चंडीगढ़: लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में कैद हैं. ऐसे में खासकर बच्चों पर लॉकडाउन का प्रभाव देखने को मिल रहा है, क्योंकि बच्चे ना तो स्कूल जा रहे हैं और ना ही वो बाहर जाकर खेलकूद पा रहे हैं. जिस वजह से बच्चों को कई तरह की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा स्कूल बंद होने की वजह से भी उन्हें अपनी पढ़ाई की चिंता सता रही है. बहुत से बच्चे अपनी परीक्षाओं को लेकर चिंतित हैं तो बहुत से बच्चे परिणाम को लेकर. बच्चों की इन सभी समस्याओं को देखते हुए एनसीईआरटी ने देश भर में काउंसलर्स को नियुक्त किया है. जो बच्चों की समस्याओं का समाझान कर उनके तनाव को कम करने की कोशिश करेंगे.
चंडीगढ़ की साइकोलॉजिस्ट नीरू अत्री को भी एनसीईआरटी ने काउंसलर नियुक्त किया है. नीरू अत्री को नॉर्थ रीजन की जिम्मेदारी दी गई है. एनसीईआरटी की ओर से मिली जिम्मेदारी और अपने काम को लेकर नीरू अत्री ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
नीरू अत्री ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बच्चे बहुत ही समस्याओं का सामना कर रहे हैं. जैसे बहुत से बच्चों को ये डर है कि उनकी परीक्षाएं होंगी या नहीं? जिन बच्चों की परीक्षाएं हो चुकी है, उन्हें अपने परिणाम के बारे में चिंता है. इसके अलावा बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो घर पर रहने और स्कूल नहीं जाने से परेशान हैं. ऐसे बच्चों को लग रहा है कि उनकी पढ़ाई को नुकसान पहुंच रहा है.
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नीरू अत्री ने कहा कि कई बच्चे घर बैठे-बैठे चिड़चिड़े हो रहे हैं, जो अपने परिवार वालों से लड़ भी रहे हैं. इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए एनसीईआरटी की ओर से काउंसलर्स नियुक्त किए गए हैं. जो बच्चों को फोन पर समझा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हर बच्चे की समस्या दूसरे बच्चे से अलग होती हैं. हम हर बच्चे को पूरा समय देते हैं. ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ एक बार ही बच्चे से बात कर रहे हैं. अगर बच्चे को एक से ज्यादा बार काउंसलिंग की जरूरत है तो बच्चों से दोबारा भी बात की जा रही है.
इन तरीकों को अपनाकर तनाव मुक्त हो सकते हैं बच्चे
- नकारात्मक की जगह सकारात्मक सोचें.
- बच्चे रात को समय पर सोने की कोशिश करें.
- सुबह उठकर हल्का व्यायाम अवश्य करें, ऐसा करने से शरीर में खून की सप्लाई बढ़ेगी और दिमाग तक ज्यादा ऑक्सीजन जाएगी. जिससे बच्चे अच्छा महसूस करेंगे.
- बच्चे कमरों में बंद रहने की जगह माता-पिता के साथ ज्यादा वक्त बिताएं
- घर के खिड़की, दरवाजे और पर्दे खुले रखें, क्योंकि बंद कमरे में दिमाग को ये एहसास नहीं हो पाता कि इस समय दिन है या शाम है. जिससे दिमाग में नकारात्मक विचार बढ़ते हैं
- इसके अलावा ऑनलाइन कोर्सेज भी शुरू करें