चंडीगढ़: इस समय भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में लगातार मजबूती मिल रही है और बीजेपी मिशन-75 पार के नारे के साथ विधानसभा चुनाव के लिए कूच कर चुकी है. विधानसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं की संख्या बढ़ सकती है.
हालांकि लगातार भाजपा में शामिल हो रहे नेताओं की अपेक्षाएं पूरी ना होने के बाद भारतीय जनता पार्टी को चुनाव के नजदीक इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. टिकट न मिलने के चलते या अपेक्षाएं पूरी ना होने के कारण कुछ भाजपा के अपने या नए-नए बने नेता दूसरी पार्टियों का दामन नहीं थामेंगे, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है.
झेलनी पड़ सकती है नाराजगी
चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के चलते भाजपा को निसंदेह हरियाणा में मजबूती मिली है. मगर भाजपा से दूसरी पार्टियों में चुनाव के नजदीक अगर नेता कुछ करते हैं, तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. भाजपा का दावा है कि भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं ने भाजपा की विचारधारा को मानते हुए बीजेपी ज्वाइन की है. वहीं दूसरी तरफ ये भी चर्चाएं हैं कि अपेक्षाएं पूरी न होने पर फिर दल बदल ना होने की गारंटी नहीं दी जा सकती. भाजपा को टिकटों को लेकर होने वाली नाराजगी को दूर करना चुनौती रह सकता है.
बीजेपी हुई है मजबूत
2014 के विधानसभा चुनाव से पहले महज 4 विधायकों वाली भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में मोदी मैजिक के चलते 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में 7 सीटों पर काबिज रहने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 10 लोकसभा की सीटें जीतकर क्लीनस्वीप किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले जबरदस्त समर्थन के बूते ही हरियाणा बीजेपी ने 2019 के विधानसभा चुनाव के लिए 75 पार का मिशन शुरू किया है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी में दूसरी पार्टियों से शामिल हो रहे हैं नेताओं और विधायकों की बढ़ती संख्या भी भाजपा के जनाधार को लगातार मजबूती दे रही है.
क्या कहना है राजनीतिक विशेषज्ञों का ?
राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि चुनाव नजदीक आते-आते दलबदल भी बढ़ जाएगा. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने बताया कि हरियाणा में भाजपा में शामिल हुए कई विधायकों को टिकट मिलना तय है, क्योंकि कई हलकों में भाजपा के पास दूसरे बड़े नेता नहीं है. उन्होंने कहा कि टिकट न मिलने के चलते पार्टी छोड़कर जाना स्वभाविक रहता है. टिकट न मिलने के चलते नेताओं की तरफ से बागियों के तौर पर भी पर्चे भी भरे जाते हैं, मगर ये लोग ज्यादा नुकसान नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि टिकटों के बंटवारे तक भागमभाग यानी दलबदल देखने को मिलता रहेगा.
दूसरों के आने से अपने हुए नाराज ?
भाजपा में लगातार दूसरी पार्टियों से शामिल होने के चलते लम्बे समय से पार्टी की सेवा में जुटे बीजेपी के अपने नेता भी खुश नहीं हैं. ऐसे में अगर टिकटों के आवंटन के समय नाराजगी बढ़ती है तो भारतीय जनता पार्टी को इस नाराजगी को दूर करने के लिए पहले से तैयार रहना होगा.
बीजेपी के सामने होगी बड़ी चुनौती
फिलहाल चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में नेता टिकटों के लिए पूरी तरह से जोर आजमाइश में जुटे हैं. चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए नेताओं की संख्या ने भारतीय जनता पार्टी को मजबूती देने का काम जरूर किया है मगर चुनाव के पास अगर भारतीय जनता पार्टी से दूसरी पार्टी में कूच करने वाले नेताओं की गिनती बढ़ी तो इसका खामियाजा मिशन 75 पार में भी झेलना पड़ सकता है.
हालांकि बीजेपी की तरफ से पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं से टिकट का कोई कमिटमेंट न करने का दावा भी किया जाता रहा है. फिलहाल भारतीय जनता पार्टी को टिकटों के बंटवारों के बाद होने वाली नाराजगी को दूर कर अपनों को संभाले रखना भी बड़ी चुनौती रहेगा.