फरीदाबाद: नगर निगम में 50 करोड़ रुपए के घोटाले के (Faridabad Municipal Corporation scam) आरोपी निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर को बड़ा झटका लगा है. सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. पंकज की कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. साथ ही कोर्ट ने विजिलेंस को भी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि जब कागज में आईएएस अधिकारी की सीधे-सीधे भूमिका नजर आ रही है तो उस अधिकारी के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
दूसरी ओर अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब डीआर भास्कर हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं. बता दें कि बिना काम किए नगर निगम से 50 करेाड़ रुपए पेमेंट लेकर घाेटाले के आराेप में स्टेट विजिलेंस की टीम ने 6 अप्रैल को आरोपी ठेकेदार सतवीर सिंह को गिरफ्तार किया था. ठेकेदार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. ठेकेदार को जेल भेजने के करीब एक हफ्ते बाद विजिलेंस ने पूर्व चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर, पूर्व एक्सईएन रमन शर्मा समेत चार अन्य कर्मचारियेां के खिलाफ केस दर्ज किया था. केस दर्ज होने के बाद पूर्व चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी.
जानकारी के अनुसार सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डाॅ. पंकज ने भास्कर की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई की. विजिलेंस ने कोर्ट से कहा कि आरोपी को जमानत नहीं मिलनी चाहिए. क्योंकि घोटाले के तमाम साक्ष्य आरोपी के विरुद्ध हैं इसलिए हमें आरोपी को कस्टडी में लेकर पूछताछ करनी है. विजिलेंस के कागजात में एक महिला आईएएस अधिकारी के भी हस्ताक्षर मिले हैं. लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई न करने पर कोर्ट ने विजिलेंस को फटकार लगाई. आरोपी डीआर भास्कर के वकील दीपक गेरा ने कोर्ट से कहा कि बिना कस्टडी में लिए भी पूछताछ की जा सकती है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. एडवोकेट दीपक गेरा का कहना है कि अभी कोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं मिली है. कापी मिलने के बाद हाईकाेर्ट जाएंगे.
फरीदाबाद नगर निगम घोटाला क्या है- फरीदाबाद के नगर निगम में करीब 200 करोड़ रुपये घोटाले का खुलासा हुआ है. इस घोटाले का आरोपी ठेकेदार विजिलेंस की गिरफ्त में है. ठेकेदार ने अधिकारियों के साथ मिलकर बिना काम के ही 50 करोड़ रुपये भुगदान भी करा लिया. इस पूरे मामले में कई बड़े अधिकारी भी आरोपी हैं जिनमें से एक पूर्व चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर भी है.
पार्षदों ने की थी शिकायत- कोरोना काल में सात जुलाई-2020 को पांच पार्षदों ने नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त डॉ. यश गर्ग को एक शिकायत दी थी. शिकायत में कहा गया कि उनके वार्डों में विकास कार्य हुए नहीं हैं और करीब 50 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. इस पर निगम आयुक्त ने जांच कमेटी का गठन कर दिया. मामला राज्य सरकार तक पहुंचा तो सरकार ने मामले की जांच 05 फरवरी 2021 को विजिलेंस को सौंप दी. उसके बाद इस मामले में बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं.
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