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क्या भगवान शिव के गले में लिपटे रहने वाले सांप का नाम आप जानते हैं?

क्या आप भगवान शिव के गले में लिपटे रहने वाले सांप का नाम (name of lord shiva snake). जानते हैं. भगवान शिव के साथ हमेशा सांपों की भी पूजा की जाती है. खासकर सावन में सांपों की पूजा का विशेष महत्व है.

name of lord shiva snake
name of lord shiva snake
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Published : Aug 3, 2021, 6:03 PM IST

हैदराबाद: देवाधि देव भगवान शंकर हिंदुओं के आराध्य देव माने जाते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव ही संपूर्ण सत्य हैं. भगवान शंकर सभी देवों में बेहद अलग हैं. उनकी पहचान उनके साथी नाग कुल के नागों से भी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर के गले में लिपटे रहने वाले सांप का नाम क्या है(name of lord shiva snake).

हिंदु धर्म के मिथकों के अनुसार माना जाता है कि महर्षि कश्वयप और उनकी पत्नी से जिन नागों ने जन्म लिया था उसमें सबसे बड़े शेषनाग थे. शेषनाग ने अपनी कड़ी तपस्या से भगवान विष्णु की शैय्या बनने का गौरव हासिल कर लिया. लेकिन शेषनाग के क्षीरसागर में चले जाने के बाद उनके छोटे भाई वासुकि को नागों का राजा बना दिया गया.

ये भी पढ़ें- महादेव के दर्शन करने पहुंचे नागराज, मंदिर के गुंबद से कई घंटे लिपटे रहे

नागराज वासुकि भगवान शिव के भक्त थे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें अपने साथ रहने का आशीर्वाद दिया. सबसे उनका स्थान भगवान शंकर के कंठ में माना जाता है. इसीलिए भगवान शिव के साथ साथ नागराज वासुकि की भी पूजा की जाती है. सावन में नाग और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है.

ये भी पढ़ें- सावन शिवरात्रि आज, भोले के भक्तों के लिए बेहद खास है ये दिन

हैदराबाद: देवाधि देव भगवान शंकर हिंदुओं के आराध्य देव माने जाते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव ही संपूर्ण सत्य हैं. भगवान शंकर सभी देवों में बेहद अलग हैं. उनकी पहचान उनके साथी नाग कुल के नागों से भी होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर के गले में लिपटे रहने वाले सांप का नाम क्या है(name of lord shiva snake).

हिंदु धर्म के मिथकों के अनुसार माना जाता है कि महर्षि कश्वयप और उनकी पत्नी से जिन नागों ने जन्म लिया था उसमें सबसे बड़े शेषनाग थे. शेषनाग ने अपनी कड़ी तपस्या से भगवान विष्णु की शैय्या बनने का गौरव हासिल कर लिया. लेकिन शेषनाग के क्षीरसागर में चले जाने के बाद उनके छोटे भाई वासुकि को नागों का राजा बना दिया गया.

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नागराज वासुकि भगवान शिव के भक्त थे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें अपने साथ रहने का आशीर्वाद दिया. सबसे उनका स्थान भगवान शंकर के कंठ में माना जाता है. इसीलिए भगवान शिव के साथ साथ नागराज वासुकि की भी पूजा की जाती है. सावन में नाग और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है.

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