फरीदाबाद: डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पिछले 1 महीने से भी ज्यादा समय से अपने घर-परिवार से दूर होटलों में रहकर कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इनमें से कुछ मानसिक परेशानी झेल रहे हैं तो किसी ने अपना बच्चा गंवा दिया. लेकिन फिर भी हिम्मत के साथ सभी का टारगेट एक ही है. मिलकर कोरोना वायरस को हराना है. इनका यही जज्बा इन्हें सबसे अलग करता है.
मेडिकल स्टाफ महीनों से घर नहीं गया
फरीदाबाद में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ मिलाकर लगभग 250 ऐसे डॉक्टर और नर्स हैं. जो महीनों से अपने घर का दरवाजा तक नहीं देख पाए हैं. लेकिन फिर भी सभी मिलकर कह रहे हैं कि कोरोना को हराना है. सभी के मन में कहीं ना कहीं अपने बच्चों परिवार से दूर रहने का दर्द जरूर है. लेकिन वो इस दर्द को बुलाकर देश की जनता की सेवा के लिए 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात हैं.
नर्सिंग स्टाफ दीपक का बच्चा मिसकैरेज हो गया, लेकिन वो घर नहीं गए
राजस्थान के रहने वाले 29 वर्षीय नर्सिंग स्टाफ दीपक कुमार बताते हैं कि वो 2 महीने से घर नहीं गए हैं. उनकी तैनाती कोविड-19 के आइसोलेशन वार्ड में है. कोविड-19 के चलते मानसिक प्रेशर बहुत ज्यादा है और इसी प्रेशर के कारण उनकी वाइफ का 2 महीने का बच्चा मिसकैरेज हो चुका है.
उन्होंने कहा कि उनके भाई भी मेडिकल स्टाफ में नौकरी करते हैं और पिता गांव में कोविड-19 के लिए ड्यूटी कर रहे हैं. दीपक ने बताया कि जब उनका बच्चा मिसकैरेज हुआ तो उनकी पत्नी ने उनको आने के लिए कहा लेकिन वो तब भी अपनी पत्नी के पास नहीं जा पाए. क्योंकि उनको पता है कि वो खुद कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में वो अपने परिवार को खतरे में नहीं डाल सकते और वो इस प्रेशर को झेलते हुए अपना फर्ज निभा रहे हैं.
अलीगढ़ के दामोदर की कहानी
अलीगढ़ के रहने वाले दामोदर और उसकी पत्नी दोनों ही नर्सिंग स्टाफ में हैं. फरीदाबाद के एएसआई नंबर 3 में कोविड-19 के लिए ड्यूटी दे रहे हैं. दामोदर की 3 साल का बेटा और 5 साल की बेटी है. जो अपने मामा के पास रह रहे हैं.
दामोदर ने बताया कि वो पिछले 1 महीने से यहां पर हैं और बच्चों से केवल वीडियो कॉल या फोन के माध्यम से ही बात होती है. उन्होंने अपने बच्चों को उनके मामा के पास छोड़ा हुआ है. बच्चे घर आने की जिद फोन पर करते हैं. घर जाने का मन उनका भी बहुत है. लेकिन कोविड-19 में लोगों की सेवा करना उनका सबसे पहला काम है.
राजस्थान के आशीष 2 महीने से घर नहीं गए
कोविड-19 में राजस्थान के रहने वाले आशीष 2 महीने से होटल में रहकर ड्यूटी कर रहे हैं. आशीष की पत्नी भी जयपुर के अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही हैं. आशीष की 11 महीने की बच्ची है. जो उन्होंने नानी के पास छोड़ी हुई है. पति और पत्नी में से कोई भी बच्ची के पास नहीं जा पाता. उन्होंने कहा कि बच्ची का चेहरा वो केवल वीडियो कॉल के माध्यम से ही देख पाते हैं. बच्ची का चेहरा देखने के बाद उनका भी घर जाने का मन करता है. लेकिन वो अपना फर्ज निभा रहे हैं.
ज्योति अपने बच्चों से दूर
घर से दूर रहकर ड्यूटी करने वालों में महिला स्वास्थ्य कर्मचारी भी पीछे नहीं हैं. फरीदाबाद के ही बल्लभगढ़ की रहने वाली ज्योति घर के इतने नजदीक होने के बाद भी 1 महीने से घर नहीं गई हैं. ज्योति के दो बच्चे हैं. जिनमें से एक की उम्र 10 साल और दूसरे की 6 साल है. ज्योति बताती हैं कि जब भी वो घर पर फोन करती हैं. बच्चों से बात करते हैं तो बच्चे घर आने की जिद करते हैं.
ज्योति ने बताया कि उनकी माता उनको कोरोना के दौरान लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित करती हैं. ज्योति ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में मरीजों का इलाज करती हैं. ये उनके लिए गर्व की बात है.
फरीदाबाद में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ अपने परिवार को छोड़कर होटलों में रहकर कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ये लोग परिवार को पीछे छोड़ अपने फर्ज को निभा रहे हैं.
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