चंडीगढ़: नेशनल शूटर सिप्पी सिद्धू हत्याकांड (Sippy Sidhu Murder Case) में गिरफ्तार हुई हिमाचल हाईकोर्ट की जज की बेटी को जेल भेज दिया गया है. इससे पहले कोर्ट ने आरोपी कल्याणी को गिरफ्तार करने के बाद 6 दिन की सीबीआई रिमांड पर भेजा था. वहीं अब रिमांड पूरी होने के बाद अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होगी.
जानकारी के मुताबिक मंगलवार को आरोपी कल्याणी के वकील ने इस मामले से जुड़े दस्तावेजों को सीबीआई से मांगा था. साथ ही 2020 में सीबीआई द्वारा जो अनट्रेस दस्तावेज कोर्ट में दायर किए गए थे, उसकी कॉपी भी कल्याणी के वकील ने मांगी है. हालांकि सीबीआई के वकील ने किसी भी तरह के दस्तावेज देने से इनकार किया है. सीबीआई अगर इस मामले में किसी अन्य आरोपी को नहीं पकड़ पाती है, तो 90 दिन के अंदर उन्हें कल्याणी के खिलाफ चालान पेश करना होगा. अगर कोई आरोपी पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सप्लीमेंट्री चालान पेश किया जा सकता है. इस मामले में चार्ज फ्रेम होने के बाद कल्याणी पर ट्रायल चलेगा.
जानकारों के मुताबिक इस मामले में सीबीआई को अभी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. क्योंकि कल्याणी के खिलाफ कोई ऐसा सबूत सीबीआई के पास नहीं है जिससे वह उसे इस मामले में कोर्ट के सामने दोषी साबित कर सके. अभी यह केस सरकमस्टेंशियल एविडेंस पर आधारित ही दिखाई देता है. इसके आधार पर सीबीआई को केस लंबा खींचने में मुश्किल होगी. बड़ी बात यह है कि हत्या के 7 साल के बाद अभी तक मामले से जुड़ी गाड़ी सीबीआई बरामद नहीं कर पाई है. कल्याणी के जो मोबाइल टावर लोकेशन हैं वह भी सीबीआई के पास नहीं है.
सिप्पी सिद्धू हत्याकांड क्या है- 20 सितंबर 2015 दिन रविवार को रात रात करीब 9 बजे सिप्पी सिद्धू की हत्या हुई थी. चंडीगढ़ में सेक्टर-27 स्थित पार्क के अंदर हाई कोर्ट के वकील और नेशनल शूटर सुखमनप्रीत सिंह सिद्धू का शव पुलिस ने बरामद किया था. पुलिस के अनुसार मृतक के शरीर पर हमलावरों ने चार गोलियां मारी थी. इस कारण सिद्धू की मौके पर ही मौत हो गई थी. चंडीगढ़ पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर तत्कालीन एसपी सिटी परमिंदर सिंह की अगुवाई में जांच शुरू कर दी थी.
परिजनों ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की एक जज की बेटी पर सिप्पी की हत्या का आरोप लगाया था. सिप्पी के परिजनों का आरोप था कि सिटिंग जज की बेटी के हत्या में शामिल होने के कारण ही पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी. परिजन भी काफी लंबे समय से सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. शहर के तत्कालीन प्रशासक और पंजाब-हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के आदेशों के बाद ये मामला सीबीआई को ट्रांसफर हुआ था. वहीं 7 साल तक इस मामले में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई थी. अब जाकर इस मामले में आरोपी कल्याणी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है.
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