चंडीगढ़: देश के विभिन्न राज्यों में मंगलवार को हरितालिका तीज व्रत (Hartalika Teej 2022) सभी महिलाओं के द्वारा रखा जाएगा. यह व्रत करवा चौथ व्रत की तरह ही होता है. बस इस व्रत में पूरे दिन निर्जला (निर्जल) रहा जाता है. अगले दिन सुबह व्रत का पारण करने के बाद व्रत पूरा होता है. इस त्योहार को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है.
हरतालिका तीज कब: 30 अगस्त को हरतालिका तीज (Hartalika Teej Shubh Muhurat) है. इस दिन मां पार्वती और भोलेनाथ को 16 प्रकार की पत्तियां अर्पित करने का विशेष महत्व है. इन सौलह पत्तियों से सौभाग्य में वृद्धि होती है. महिलाएं मंगलवार को सुबह से ही हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी. यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुखद वैवाहिक जीवन और उनके कल्याण के लिए रखती हैं. वहीं कुवांरी कन्याएं हरतालिका तीज व्रत सुयोग्य और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए करती हैं. इस व्रत में वे भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उपवास रखा था और यह दिन उनके मिलन का प्रतीक है. भगवान शिव को पाने के लिए मां पार्वती भी कुमारी कन्या के रूप में ही तपस्या की थी.
हरतालिका तीज की कथा: पार्वती जी भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने घोर तपस्या (hartalika teej vrat katha) की. उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था. मां पार्वती ये विवाह नहीं करना चाहती थीं. तब पार्वती जी की सखियों ने उनकी मदद की. सखियां उनका अपहरण कर उन्हें जंगल में ले गईं. सखियों ने उनका हरण किया, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ गया. मां पार्वती की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया.
कैसे करें हरतालिका तीज व्रत: हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है. इस व्रत में अन्न और जल का त्याग किया जाता है. तीज की पूजा रात में की जाती है. इस व्रत के दौरान महिलाओं को मन में शुद्ध विचार रखना चाहिए. भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान लगाना चाहिए. व्रत के बाद अगले दिन पारण का विधान है. कहा जाता है कि हरतालिका तीज व्रत एक बार शुरू करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है. प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि विधान से करना चाहिए. हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. रात में भजन कीर्तन करना चाहिए.
पूजन में चढ़ाई जाती है सुहाग की सामग्री: हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह व्रत 30 अगस्त 2022 दिन मंगलवार को रखा जाएगा. इस व्रत में सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा अर्चना करती हैं, और उन्हें 16 श्रृंगार की चीजों के साथ अन्य वस्तुएं अर्पित करती हैं. मान्यता है कि इन चीजों के साथ पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस पूजा में माता पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है, जिसमें मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावल आदि शामिल हैं.
हरतालिका तीज पूजा विधि: हरतालिका तीज के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बालू की प्रतिमा (Hartalika teej worship method) बना लें. इसके बाद पूजास्थल को फूलों से सजा लें. फिर सभी देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का पूजन करें. सुहाग की वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाएं और शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है. इस सुहाग सामग्री को किसी ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान कर दें. पूजन के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा पढ़ें या सुने और रात्रि में जागरण करें. फिर अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और खीरा या ककड़ी का भोग लगाकर पारण कर लें.