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चौधर की जंग: जीटी रोड बेल्ट में जो लहराएगा परचम, उसी को मिलेगी सत्ता!

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Published : Oct 10, 2019, 12:38 PM IST

Updated : Nov 4, 2019, 4:50 PM IST

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. हरियाणा राजनीतिक नजरिए से चार भागों में बंटा हुआ है जिनका अपना-अलग मिजाज है- जाटलैंड, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल और मेव क्षेत्र. इस कड़ी में हम बात करेंगे जीटी रोड बेल्ट के विधानसभा क्षेत्रों की राजनीति की.

gt road belt politics in haryana

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. देखने में तो सामान्य लगता है कि चुनाव है तो सभी पार्टियां प्रचार तो करेंगी ही लेकिन सियासी नजरिया कुछ अलग होता है. हर बड़े नेता की रैली से पहले सभी सियासी गुणा गणित साधने में लगे हुए हैं. हरियाणा की राजनीति में जीटी रोड बेल्ट की राजनीति की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है.

2014 में बीजेपी को इसी क्षेत्र के सहारे मिली थी सत्ता
प्रदेश में सरकार बनाने में जीटी रोड बेल्ट के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. ये पूरा क्षेत्र सियासी नजरिए से गैर जाट मतदाताओं का है. 2014 के चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने की प्रमुख वजह थी कि पार्टी ने जीटी रोड बेल्ट में अच्छा प्रदर्शन किया था और लगभग तमाम सीटों पर कब्जा जमाया था, जो पहले कांग्रेस के खाते में थी.

2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी रही आगे
हाल ही के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा अनुसार भाजपा का प्रदर्शन देखें तो भाजपा ने जीटी रोड बेल्ट पर अपना पुराना किला और मजबूत कर लिया है. बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट से सटे क्षेत्रों अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत की 35 विधानसभा हलकों में से 31 सीटों पर बढ़त बनाई थी. कांग्रेस सिर्फ सोनीपत संसदीय क्षेत्र की दो सीट बरौदा और खरखौदा में आगे रही थी.

जानिए इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट के विधानसभा क्षेत्रों के क्या हैं समीकरण.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: जाटलैंड में इस बार क्या बन रहे हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

कांग्रेस और इनेलो के सामने बड़ी चुनौती
इसके विपरीत 2014 के विधानसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट की इन्हीं सीटों में से भाजपा के खाते में 23 सीटें आई थी जिनमें से अंबाला संसदीय क्षेत्र की सभी 9 सीटें भी शामिल रही थी. इनेलो ने जीटी रोड बेल्ट की 2, कांग्रेस ने 6 और आजाद प्रत्याशियों ने 4 सीटें जीती थी. वहीं कांग्रेस ने 2014 के चुनाव के बाद जीटी रोड बेल्ट पर अपना जनाधार खो दिया है और पार्टी की पकड़ यहां कमजोर पड़ गई. ऐसे में कांग्रेस के सामने बीजेपी का ये किला भेदना बड़ी चुनौती होगी. वहीं इनेलो अभी भी जीटी रोड बेल्ट पर अपना जनाधार ढूंढ रही है.

15 को पीएम मोदी करेंगे रैली
15 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस चुनावी महाभारत में उतरेंगे और जीटी रोड बेल्ट के जिले कुरुक्षेत्र में रैली करेंगे. इससे पता चलता है कि बीजेपी इस इलाके की अहमियत समझती है. तो कुछ ऐसे हैं हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट के समीकरण. 2014 में सत्ता बनाने में यहां के मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही थी. वहीं इस बार क्या होगा ये तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: अहीरवाल में इस बार क्या हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दल पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. देखने में तो सामान्य लगता है कि चुनाव है तो सभी पार्टियां प्रचार तो करेंगी ही लेकिन सियासी नजरिया कुछ अलग होता है. हर बड़े नेता की रैली से पहले सभी सियासी गुणा गणित साधने में लगे हुए हैं. हरियाणा की राजनीति में जीटी रोड बेल्ट की राजनीति की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है.

2014 में बीजेपी को इसी क्षेत्र के सहारे मिली थी सत्ता
प्रदेश में सरकार बनाने में जीटी रोड बेल्ट के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. ये पूरा क्षेत्र सियासी नजरिए से गैर जाट मतदाताओं का है. 2014 के चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने की प्रमुख वजह थी कि पार्टी ने जीटी रोड बेल्ट में अच्छा प्रदर्शन किया था और लगभग तमाम सीटों पर कब्जा जमाया था, जो पहले कांग्रेस के खाते में थी.

2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी रही आगे
हाल ही के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा अनुसार भाजपा का प्रदर्शन देखें तो भाजपा ने जीटी रोड बेल्ट पर अपना पुराना किला और मजबूत कर लिया है. बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट से सटे क्षेत्रों अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत की 35 विधानसभा हलकों में से 31 सीटों पर बढ़त बनाई थी. कांग्रेस सिर्फ सोनीपत संसदीय क्षेत्र की दो सीट बरौदा और खरखौदा में आगे रही थी.

जानिए इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट के विधानसभा क्षेत्रों के क्या हैं समीकरण.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: जाटलैंड में इस बार क्या बन रहे हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

कांग्रेस और इनेलो के सामने बड़ी चुनौती
इसके विपरीत 2014 के विधानसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट की इन्हीं सीटों में से भाजपा के खाते में 23 सीटें आई थी जिनमें से अंबाला संसदीय क्षेत्र की सभी 9 सीटें भी शामिल रही थी. इनेलो ने जीटी रोड बेल्ट की 2, कांग्रेस ने 6 और आजाद प्रत्याशियों ने 4 सीटें जीती थी. वहीं कांग्रेस ने 2014 के चुनाव के बाद जीटी रोड बेल्ट पर अपना जनाधार खो दिया है और पार्टी की पकड़ यहां कमजोर पड़ गई. ऐसे में कांग्रेस के सामने बीजेपी का ये किला भेदना बड़ी चुनौती होगी. वहीं इनेलो अभी भी जीटी रोड बेल्ट पर अपना जनाधार ढूंढ रही है.

15 को पीएम मोदी करेंगे रैली
15 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस चुनावी महाभारत में उतरेंगे और जीटी रोड बेल्ट के जिले कुरुक्षेत्र में रैली करेंगे. इससे पता चलता है कि बीजेपी इस इलाके की अहमियत समझती है. तो कुछ ऐसे हैं हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट के समीकरण. 2014 में सत्ता बनाने में यहां के मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही थी. वहीं इस बार क्या होगा ये तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा.

ये भी पढ़ें: चौधर की जंग: अहीरवाल में इस बार क्या हैं समीकरण? देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट

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चौधर की जंग: जीटी रोड बेल्ट में जो लहराएगा परचम सत्ता आएगी उसी के हाथ, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट



ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. हरियाणा राजनीतिक नजरिए से चार भागों में बंटा हुआ है जिनका अपना अलग मिजाज है- जाटलैंड, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल और मेव क्षेत्र. इस कड़ी में हम बात करेंगे जीटी रोड बेल्ट के विधानसभा क्षेत्रों की राजनीति की.

चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही सभी दल पूरे दम के साथ मैदान में उतर चुके हैं. देखने में तो सामान्य लगता है कि चुनाव है तो सभी पार्टियां प्रचार तो करेंगी ही लेकिन सियासी नजरिया कुछ अलग होता है. हर बड़े नेता की रैली से पहले सभी सियासी गुणा गणित साधने पड़ते हैं. हरियाणा की राजनीति में जीटी रोड बेल्ट की राजनीति की बात करें तो ये क्षेत्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है.

2014 में बीजेपी को इसी क्षेत्र के सहारे मिली थी सत्ता

प्रदेश में सरकार बनाने में जीटी रोड बेल्ट के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. ये पूरा क्षेत्र सियासी नजरिए से गैर जाट मतदाताओं का है. 2014 के चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने की प्रमुख वजह थी कि पार्टी ने जीटी रोड बेल्ट में अच्छा प्रदर्शन किया था और लगभग तमाम सीटों पर कब्जा जमाया था, जो पहले कांग्रेस के खाते में थी.

2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी रही आगे

हाल ही के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विधानसभा अनुसार भाजपा का प्रदर्शन देखें तो भाजपा ने जीटी रोड बेल्ट पर अपना पुराना किला और मजबूत कर लिया है. बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट से सटे क्षेत्रों अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत की 35 विधानसभा हलकों में से 31 सीटों पर बढ़त बनाई थी. कांग्रेस सिर्फ सोनीपत संसदीय क्षेत्र की दो सीट बरौदा और खारखौदा में आगे रही थी. 

कांग्रेस और इनेलो के सामने बड़ी चुनौती

इसके विपरीत 2014 के विधानसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट की इन्हीं सीटों में से भाजपा के खाते में 23 सीटें आई थी जिनमें से अंबाला संसदीय क्षेत्र की सभी 9 सीटें भी शामिल रही थी. इनेलो ने जीटी रोड बेल्ट की 2, कांग्रेस ने 6 और आजाद प्रत्याशियों ने 4 सीटें जीती थी. वहीं कांग्रेस ने 2014 के चुनाव के बाद जीटी रोड बेल्ट पर अपना जनाधार खो दिया है और पार्टी की पकड़ यहां कमजोर पड़ गई. ऐसे में कांग्रेस के सामने बीजेपी का ये किला भेदना बड़ी चुनौती होगी. वहीं इनेलो अभी भी जीटी रोड बेल्ट पर अपना जनाधार ढूंढ रही है. 

15 को पीएम मोदी करेंगे रैली

15 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस चुनावी महाभारत में उतरेंगे और जीटी रोड बेल्ट के जिले कुरुक्षेत्र में रैली करेंगे. इससे पता चलता है कि बीजेपी इस इलाके की अहमियत समझती है. तो कुछ ऐसे हैं हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट  के समीकरण. 2014 में सत्ता बनाने में यहां के मतदाताओं की बड़ी भूमिका रही थी. वहीं इस बार क्या होगा ये तो 24 अक्टूबर को ही पता चलेगा.

 


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Last Updated : Nov 4, 2019, 4:50 PM IST
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