चंडीगढ़: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने डिजीटल पत्रकारवार्ता आयोजित कर हरियाणा सरकार पर हमला बोला है. सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय परंपरा व संस्कृति में दान सदैव ऐच्छिक रहा है. यह पहला मौका है कि एक तरफ तो हरियाणा के कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों से परेशान हैं और दूसरी तरफ सरकारी फरमान के जरिए 20 प्रतिशत तक वसूली की जा रही है.
उन्होंने कहा कि कोरोना से जंग में हरियाणा के कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर आगे खड़े हैं. पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट यानि एन-95 मास्क, गॉगल्स, ग्लव्स, बॉडी कवर आदि न उपलब्ध होने के बावजूद भी हमारे डॉक्टर, नर्स व स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं. पुलिस के कर्मचारी व अधिकारी दिन रात चप्पे-चप्पे पर ठीकरी पहरा लगाए बैठे हैं.
विद्युतकर्मी बिजली व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने की निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, तो जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी पानी की आपूर्ति करने में लगे हैं. शिक्षक घर-घर जाकर मिड-डे मील बच्चों तक पहुंचा रहे हैं, तो गांव व शहर के सफाई कर्मचारियों ने सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने का बीड़ा उठाया है.
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इस सबके बावजूद भी 07 अप्रैल, 2020 तक खट्टर सरकार द्वारा कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं दी गई ह. कर्मचारियों द्वारा 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत या उससे अधिक उगाही की जा रही है. इससे साफ है कि 04 अप्रैल, 2020 तक प्रदेश के 1,64,718 कर्मचारियों से 63,68,26,479 रु. की उगाही की जा चुकी है व बाकी जारी है. सुरजेवाला ने कहा कि चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस जबरन वसूली से स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों व दूसरे अधिकारियों तक को नहीं बख्शा गया.
एक तरफ तो पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट के अभाव में डॉक्टर व नर्स कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं, तथा रेनकोट व हैलमेट पहनकर कोरोना का इलाज करने को बाध्य हैं, तो दूसरी तरफ उनसे की जा रही यह वसूली सरकार के अमानवीय तथा असंवेदनशील रवैये को साबित करती है.
यही हाल पुलिस कर्मियों व सफाई कर्मचारियों का भी है. जबरदस्ती के फरमान का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जबरन दान न देने वाले कर्मचारियों की मार्च, 2020 की तनख्वाह रोकने का आदेश जारी कर दिया गया है.
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उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि खट्टर सरकार दान की यह पहल गवर्नर, मुख्यमंत्री, मंत्रीगण, सभी विधायकगण, सभी सांसदगण, बोर्ड/कॉर्पोरेशन/कमीशन के सभी अध्यक्ष व सदस्यगण की तीन महीने की तनख्वाह इस कोरोना फंड में दान कर शुरू करती. इसके साथ-साथ प्रदेश के उद्योगपतियों, मिल मालिकों, बड़ी-बड़ी माईनिंग व शराब की कंपनियों तथा अन्य पूंजीपतियों को दान के इस यज्ञ में आहुति डालने के लिए प्रोत्साहित करते.
इस मौके पर रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश सरकार से ये पांच सवाल किए-
1.दान के नाम पर खट्टर सरकार कर्मचारियों से जबरन वसूली क्यों कर रही है?
2.क्या सरकारी फरमान जारी कर दान न देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकना या काटना उचित है?
3.क्या मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, सांसदों, विधायकों, बोर्ड/कॉर्पोरेशन/कमीशन के चेयरमैनों व सदस्यों द्वारा अपनी तनख्वाह से कोरोना रिलीफ फंड में राशि दान की गई है? अगर हां, तो यह राशि कितनी है?
4.क्या इस रिलीफ फंड का इस्तेमाल डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाई कर्मचारियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट व एन95 मास्क आदि खरीदने के लिए किया गया है? यदि हां, तो इस पर कितनी राशि खर्च हुई है?
5.खट्टर सरकार ने आज तक इस फंड से किस मद में कितना पैसा खर्च किया? किस कंपनी तथा किस सप्लायर को किस एवज में कितना भुगतान हुआ? क्या कोरोना रिलीफ फंड की वेबसाईट बनाकर प्रतिदिन पैसे के इस्तेमाल व खर्चे की सूचना जनता से साझा करेंगे?