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बीजेपी सांसद की कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज, सोसाइटी में सुविधा नहीं देने पर हुई कार्रवाई

गुरुग्राम में सोसाइटियों में बुनियादी सुविधाओं नहीं देने के कारण बीजेपी सांसद सुखबीर जौनपुरिया समेत 5 अन्य बिल्डर्स कंपनियों के खिलाफ गुरुग्राम के सेक्टर-50 थाना में मामला दर्ज किया गया है.

Sukhbir Singh Jaunapuria FIR gurugram
Sukhbir Singh Jaunapuria FIR gurugram
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Published : Feb 24, 2020, 7:32 PM IST

गुरुग्राम: मेफिल्ड गार्डन समेत कई कॉलोनियों में नियमों की अनदेखी और बुनियादी सुविधाएं न देने पर बीजेपी सांसद समेत 5 रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट(टीसीपी) की सिफारिश पर गुरूग्राम पुलिस ने यह कार्रवाई की है. यह एफआईआर हरियाणा डिवेलपमेंट एंड रेगुलेशन ऑफ अर्बन एरिया एक्ट 1975 के सेक्शन-10 का उल्लंघन करने पर हुई है.

इन कंपनियों ने एकजुट होकर मेफिल्ड गार्डन कॉलोनी को विकसित करने के लिए सेक्टर-45, 50, 51 और 57 की 327.73 एकड़ जमीन का लाइसेंस लिया था. टीसीपी डिपार्टमेंट के कार्यवाहक डीटीपीई ने शीतल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, सतसुधा इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, न्यू इंडिया सिटी डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, नॉर्थ स्टार अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अजय इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.

बीजेपी सांसद की कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज, सोसाइटी में सुविधा नहीं देने पर हुई कार्रवाई.

इसमें नॉर्थ स्टार अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड राजस्थान के एक सांसद की है. इस मेफिल्ड गार्डन कॉलोनी में 13 ब्लॉक हैं. इसके सी, डी, के, जे, एम, एन ब्लॉक के अलावा, इसमें लग्जोटिका, वाइट हाउस, प्रिंस्टन एस्टेट, एम2के ओरा, द पलेडियन, ओर्किड आइलेंड, टूडे ब्लोसम 1 और 2 आदि शामिल हैं. इनमें करीब 20 हजार परिवार रह रहे हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा के इस गांव की लड़कियों ने भेजी थी 'ट्रंप भैया' को राखी, जानिए मरोड़ा गांव का ट्रंप कनेक्शन

इन कंपनियों ने पर्याप्त बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं किया. गर्मियों में रेजिडेंट्स को अघोषित बिजली कट का सामना करना पड़ता है. कम्युनिटी सेंटर का निर्माण अब तक नहीं हुआ है. लोगों का कहना है कि बिल्डरों ने पैसे लेकर भी कॉलोनी में ठीक से काम नहीं करवाया. यही नहीं बिल्डिंग के निर्माण में कई नियमों की अनदेखी की गई. ऐसे में रियल एस्टेट कंपनियों के पीछे हटने के बाद मजबूरी में खरीदारों ने बुनियादी सुविधाओं को अपने हाथ में ले लिया.

बता दें कि एक रेजिडेंट रिटायर्ड कमांडर धर्मवीर यादव की याचिका पर साल 2012 में तत्कालीन लोकायुक्त ने मेफिल्ड गार्डन का निरीक्षण किया था. उन्होंने टीसीपी डिपार्टमेंट को लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. साल 2013 में इस कॉलोनी का कंप्लीशन सर्टिफिकेट कैंसल कर दिया था.

ये भी पढ़ें- सुरजेवाला की फाइल को खट्टर सरकार ने 4 साल बाद दी मंजूरी, 6 साल में सिर्फ सरिए ही लगे

गुरुग्राम: मेफिल्ड गार्डन समेत कई कॉलोनियों में नियमों की अनदेखी और बुनियादी सुविधाएं न देने पर बीजेपी सांसद समेत 5 रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट(टीसीपी) की सिफारिश पर गुरूग्राम पुलिस ने यह कार्रवाई की है. यह एफआईआर हरियाणा डिवेलपमेंट एंड रेगुलेशन ऑफ अर्बन एरिया एक्ट 1975 के सेक्शन-10 का उल्लंघन करने पर हुई है.

इन कंपनियों ने एकजुट होकर मेफिल्ड गार्डन कॉलोनी को विकसित करने के लिए सेक्टर-45, 50, 51 और 57 की 327.73 एकड़ जमीन का लाइसेंस लिया था. टीसीपी डिपार्टमेंट के कार्यवाहक डीटीपीई ने शीतल इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, सतसुधा इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, न्यू इंडिया सिटी डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, नॉर्थ स्टार अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अजय इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.

बीजेपी सांसद की कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज, सोसाइटी में सुविधा नहीं देने पर हुई कार्रवाई.

इसमें नॉर्थ स्टार अपार्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड राजस्थान के एक सांसद की है. इस मेफिल्ड गार्डन कॉलोनी में 13 ब्लॉक हैं. इसके सी, डी, के, जे, एम, एन ब्लॉक के अलावा, इसमें लग्जोटिका, वाइट हाउस, प्रिंस्टन एस्टेट, एम2के ओरा, द पलेडियन, ओर्किड आइलेंड, टूडे ब्लोसम 1 और 2 आदि शामिल हैं. इनमें करीब 20 हजार परिवार रह रहे हैं.

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इन कंपनियों ने पर्याप्त बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं किया. गर्मियों में रेजिडेंट्स को अघोषित बिजली कट का सामना करना पड़ता है. कम्युनिटी सेंटर का निर्माण अब तक नहीं हुआ है. लोगों का कहना है कि बिल्डरों ने पैसे लेकर भी कॉलोनी में ठीक से काम नहीं करवाया. यही नहीं बिल्डिंग के निर्माण में कई नियमों की अनदेखी की गई. ऐसे में रियल एस्टेट कंपनियों के पीछे हटने के बाद मजबूरी में खरीदारों ने बुनियादी सुविधाओं को अपने हाथ में ले लिया.

बता दें कि एक रेजिडेंट रिटायर्ड कमांडर धर्मवीर यादव की याचिका पर साल 2012 में तत्कालीन लोकायुक्त ने मेफिल्ड गार्डन का निरीक्षण किया था. उन्होंने टीसीपी डिपार्टमेंट को लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. साल 2013 में इस कॉलोनी का कंप्लीशन सर्टिफिकेट कैंसल कर दिया था.

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