चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को आदेश दिए गए थे कि हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों के बीच एसवाईएल के विवाद को लेकर बैठक करवाकर इस मामले का हल निकालें. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 3 हफ्ते का समय दिया गया था. 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होनी है. इस मामले में हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से बैठक करवाने के लिए दिए गए आदेशों के तहत बैठक करवाने की मांग करते हुए पत्र लिखा है कि हरियाणा बैठक के लिए तैयार हैं.
एसवाईएल मामले को लेकर केंद्र को लिखा खत
हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने बताया कि उन्होंने केंद्र को लिखा है कि हम बैठक के लिए तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 3 सप्ताह में दोनों राज्यों की बैठक करवाकर हल विवाद सुलझाने को कहा है. महाजन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के बीच बातचीत करवाने के आदेश दे चुका है और दोनों राज्यों के मुख्य सचिव की बैठक केंद्र की अध्यक्षता में हो चुकी है मगर उसमें कोई हल नहीं निकला था जिसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में फैसला करने की अपील की थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार को इस मामले में दोनों राज्यों के उच्च स्तरीय बैठक करवा कर मामला सुलझाने को कहा था. महाजन ने कहा कि इस मामले में बैठक नहीं होती है या बातचीत से हल नहीं निकलता है तो सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के हक में फिर फैसला दे सकता है. इस मामले पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी जवाब देते हुए कह चुके हैं कि ये विवाद अगर इतना आसान होता तो पहले सुलझ चुका है.
सीएम खट्टर भी दे चुके हैं प्रतिक्रिया
सीएम ने कहा था कि दोनों राज्यों के बीच का विवाद है. हमारी अपेक्षा है कि केंद्र की कोई तिथि देकर हमें बैठाया जाएगा, जो भी विवाद है केंद्र उसे सुलझाएगा. केंद्र के आदेशों के तहत प्रक्रिया को पूरा करेंगे. केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पालना करवाना है. सीएम ने कहा था कि केंद्र जो फैसला करवाएगी उसकी जानकारी कोर्ट को दे देंगे. अगर कोई फैसला नहीं होता है तो भी सुप्रीम कोर्ट को बता देंगे, हमें सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है.
फिलहाल पंजाब को हरियाणा के साथ एसवाईएल के लिए एक मंच पर लाना केंद्र के लिए चुनौती रहेगा. हालांकि एक मंच पर आकर बातचीत के बाद भी मामला सुलझने की उम्मीद कम है. पंजाब के मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि शहीद हो जाएंगे मगर हरियाणा में पानी नहीं जाने देंगे, ऐसे में राह मुश्किलों भरी है. हरियाणा सरकार चाहती है सुप्रीम कोर्ट कड़ा निर्देश दे. इसी कड़ी में हरियाणा ने केंद्र को बैठक के बारे में याद करवाते हुए खुद इसके लिए तैयार होने की बात कही है. बैठक न होने की सूरत में हरियाणा फिर सुप्रीम कोर्ट से सीधे फैसले की मांग कर सकता है.
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