चंडीगढ़: हरियाणा में एक शिक्षक उनका प्रमोशन रोक देने पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गए. दरअसल, याचिकाकर्ता शिक्षक त्रिलोकचंद 24 मई 2018 के शिक्षा विभाग के उन आदेशों के खिलाफ कोर्ट पहुंचे थे जिसमें उनकी प्रमोशन ये कह कर रिजेक्ट की गई थी कि उनके पास बीएड की क्वालिफिकेशन नहीं है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में बताया कि याचिकाकर्ता के पास जरूरी क्वालिफिकेशन है, जिसमें दसवीं और दो साल का एलिमेंट्री एजुकेशन में डिप्लोमा भी है. इसके अलावा याची ने पंजाबी में बीए और एमए भी कर रखी है इसलिए याचिकाकर्ता टीजीटी पंजाबी टीचर के लिए उतने ही योग्य हैं जितने की जेबीटी टीचर की नियुक्ति के तौर पर.
बीएड क्वालिफिकेशन ना होने पर रोका था याचिकाकर्ता का प्रमोशन
वकील ने बताया कि साल 2018 में उनके केस को रिजेक्ट कर दिया गया था ये कह कर उनके पास बीएड के क्वालिफिकेशन नहीं है जोकि हरियाणा स्कूल एजुकेशन ग्रुप सी 8 कैडर सर्विस रूल 2012 के खिलाफ है. इसके अलावा कोर्ट को यह भी बताया गया कि साल 2019 में इसी तरह के एक और मामले को सुलझाया गया था जिसमें पार्टी महेश कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा और अन्य थे.
कोर्ट ने हरियाणा को दिया तीन महीने का समय
इस पर आज की सुनवाई में जस्टिस जय श्री ठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि महेश कुमार और अन्य टीजीटी साइंस टीचर के तौर पर पदोन्नति मांगने के ऊपर विचार इस ग्राउंड पर नहीं किया गया कि उनके बीएससी में मार्कस 50% से कम है. हाई कोर्ट द्वारा यह रिट पिटिशन याचिकाकर्ताओं को टीजीटी साइंस टीचर के तौर पर प्रमोट करने के आदेशों के साथ मंजूर की गई थी. वहीं हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग के ऊपर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन की गाइडलाइन भी लागू थी.
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जस्टिस ठाकुर द्वारा इस याचिका का निपटारा करते हुए हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग को यह आदेश दिए कि इस मामले को महेश कुमार केस और उसमें आई जजमेंट और उसी तरह के मामलों के साथ जोड़ा जाए और तीन महीनों के अंदर याचिकाकर्ताओं को पंजाबी टीचर से टीजीटी पंजाबी टीचर के तौर पर पद्धति पर विचार करें.