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यमुनानगर: आखिर क्यों खनन माफिया पर FIR दर्ज होने के बाद भी नहीं हो पाती कार्रवाई? - punjab and haryana high court

हाई कोर्ट में हरियाणा के यमुनानगर एसपी की तरफ से जो एफिडेविट दी गई, वह काफी चौंकाने वाली थी. इस एफिडेविट में पिछले 6 से 7 साल में 487 FIR दर्ज हुई थी, जिसमें से महज छह मामलों में ही सजा हो पाई.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
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Published : Aug 13, 2019, 4:40 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में विपक्षी दल हरियाणा सरकार को अवैध खनन के मामले को लेकर घेरते नजर आते हैं. विपक्षी पार्टियों की तरफ से हरियाणा सरकार पर अवैध खनन को संरक्षण देने के आरोप लगाए जाते हैं.

जानिए खनन माफियाओं पर क्यों नहीं लग पा रही लगाम

अवैध खनन में जहां भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता है, वहीं खनन से होने वाले प्राकृतिक नुकसान को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं. हाई कोर्ट में हरियाणा के यमुनानगर एसपी की तरफ से जो एफिडेविट दी गई, वह काफी चौंकाने वाली थी .

चौंकाने वाला खुलासा
दरअसल जानकारी के अनुसार यमुनानगर जिले में पिछले 6 से 7 साल में 487 FIR दर्ज हुई थी. जिसमें से महज छह मामलों में ही सजा हो पाई. अधिकतर मामलों में दोषी बनाए गए लोग बरी हो गए.

उन्होंने कहा कि यमुनानगर के खिजराबाद थाने के अंतर्गत अधिकतर एफ FIR होती है. जहां पर सुबह शाम माइनिंग होती है. इस मामले में हाईकोर्ट की तरफ से मुख्य सचिव हरियाणा, डीजीपी हरियाणा और सेक्रेटरी माइंस भारत सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि अवैध माइनिंग के मामले में जो लगातार आरोपी बरी हो रहे हैं. उस मामले में जांच के बाद आरोपी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एफिडेविट दायर करेंगे. हालांकि अभी 20 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई है. जिसमें जवाब दायर किया जाना है.

चंडीगढ़: हरियाणा में विपक्षी दल हरियाणा सरकार को अवैध खनन के मामले को लेकर घेरते नजर आते हैं. विपक्षी पार्टियों की तरफ से हरियाणा सरकार पर अवैध खनन को संरक्षण देने के आरोप लगाए जाते हैं.

जानिए खनन माफियाओं पर क्यों नहीं लग पा रही लगाम

अवैध खनन में जहां भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता है, वहीं खनन से होने वाले प्राकृतिक नुकसान को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं. हाई कोर्ट में हरियाणा के यमुनानगर एसपी की तरफ से जो एफिडेविट दी गई, वह काफी चौंकाने वाली थी .

चौंकाने वाला खुलासा
दरअसल जानकारी के अनुसार यमुनानगर जिले में पिछले 6 से 7 साल में 487 FIR दर्ज हुई थी. जिसमें से महज छह मामलों में ही सजा हो पाई. अधिकतर मामलों में दोषी बनाए गए लोग बरी हो गए.

उन्होंने कहा कि यमुनानगर के खिजराबाद थाने के अंतर्गत अधिकतर एफ FIR होती है. जहां पर सुबह शाम माइनिंग होती है. इस मामले में हाईकोर्ट की तरफ से मुख्य सचिव हरियाणा, डीजीपी हरियाणा और सेक्रेटरी माइंस भारत सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि अवैध माइनिंग के मामले में जो लगातार आरोपी बरी हो रहे हैं. उस मामले में जांच के बाद आरोपी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एफिडेविट दायर करेंगे. हालांकि अभी 20 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई है. जिसमें जवाब दायर किया जाना है.

Intro: pls note - खबर पर माइनिंग शॉर्ट्स मंगवाकर पैकेज बना सकते है ।

हरियाणा में लचर कानून या लचर
माइनिंग माफियाओं पर मेहरबान पुलिस
487 केस में से महज छह में हुई सजा


एंकर -
हरियाणा में गाहे-बगाहे विपक्षी दल हरियाणा सरकार को अवैध खनन के मामले को लेकर खेलते नजर आते हैं । विपक्षी पार्टियों की तरफ से हरियाणा सरकार पर अवैध खनन में को संरक्षण देने के आरोप लगाए जाते हैं । अवैध खनन में जहां भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता है वही खनन से होने वाले प्रकृतिक नुकसान को लेकर भी आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं । हाई कोर्ट में हरियाणा के यमुनानगर एसपी की तरफ से दी गई वह काफी चौंकाने वाली थी । दरअसल जानकारी के अनुसार यमुनानगर जिले में पिछले 6 से 7 साल में 487 एफ आई आर दर्ज हुई थी जिसमें से महज छह मामलों में ही सजा हो पाई अधिकतर मामलों में दोषी बनाए गए लोग बरी हो गए । उन्होंने कहा कि यमुनानगर के खिजराबाद थाने के अंतर्गत थी अधिकतर एफ आई आर दर्ज होती हैं जहां पर सुबह शाम माइनिंग होती है । इस मामले में हाई कोर्ट की तरफ से मुख्य सचिव हरियाणा , डीजीपी हरियाणा और सेक्टरी माइंस भारत सरकार को आदेश जारी किए गए थे कि अवैध माइनिंग के मामले में जो लगातार आरोपी बरी हो रहे हैं उस मामले में जांच के बाद आरोपी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एफिडेविट दायर करेंगे । हालांकि अभी 20 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई है जिसमें जवाब दायर किया जाना है ।


Body:अवैध माइनिंग कर माइनिंग माफ़ियाओं की तरफ से मिट्टी सोना बनाया का रहा है । अवैध माइनिंग के आरोप हरियाणा सरकार के कई मंत्रियों पर विपक्षी पार्टियों के लोग लगा चुके है । इन आरोपो में कितनी सच्चाई है ? इसपर दावा नही किया का सकता । मगर जो एफिडेविट के माध्यम सेआंकड़े हाई कोर्ट में एसपी यमुनानगर की तरफ से हाई कोर्ट में दिए गए है वो जरूर सोचने पर मजबूर कर सकते है कि आखिर अवैध खनन मामले में कानून इतना लचर क्यो बनाया गया वहीं एफआईआर दर्ज होने पर एफआईआर में छोड़े गए कई लूज पॉइंट दोषी को बरी करवाने के लिए काफी साबित होती है । मामले में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता वकील नामित खुराना ने बताया कि हरियाणा में माइन एंड मिनरल एक्ट के तहत जो प्रावधान हैं उसके तहत अवैध खनन में शामिल पाए जाने पर पहली और दूसरी बार कोई एफ आई आर दर्ज नहीं होती । इसमें केवल 10 हजार देकर हल किया जा सकता है । नियमों के अनुसार तीसरी बार अवैध खनन में शामिल हो पाए जाने पर एफ आई आर दर्ज की जाती है । उन्होंने बताया कि यमुनानगर जिले में पिछले 6 से 7 साल में 487 एफ आई आर दर्ज हुई थी जिसमें से महज छह मामलों में ही सजा हो पाई अधिकतर मामलों में दोषी बनाए गए लोग बरी हो गए । उन्होंने कहा कि यमुनानगर के खिजराबाद थाने के अंतर्गत थी अधिकतर एफ आई आर दर्ज होती हैं जहां पर सुबह शाम माइनिंग होती है । उन्होंने कहा कि अक्सर इस में खानापूर्ति करने के लिए जमीन के मालिक के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर दी जाती है । उन्होंने बताया कि माइनिंग से जुड़े हुए लोगों के पहुंच काफी ऊपर तक होती है यही कारण है कि अदालतों में पहुंचने के बाद आरोपी साबित नहीं हो पाते ।
बाइट - नामित खुराना , याचिकाकर्ता पक्ष के वकील


Conclusion:गौरतलब है कि जो जानकारियां एसपी यमुनानगर की तरफ से हाईकोर्ट में एफिडेविट के माध्यम से दी गई उसके बाद हाई कोर्ट की तरफ से हरियाणा सरकार को आदेश जारी किए गए थे । हाई कोर्ट की तरफ से हरियाणा के मुख्य सचिव हरियाणा के डी जे पी और सेक्टरी माइंस डिपार्टमेंट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से जवाब मांगा गया है । हाई कोर्ट की तरफ से 3 महीने में जांच पूरी करने को कहा गया था कि आखिर इतने बड़े स्तर पर अवैध खनन के दोषी क्यों बरी हो जाते हैं साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर एफिडेविट सौंपने के आदेश हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए थे । हाई कोर्ट में अब मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त की है जिसमें हरियाणा सरकार और सेक्टरी माइंस डिपार्टमेंट भारत सरकार की तरफ से जवाब आने की उम्मीद है । इसमें देखना यह भी होगा कि जो रिपोर्ट हरियाणा सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में दी जाएगी उसमें दोषियों के बरी होने के क्या कारण बताए जाते हैं साथ ही किन अधिकारियों को हरियाणा सरकार अपनी जांच में दोषी पाएगी ।
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