चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही एक बार फिर इतिहास ने खुद को दोहरा दिया. अक्सर विवादों में रहने वाले गोपाल कांडा इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 45 के आंकड़े को पूरा कर सत्ता तक पहुंचने में मददगार साबित हुए हैं.
कांग्रेस के बाद बीजेपी के लिए संजीवनी बने कांडा
दरअसल जब गुरुवार को हरियाणा के नतीजे आए खेल हरियाणा में उल्टा पड़ गया. यहां बीजेपी को बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए थी और मिली सिर्फ 40, जिसके बाद गोपाल कांडा ने बीजेपी को सबसे पहले अपना समर्थन दे दिया.
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि जब गोपाल कांडा किंगमेकर साबित हुए हों. साल 2009 में भी कांडा ने कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया था. उस वक्त भी कांग्रेस के पास 40 सीटें थीं और सरकार बनाने के लिए उसे 46 सीटों की जरूरत थी. तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें अपने पाले में किया.
कांडा का राजनीतिक सफर
कांडा के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2009 से हुई. एक सफल कारोबारी बनने के बाद उनके कई राजनीतिक दलों के नेताओं से करीबी संपर्क बन गए थे. साल 2009 में जब INLD ने गोपाल कांडा को टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़े. वह 6,521 वोटों से चुनाव जीत गए.
उनकी इस जीत के बाद उनकी तकदीर बदली और वह राज्य की सत्ता में किंगमेकर बन गए. हरियाणा के कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने उन्हें अपने पाले में किया, क्योंकि 90 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ 40 सीट पाने की वजह से कांग्रेस को अन्य विधायकों के समर्थन की जरूरत थी.
ये भी पढ़ें: गीतिका शर्मा खुदकुशी केस के आरोपी गोपाल कांडा के समर्थन पर घिरी बीजेपी, सोशल मीडिया पर कांडा का विरोध
बाद में कांडा को हरियाणा का गृह राज्य मंत्री बनाया गया. बाद में उन्हें शहरी निकाय, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री भी बनाया गया. लेकिन एयर होस्टेस गीतिका शर्मा के आत्महत्या मामले में फंसने के बाद साल 2012 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
गीतिका शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि कांडा की प्रताड़ना की वजह से वह आत्महत्या कर रही है. इस मामले में कांडा गिरफ्तार हुए और मार्च 2014 में जेल से रिहा होने के बाद कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी की स्थापना की. वह 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गए.
कैसे मिला कांडा सरनेम?
54 साल के गोपाल कांडा का पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है, जो हरियाणा के सिरसा जिले में स्थित बिलासपुर गांव के मूल निवासी हैं. उनके पूर्वज यहीं के एक बाजार में सब्जी की तौल का काम करते थे और यहीं से उन्हें कांडा सरनेम मिल गया. ऐसा इसलिए क्योंकि लोहे के बाट को स्थानीय भाषा में कांडा कहा जाता है. हालांकि उनके पिता मुरलीधर कांडा ये काम नहीं करते थे. वह जिले के एक अच्छे वकील थे.
'RSS में थे कांडा के पिता'
कांडा के मुताबिक उनके पिता आरएसएस में थे और उन्होंने 1926 में आरएसएस ज्वॉइन की थी.
कांडा के ऊपर गैंगस्टर के संपर्क में होने का आरोप
जानकारी के मुताबिक कांडा ने जूता फैक्ट्री से पहले टीवी रिपेयरिंग, इलेक्ट्रिशियन का भी काम किया. हालांकि जूते का शोरूम खोलने के बाद उनका कारोबार चल पड़ा और वह इतना आगे बढ़ गए कि उन्होंने 1998 में गुरुग्राम में प्रॉपर्टी बिजनेस में कदम रखा, जो उस समय तेजी से उभर रहा था.
उन्होंने छोटे-छोटे प्लॉट की खरीद-बिक्री शुरू की. धीरे-धीरे कांडा हरियाणा के रियल एस्टेट के एक बड़े खिलाड़ी बन गए. साम्राज्य जब बढ़ने लगा तो उनके राज्य के कई प्रमुख राजनीतिज्ञों से संपर्क बन गए. उनके ऊपर गैंगस्टर से संपर्क होने का भी आरोप लगा और 2007 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से कांडा की गतिविधियों की जांच करने को कहा.
एयरलाइंस में कदम
जब कांडा का रियल एस्टेट का कारोबार देश के कई शहरों तक फैल गया तो उन्होंने गुड़गांव से एमडीएलआर एयरलाइंस की शुरुआत की. इस एयरलाइंस का नाम उन्होंने अपने पिता के नाम मुरलीधर लेखा राम पर रखा था.
कांडा की संपदा लगातार बढ़ती गई, जिसके बाद साल 2008 में उनके कई ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे भी पड़े थे. उन्होंने गुड़गांव से MDLR एयरलाइंस की शुरुआत की, यह वही एयरलाइंस थी, जिसमें गीतिका शर्मा एयर होस्टेस थी. हालांकि उनके विवादों में फंसने के बाद साल 2009 में एयरलाइंस का कामकाज बंद हो गया.
गोपाल कांडा पर कई मुकदमे दर्ज
आपको बता दें कि गोपाल कांडा इस समय अपनी ही कंपनी की एक महिला कर्मचारी गीतिका शर्मा खुदकुशी केस में आरोपी हैं और उनके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चल रहा है और वह इस समय जमानत पर बाहर हैं.
पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र में कांडा पर आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने), धारा 471 (धोखाधड़ी), और उत्पीड़न सहित कई अन्य धाराएं लगाई हैं. इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 भी लगाई गई हैं. आरोप पत्र में कांडा पर गीतिका का गर्भपात कराने का भी आरोप लगाया गया है.
फंदे पर लटकी मिली थी गीतिका की लाश
गीतिका की लाश अशोक विहार स्थित अपने घर में फंदे से लटकी मिली थी. उसने अपने सुसाइड नोट में गोपाल कांडा एवं उसकी कंपनी में काम करने वाली एक अन्य कर्मचारी अरुणा चड्ढा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद कांडा को गृह राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
मामले ने तूल पकड़ा तो10-15 दिनों तक कांडा अंडरग्राउंड भी रहे थे. लेकिन बाद में उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया. गीतिका की आत्महत्या के लगभग 6-7 महीनों बाद उनकी मां ने भी सुसाइड कर लिया. फिर एक और सुसाइड नोट मिला. इसमें भी कांडा का नाम था. इसके बाद कांडा को 18 महीने जेल में भी रहना पड़ा. इतना ही नहीं गोपाल कांडा और उनके भाई गोविंद कांडा पर अवैध संपत्ति के मामले में भी कई आरोप लग चुके हैं.
ये भी पढ़ें- गीतिका शर्मा खुदकुशी केस के आरोपी गोपाल कांडा के समर्थन पर घिरी बीजेपी, सोशल मीडिया पर कांडा का विरोध