चंडीगढ़ः हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले प्याज के दामों ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. लगातार बढ़ रहे प्याज के दामों से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने राशन डिपो पर प्याज 31 रुपये किलो देना शुरू किया है. उधर केंद्र सरकार ने फिलहाल प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है.
आम आदमी को रुला रहा प्याज
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे प्याज के दामों ने आम आदमी की मुसीबत बढ़ा दी है. आम जनता के साथ-साथ ये सरकार के लिए भी मुसीबत है क्योंकि हरियाणा में 21 अक्तूबर को वोट डाले जाने हैं. और ऐसे में प्याज के दाम बढ़ना सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है.
अभय चौटाला का सरकार पर वार
इनेलो नेता अभय चौटाला ने ट्वीट कर प्याज के बढ़ते दामों को लेकर सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने लिखा कि पेट्रोल भी होगा 75 पार, प्याज़ भी होगी 75 पार, इसलिए तो कहते हैं ये अबकी बार 75 पार.
रणदीप सुरजेवाला ने क्या कहा ?
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पेट्रोल-डीजल और प्याज के अलावा दाल की कीमतें भी 75 हो गई हैं. शायद बीजेपी का 75 पार का नारा इसीलिए था कि वो खानपान की सारी चीजें 75 पार कर देंगे.
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किस जिले में प्याज का कितना रेट ?
फतेहाबाद में प्याज 60रु./किलो
यमुनानगर में प्याज 60रु./किलो
कैथल में प्याज 55-60रु./ किलो
फरीदाबाद में प्याज 55-60रु./किलो
गुरुग्राम में प्याज 60रु./किलो
झज्जर में प्याज 55-60रु./किलो
हिसार में प्याज 60रु./किलो
सिरसा में प्याज 60रु./किलो
जींद में प्याज 60रु./ किलो
सरकार ने क्या इंतजाम किया ?
हरियाणा में सरकार ने राशन डिपो पर प्याज 31रु. किलो उपलब्ध कराई है. राशन कार्ड डिपो पर जाकर जनता 31रु. किलो प्याज खरीद सकती है. उधर केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान ने ट्वीट कर कहा है कि हरियाणा को प्याज के 10 ट्रक भेजे गए हैं. जरूरत पड़ने पर और प्याज भी भेजा जाएगा. इसके अलावा केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर भी रोक लगा दी है.
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क्यों बढ़े प्याज के दाम ?
दरअसल जिन प्रदेशों में प्याज का उत्पादन ज्यादा होता है. वहां इस बार मानसूनी बारिश ज्यादा हुई है जिससे प्याज के उत्पादन पर असर पड़ा है. इसके अलावा जमाखोरी भी एक बड़ी वजह है. क्योंकि प्याज सस्ती होने पर जमाखोर अपने गोदामों में प्याज भर लेते हैं और जब महंगी होती है तब बेच देते हैं. हालांकि केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए तय किया गया है कि खुदरा व्यापारी 100 क्विंटल और थोक व्यापारी 500 क्विंटल का स्टॉक रख सकते हैं.
सियासत के इतिहास से जुड़ा रहा है प्याज
इमरजेंसी के बाद जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो प्याज के दाम आसमान छूने लगे और इंदिरा गांधी ने अगला चुनाव प्याज के दामों को मुद्दा बनाकर ही जीत लिया. 1998 में दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी और मुख्यमंत्री थीं सुषमा स्वराज. जब उस दौर में दिल्ली में प्याज महंगी हुई थी शीला दीक्षित ने इसे अहम मुद्दा बनाया और दिल्ली में बीजेपी की सरकार चली गई और शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. ठीक 15 साल बाद 2013 में फिर से इतिहास दोहराया गया और शीला दीक्षित की सरकार भी प्याज के दामों तले दबकर दम तोड़ गई.