानी के बिल वसूलने को तैयारी को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी गई है.
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4 लाख घरों के सर्वे में सामने आया कि मात्र 80 हजार उपभोक्ताओं के घरों में पानी के मीटर लगे हैं और सिर्फ यही लोग मीटर रीडिंग के हिसाब से पानी के बिल की अदायगी करते आ रहे हैं.
नगर निगम कमिश्नर ने कहा कि गुरुग्राम पहले से ही डार्क जोन घोषित हो चुका है, लेकिन बावजूद इसके ज्यादातर उपभोक्ता पानी की बर्बादी को लेकर गंभीर नहीं है जिसके चलते साइबर सिटी में पीने के पानी की कमी साल दर साल बढ़ती चली जा रही है.
निगम कमिश्नर ने कहा कि जहां मीटर लगने के बाद पानी की बर्बादी पर नकेल कसी जा सकेगी तो वहीं नगर निगम के खजाने में भी इजाफा हो सकेगा. बता दें कि, नगर निगम गुरुग्राम 1 फरवरी से मीटर रीडिंग के अनुसार पानी की वसूली शुरू करने जा रहा है.
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