चंडीगढ़: हरियाणा में राज्यसभा की तीनों सीटों के चुनाव नतीजों का ऐलान बिना वोटिंग कर दिया गया. तीनों ही सीटों पर सर्वसम्मति से निर्विरोध तीन सांसद चुन लिए गए हैं. तीन नए राज्यसभा सांसदों के निर्वाचन में सबसे ज्यादा चर्चा में हैं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा.
दीपेंद्र हुड्डा तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं लेकिन इस बार वो राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचे हैं. दीपेंद्र हुड्डा बिना किसी विरोध के सांसद बने हैं. लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा का एक बयान चर्चा का केंद्र बना हुआ है.
दरअसल, हुड्डा ने कहा था कि अगर इस चुनाव के लिए वोटिंग होती तो उन्हें कांग्रेस के विधायकों के साथ-साथ कुछ निर्दलीय और अन्य पार्टी से संबंध रखने वाले विधायकों का भी समर्थन मिलता. बता दें कि 37 विधायकों के समर्थन का दावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी मंगलवार को किया था और उनके बाद उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने भी इसी दावे को दोहराया.
दावे पर उठ रहे हैं सवाल
- अब सवाल ये बनता है कि कांग्रेस के विधायकों के अलावा दीपेंद्र हुड्डा को कौन-कौन सा जेजेपी विधायक और कौन-कौन सा निर्दलीय विधायक वोट करता?
- दूसरा सवाल ये है कि अभय चौटाला तो इनेलो के एकमात्र विधायक हैं क्या वो पहली बार कांग्रेस के साथ इस तरह का गठजोड़ करने के लिए तैयार थे?
जानकारों के मुताबिक यहां सबसे ज्यादा चौंकाने वाली स्थिति जननायक जनता पार्टी के लिए दिखाई देती है. 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी का 40 सीटों वाली बीजेपी के साथ सरकार में गठजोड़ है और 10 विधायकों में से दो से तीन विधायक क्रॉस वोटिंग करते तो ये स्थिति कुछ गंभीर बन सकती थी. वहीं सवाल निर्दलीयों का भी बराबर बना हुआ है. क्योंकि निर्दलीय विधायकों को भी सरकार में एक मंत्री पद व कुछ अन्य पद दिए गए हैं.
भूपेंद्र हुड्डा ने राजनीति महारत दिखाते हुए अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को राज्यसभा जरूर भेज दिया है, लेकिन उनके और दीपेंद्र द्वारा दिए बयानों ने कई सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं कि आखिर कांग्रेस के साथ-साथ वो और कौन से विधायक हैं जो जरूरत पड़ने पर दीपेंद्र हुड्डा को वोट देते.
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