ETV Bharat / city

दोस्त ने ऐसे किया यशपाल शर्मा को याद, कहा मैदान पर हमेशा खेलते थे फाइटर की तरह

पूर्व भारतीय क्रिकेटर और 1983 वर्ल्ड कप जीत के हीरो रहे यशपाल शर्मा का मंगलवार को निधन हो गया. विश्व कप विजेता टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का चंडीगढ़ से खासा नाता रहा है. उनके दोस्त और पूर्व क्रिकेटर मनजीत सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए उन दिनों को याद किया.

cricketer yashpal sharma death
cricketer yashpal sharma death
author img

By

Published : Jul 13, 2021, 5:08 PM IST

चंडीगढ़: पूर्व भारतीय क्रिकेटर यशपाल शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 66 साल की उम्र में यशपाल शर्मा ने मंगलवार को आखिरी सांस ली. उन्हें 1983 की वर्ल्ड कप की जीत का हीरो माना जाता है. इस वर्ल्ड कप में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था. वे 1983 विश्व कप में भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. उन्होंने उस विश्व कप में आठ मैचों में 240 रन बनाए थे.

यशपाल शर्मा के शुरुआती दिनों की बात करें तो वे तब चंडीगढ़ में खेलते थे. वे यहां पर इंटर कॉलेज और इंटर यूनिवर्सिटी की टीम में खेलते थे. यहां पर उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उनका चयन भारतीय टीम में हुआ था. ईटीवी भारत ने पूर्व क्रिकेटर और यशपाल शर्मा के दोस्त मनजीत सिंह से बात की. मनजीत सिंह भी इंटर कॉलेज और इंटर यूनिवर्सिटी के समय उनके साथ खेलते थे.

दोस्त ने ऐसे किया यशपाल शर्मा को याद, कहा मैदान पर हमेशा खेलते थे फाइटर की तरह

मनजीत सिंह ने यशपाल शर्मा को याद करते हुए बताया कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि उनका दोस्त दुनिया से चला गया. उन्होंने कहा कि वे यशपाल शर्मा के साथ कई मैच खेले हैं. मैं इंटर कॉलेज के वक्त चंडीगढ़ के लिए खेलता था और यशपाल शर्मा लुधियाना के लिए खेलते थे. जब यशपाल शर्मा क्रीज पर होते थे और मैं उन्हें बोलिंग करता था. तब मेरे मन में भी डर रहता था क्योंकि यशपाल शर्मा की बैटिंग बहुत आक्रामक थी और वे किसी भी बॉलर को छोड़ते नहीं थे. उन्होंने मेरी गेदों पर भी खूब चौके छक्के लगाए थे.

ये भी पढ़ें- यशपाल शर्मा ने चंडीगढ़ में खेला था आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच, 15 ओवर का हुआ था ये रोमांचक मुकाबला

उन्होंने कहा कि यशपाल शर्मा एक फाइटर की तरह खेलते थे. जब भी वे पिच पर होते थे तब कोई भी टीम अपनी जीत की गारंटी नहीं दे सकती थी. क्योंकि वह किसी भी समय मैच को बदलने की क्षमता रखते थे. वे अपनी टीम को किसी भी हालात से निकालकर जीत की तरफ ले जाते थे. ऐसा उन्होंने कई बार किया था.

मनजीत सिंह ने कहा अंतरराष्ट्रीय स्तर से सन्यास लेने के बाद भी वे क्रिकेट से जुड़े रहे. उन्होंने उत्तर प्रदेश, रेलवे और पंजाब की टीमों को कोचिंग दी. उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के सेलेक्टर के तौर पर भी काम किया. क्रिकेट ने यशपाल शर्मा को जो भी दिया, यशपाल शर्मा ने भी भारतीय क्रिकेट को वो वापस दिया. भारतीय क्रिकेट में यशपाल शर्मा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी भारतीय क्रिकेट के नाम कर दी थी.

ये भी पढ़ें- 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का हार्ट अटैक से निधन

चंडीगढ़: पूर्व भारतीय क्रिकेटर यशपाल शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 66 साल की उम्र में यशपाल शर्मा ने मंगलवार को आखिरी सांस ली. उन्हें 1983 की वर्ल्ड कप की जीत का हीरो माना जाता है. इस वर्ल्ड कप में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था. वे 1983 विश्व कप में भारत के लिए दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. उन्होंने उस विश्व कप में आठ मैचों में 240 रन बनाए थे.

यशपाल शर्मा के शुरुआती दिनों की बात करें तो वे तब चंडीगढ़ में खेलते थे. वे यहां पर इंटर कॉलेज और इंटर यूनिवर्सिटी की टीम में खेलते थे. यहां पर उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उनका चयन भारतीय टीम में हुआ था. ईटीवी भारत ने पूर्व क्रिकेटर और यशपाल शर्मा के दोस्त मनजीत सिंह से बात की. मनजीत सिंह भी इंटर कॉलेज और इंटर यूनिवर्सिटी के समय उनके साथ खेलते थे.

दोस्त ने ऐसे किया यशपाल शर्मा को याद, कहा मैदान पर हमेशा खेलते थे फाइटर की तरह

मनजीत सिंह ने यशपाल शर्मा को याद करते हुए बताया कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि उनका दोस्त दुनिया से चला गया. उन्होंने कहा कि वे यशपाल शर्मा के साथ कई मैच खेले हैं. मैं इंटर कॉलेज के वक्त चंडीगढ़ के लिए खेलता था और यशपाल शर्मा लुधियाना के लिए खेलते थे. जब यशपाल शर्मा क्रीज पर होते थे और मैं उन्हें बोलिंग करता था. तब मेरे मन में भी डर रहता था क्योंकि यशपाल शर्मा की बैटिंग बहुत आक्रामक थी और वे किसी भी बॉलर को छोड़ते नहीं थे. उन्होंने मेरी गेदों पर भी खूब चौके छक्के लगाए थे.

ये भी पढ़ें- यशपाल शर्मा ने चंडीगढ़ में खेला था आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच, 15 ओवर का हुआ था ये रोमांचक मुकाबला

उन्होंने कहा कि यशपाल शर्मा एक फाइटर की तरह खेलते थे. जब भी वे पिच पर होते थे तब कोई भी टीम अपनी जीत की गारंटी नहीं दे सकती थी. क्योंकि वह किसी भी समय मैच को बदलने की क्षमता रखते थे. वे अपनी टीम को किसी भी हालात से निकालकर जीत की तरफ ले जाते थे. ऐसा उन्होंने कई बार किया था.

मनजीत सिंह ने कहा अंतरराष्ट्रीय स्तर से सन्यास लेने के बाद भी वे क्रिकेट से जुड़े रहे. उन्होंने उत्तर प्रदेश, रेलवे और पंजाब की टीमों को कोचिंग दी. उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के सेलेक्टर के तौर पर भी काम किया. क्रिकेट ने यशपाल शर्मा को जो भी दिया, यशपाल शर्मा ने भी भारतीय क्रिकेट को वो वापस दिया. भारतीय क्रिकेट में यशपाल शर्मा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी भारतीय क्रिकेट के नाम कर दी थी.

ये भी पढ़ें- 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य यशपाल शर्मा का हार्ट अटैक से निधन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.