चंडीगढ़ः 28 फरवरी को हरियाणा की मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश होगा. जब भी प्रदेश का बजट पेश होता है तो लोगों के मन में ये जानने की जिज्ञासा होती है कि आखिर बजट क्या है और कैसे तैयार होता है. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि राज्य का बजट क्या है और कैसे तैयार होता है.
क्या होता है राज्य का बजट ?
- राज्य का बजट एक साल के अनुमानित खर्च और आमदनी का लेखा-जोखा होता है
- जो एक अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है
- राज्यों में तीन तरीके का बजट पेश होता है
- पहला होता है Incremental system of budgeting
- दूसरा होता है Zero Base Budgeting
- और तीसरा होता है Programme and Performance Budgeting
- हरियाणा में फिलहाल Incremental system of budgeting इस्तेमाल हो रहा है
- इस प्रणाली में मौजूदा योजनाओं से जब पैसा बचता है तभी नई योजनाओं का ऐलान होता है
- जिसकी जांच राज्य का वित्त विभाग करता है
- क्या है राज्य का बजट तैयार करने की प्रक्रिया ?
- बजट के लिए सबसे पहले अलग अलग विभागों से प्रपोजल मंगाए जाते हैं
- ताकि बजट को लेकर प्राथमिकताओं को तय किया जा सके
- इसके बाद वित्त सचिव सभी प्रपोजल और बजट को लेकर असेसमेंट करते हैं
- जिसके बाद ये तय होता है कि किस क्षेत्र में कितना पैसा खर्च किया जाना चाहिए
हरियाणा में पहली बार कोई मुख्यमंत्री बजट पेश करेगा
हरियाणा के इतिहास में ये पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री बजट पेश करने जा रहा है. मनोहर लाल अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रहे हैं. इस बार के बजट से किसानों से लेकर युवाओं तक को खास आस है. अब देखना होगा कि उनके लिए राज्य सरकार क्या करती है.
पिछले साल के बजट का लेखा-जोखा
- वित्त मंत्री ने 1,32,165.99 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था
- कृषि विभाग के लिए 3834.33 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया था
- कृषि क्षेत्र के लिए 2210.51 करोड़ रुपये दिए गए थे
- पशुपालन के लिए 1026.68 करोड़ रुपये दिए गए थे
- बागवानी के लिए 523.88 करोड़ रुपये दिए गए थे
- मत्स्य पालन के लिए 73.26 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- सहकारिता के लिए 1396.21 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- राजस्व घाटा 12 हजार 22 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था
- खेल और युवा मामले में 401.17 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- शिक्षा में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए 12,307.46 करोड़ रुपये दिए गए थे
- स्वास्थ्य विभाग के लिए 5,040.65 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था
- रोज़गार के लिए 365.20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव था
- बिजली विभाग के लिए 12,988.61 करोड़ रुपये का आवंटित किए गए थे