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फोन पर जातिसूचक शब्द कहना अपराध की श्रेणी से बाहर- HC - पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट जातिसूचक केस

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि फोन पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.

punjab haryana hc said that castiest remarks made over phone is not an offence under sc/st act
फोन पर जातिसूचक शब्द कहना अपराध की श्रेणी से बाहर- HC
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Published : Jun 4, 2020, 1:04 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले का निपटारा करते हुए कहा कि फोन पर किसी के लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.

कुरुक्षेत्र के गांव घराडसी निवासी प्रदीप और संदीप पर आरोप था कि उन्होंने गांव के सरपंच को फोन पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया था और उसकी बहन के प्रति अश्लील टिप्पणी की थी. जिसको लेकर जस्टिस एचएस गिल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये घटना अपराध की श्रेणी में तब आती, जब सार्वजनिक स्थान पर की जाती हो और किसी तीसरे व्यक्ति ने बातचीत को सुना होता तो वो अपराध की श्रेणी में आती.

फोन पर जातिसूचक शब्द कहना अपराध की श्रेणी से बाहर- HC

बताया जा रहा है कि घराडसी के सरपंच राजेंद्र कुमार की शिकायत पर पुलिस ने अक्टूबर 2017 में आईपीसी और एससी एसटी एक्ट के तहत प्रदीप और संदीप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. सरपंच ने आरोप लगाया था कि दोनों ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी. इस मामले में कुरुक्षेत्र सेशन कोर्ट ने 1 साल पहले आरोप तय करने के आदेश दिए थे. जिसको लेकर जस्टिस एचएस गिल ने फैसला सुनाया.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में जुलाई से खुलेंगे स्कूल, तीन फेज में शुरू की जाएंगी कक्षाएं- शिक्षा मंत्री

वहीं पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर वकील रीटा कोहली ने बताया कि एससी एसटी एक्ट में बहुत सारे प्रावधान है. लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. जिसके लिए सरकार को जागरूक करने की जरूरत है.

उन्होंने बताया कि एससी एसटी एक्ट का कुछ लोग गलत इस्तेमाल करते हैं और फायदा भी उठाते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस को भी इस एक्ट की जानकारी नहीं है. जिसके चलते पुलिस भी एफआईआर दर्ज कर लेती है. लेकिन जब भी मामला अदालत में पहुंचता है तो वो प्रावधान में ही नहीं रहता है.

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले का निपटारा करते हुए कहा कि फोन पर किसी के लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना अनुसूचित जाति एवं जनजाति उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.

कुरुक्षेत्र के गांव घराडसी निवासी प्रदीप और संदीप पर आरोप था कि उन्होंने गांव के सरपंच को फोन पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया था और उसकी बहन के प्रति अश्लील टिप्पणी की थी. जिसको लेकर जस्टिस एचएस गिल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये घटना अपराध की श्रेणी में तब आती, जब सार्वजनिक स्थान पर की जाती हो और किसी तीसरे व्यक्ति ने बातचीत को सुना होता तो वो अपराध की श्रेणी में आती.

फोन पर जातिसूचक शब्द कहना अपराध की श्रेणी से बाहर- HC

बताया जा रहा है कि घराडसी के सरपंच राजेंद्र कुमार की शिकायत पर पुलिस ने अक्टूबर 2017 में आईपीसी और एससी एसटी एक्ट के तहत प्रदीप और संदीप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. सरपंच ने आरोप लगाया था कि दोनों ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी. इस मामले में कुरुक्षेत्र सेशन कोर्ट ने 1 साल पहले आरोप तय करने के आदेश दिए थे. जिसको लेकर जस्टिस एचएस गिल ने फैसला सुनाया.

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वहीं पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के सीनियर वकील रीटा कोहली ने बताया कि एससी एसटी एक्ट में बहुत सारे प्रावधान है. लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. जिसके लिए सरकार को जागरूक करने की जरूरत है.

उन्होंने बताया कि एससी एसटी एक्ट का कुछ लोग गलत इस्तेमाल करते हैं और फायदा भी उठाते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस को भी इस एक्ट की जानकारी नहीं है. जिसके चलते पुलिस भी एफआईआर दर्ज कर लेती है. लेकिन जब भी मामला अदालत में पहुंचता है तो वो प्रावधान में ही नहीं रहता है.

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