चंडीगढ़: प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में बहुत सारे स्कूल ऐसे थे, जहां छात्र संख्या ज्यादा थी, लेकिन शिक्षक कम थे. जबकी कई स्कूल ऐसे थे जहां छात्र कम थे और शिक्षक जरूरत से ज्यादा थे. शिक्षकों के पास पूरे सप्ताह में केवल 6 से 8 ही पीरियड होते थे. जिसके चलते तबादलों से पहले रेशनेलाइजेशन जरूरी था और इसीलिए रेशनेलाइजेशन के मुताबिक ही शिक्षकों के तबादले करने का फैसला सरकार की ओर से लिया गया.
तबादलों से पहले विभाग में ऐसी स्थिति थी कि कई शिक्षकों पर बहुत कम कार्यभार था जबकि कई शिक्षकों पर बहुत ज्यादा. गौरतलब है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों के करीब 76 फीसदी छात्र (10,19,530), केवल 42 फीसदी (2,308) सीनियर सेकेंडरी स्कूलों (6 से 12 वी) में पढ़ाई कर रहे हैं. जबकि 12 फीसदी (1,61,999) बच्चे 19 फीसदी (1025) हाई स्कूलों (6से 10वीं) में पढ़ रहे हैं और केवल 12 फीसदी (1,63,831) छात्र प्रदेश के 39 फीसदी (2,128) मिडल स्कूलों (6से 8वीं) में पढ़ाई कर रहे हैं.
ऐसे ही अगर शिक्षकों के रिक्त पदों की बात करें तो तबादला प्रक्रिया से पहले प्रदेश के 68 सरकारी स्कूलों में 0 पद रिक्त थे, यानी सभी पदों पर शिक्षकों की संख्या पूरी थी जबकि अब 85 स्कूलों में कोई भी पद रिक्त नही है. यानी इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति 100 फीसदी हो गई है. ऐसे ही तबादला प्रक्रिया से पहले 257 स्कूलों में शिक्षकों के 80 फीसदी से ज्यादा पद रिक्त थे जो अब घटकर 126 रह गए हैं. तबादला प्रक्रिया से पहले प्रदेश के सीनियर सेकेंडरी स्कूल जिनमे सबसे ज्यादा छात्र (76फीसदी-10,19,530) हैं, करीब 66 फीसदी (31701) शिक्षक थे, लेकिन अब इन स्कूलों में छात्रों की संख्या और आवश्यकतानुसार करीब 71 फीसदी (34579) शिक्षक उपलब्ध हो गये हैं.
हाई स्कूलों में जहां बच्चे बहुत कम हैं (12 फीसदी-1,61,999) वहां पहले लगभग 17 फीसदी (7961)शिक्षक थे अब करीब 12 फीसदी (5708) हो गए है. इसी तरह मिडल स्कूलों में पहले भी 35 फीसदी शिक्षक थे और अब भी 36 फीसदी ही हैं. गौरतलब है इन आंकड़ों में मॉडल संस्कृति स्कूलों को नही जोड़ा गया है. तबादला प्रक्रिया में 36 हजार शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया. जिसमें 30367 शिक्षक रेगुलर और 5241 अतिथि अध्यापक सम्मिलित हैं. तबादलों के बाद 75 फीसदी नियमित शिक्षकों को उनकी पहली 10 पसंद के विद्यालय अलॉट हुए हैं, जबकि 68 फीसदी अतिथि अध्यापकों को अपनी पहली पसंद के स्कूल अलॉट किये गए हैं.
विभाग के मुताबिक इन तबादलों में ज्यादा से ज्यादा छात्रों को शिक्षक और शिक्षकों को छात्र देने का काम किया गया है. तबादलों में पूर्ण सावधानी बरती गई है और पूरी निष्पक्षता के साथ तबादले किये जा रहे हैं. प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि तबादलों से सम्बंधित कई मामले हाईकोर्ट में भी गए, जिनमे विभाग की ओर से अपना पक्ष रखा गया और हाईकोर्ट के निर्देशानुसार समाधान भी किया गया.
विभाग के अनुसार जिन-जिन स्कूलों में तबादलों का विरोध हो रहा है उनमें अधिकतर वही मिडल और हाई स्कूल हैं जिनमे छात्रों की संख्या बेहद कम थी और शिक्षकों की अधिक. ऐसे में विभाग और सरकार का दायित्व है कि वो हर छात्र को पढ़ाई का बराबर अधिकार और सुविधाएं दे. विभागीय प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी भी कुछ स्कूलों में शिक्षकों की कमी है जिसे दूर करने के लिए रोजगार कौशल निगम के जरिये शिक्षकों की भर्ती की जाएगी. इसके अलावा शिक्षकों की नियमित भर्ती के लिए भी विभाग की ओर से HSSC और HPSC को लिखित में डिमांड भेज दी गई हैं.
गेस्ट टीचर के तबादलों पर विभाग की ओर से जानकारी देते हुए बताया गया कि गेस्ट टीचर्स को उनकी डिमांड पर ही तबादला प्रक्रिया में शामिल किया गया है. चूंकि 2021 में ही सभी गेस्ट टीचर्स को निर्देशित कर दिया गया था कि रेगुलर टीचर्स के तबादलों के बाद आपको भी तबादला प्रक्रिया में शामिल होना होगा. सभी गेस्ट टीचर्स का तबादला पॉलिसी के मुताबिक ही किया गया है. ज्यादातर उन्हीं शिक्षकों को दूर के स्कूल मिले हैं, जिन्होंने स्कूल ऑप्शन या तो भरे ही नहीं या फिर बहुत कम ऑप्शन पोर्टल पर भरे हैं.
इसके अलावा विभाग की ओर से अभी भी यही निर्देश दिए गए हैं कि अगर किसी भी गेस्ट या रेगुलर टीचर को तबादलों से सम्बंधित कोई भी समस्या है तो वो सुगम सम्पर्क पोर्टल के जरिये अपनी समस्या विभाग के सामने रख सकता है. विभाग की ओर से एक बार फिर स्पष्ट किया गया है कि इन तबादलों में किसी भी स्कूल को बंद नहीं किया गया है बल्कि अध्यापको का अधिक से अधिक सदुपयोग करने के उद्देश्य से स्कूल मर्ज किए गए हैं.